धारा 309 IPC | IPC 309 In Hindi | आत्महत्या का प्रयास

आत्महत्या का प्रयास ‘आत्महत्या’ आमतौर से घटित बहुचर्चित अपराधों में से एक है. आये दिन हम आत्महत्या की घटनाओं के बारे में सुना करते हैं. पारिवारिक कलह, आर्थिक कठिनाइयाँ, प्रेम-सम्बन्ध आदि अनेक ऐसी समस्याएं हैं जिनसे मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति औषधि की तरह आत्महत्या का सहारा लेता है. लेकिन आत्महत्या को विधि के अन्तर्गत … Read more

समन क्या है? | समन कैसे जारी और तामील किया जाता है? | समन और वारंट में अंतर

समन क्या है? समन (Summons) के प्रारूप का वर्णन CrPC की धारा 61 में किया गया है. इसके अनुसार न्यायालय द्वारा CrPC के अधीन जारी किया गया प्रत्येक समन लिखित रूप में और दो प्रतियों में, उस न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा या अन्य ऐसे अधिकारी द्वारा, जिसे उच्च न्यायालय नियम द्वारा समय-समय पर निदिष्ट … Read more

किन सीमाओं के अन्तर्गत प्राइवेट (निजी) प्रतिरक्षा के अधिकार प्रयोग किया जा सकता है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 96, 97 तथा 99 से 106 में प्राइवेट (निजी) प्रतिरक्षा के अधिकारों का वर्णन किया गया है. उपयुक्त धाराएँ निम्न हैं- IPC की धारा 96 कोई कार्य अपराध नहीं है जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में किया जाता है | IPC की धारा 97 IPC की धारा … Read more

दुराशय क्या है? यह सिद्धान्त के बिना दुराशय कोई अपराध नहीं बनता, कहाँ तक lPC में माना गया है?

मेंस री (Mens Rea) का अर्थ ‘मेंस री (Mens Rea)’ एक लैटिन शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘आपराधिक मनःस्थिति’, ‘दुराशय’, ‘अपराधी मन’, ‘दोषपूर्ण मन’, ‘दोषपूर्ण मनोवृत्ति’, या ‘दोषी दिमाग’. यह एक विधियाँ और न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो आपराधिक कानून के माध्यम से अपराधी की मानसिक स्थिति को मापने का प्रयास करता … Read more

भारतीय दंड संहिता की धारा 100 | आईपीसी 100 धारा क्या है? | IPC 100 In Hindi

IPC की धारा 100 IPC की धारा 100 के तहत, किसी व्यक्ति को अपने शरीर की सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है. इस धारा के अनुसार, शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा का विस्तार, पूर्ववर्ती धारा में उल्लिखित निर्बंधों के अधीन होता है. इसे हमलावर की स्वेच्छाया मृत्यु कारित करने या कोई अन्य अपहानि करने तक मिलता है, … Read more

आपराधिक मामलों के संबंध में भारत में CrPC का जन्म एवं विस्तार

प्रारंभिक काल उस समय जबकि भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने आपराधिक न्याय से सम्बन्धित अदालतें स्थापित नहीं की थीं, तब आपराधिक मामलों का फैसला मुस्लिम अपराध विधि में वर्णित व्यवस्थाओं के अनुसार किया जाता था. ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 1773 में रेगुलेटिंग ऐक्ट पास किया तो उसके अन्तर्गत सुप्रीम कोर्ट (SC) स्थापित किये जाने की … Read more

CrPC 313 In Hindi | CrPC 313 के तहत अभियुक्त की जांच करने की शक्ति

दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 मुकदमे के किसी भी चरण में आरोपी से पूछताछ करने की अदालत की शक्ति से संबंधित है. यह धारा अदालत को मुकदमे में सामने आई किसी भी परिस्थिति या सबूत के बारे में अभियुक्त से लिखित या मौखिक रूप से सवाल करने की अनुमति देती है. इस प्रावधान … Read more

मिथ्या व्यपदेशन का अर्थ, परिभाषा एवं आवश्यक शर्ते

मिथ्या व्यपदेशन मिथ्या व्यपदेशन को दुर्व्यपदेशन भी कहते हैं. भूल एक भ्रमपूर्ण धारणा है कि कोई परिस्थिति वास्तव में जो कुछ है उससे भिन्न है. जहाँ यह भ्रमपूर्ण धारणा अपनी ही भ्रांति का परिणाम हो वह भूल कहलाती हैं परन्तु जहाँ वह दूसरों के द्वारा किये निरूपण का परिणाम हो, वहाँ वह दुर्व्यपदेशन कही जाती … Read more

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 103 | धारा 103 IPC | IPC 103 In Hindi |

आईपीसी की धारा 103 संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार धारा 99 में वर्णित निर्बन्धनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मृत्यु वा अन्य अपहानि स्वेच्छया कारण तक होता है. इसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति धारा 99 के तहत दोषकर्ता के रूप में पाया जाता है और वह दोषी पाया जाता है, तो … Read more

IPC धारा 97 | IPC 97 In Hindi | शरीर एवं सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार

IPC धारा 97 क्या है? भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 97 मानवों को उनके शरीर और संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्रदान करती है. इस धारा के तहत, धारा 99 में दिए गए सीमाओं के अंतर्गत, प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित कार्य करने का अधिकार होता है- 1. शरीर की प्रतिरक्षा जब किसी अपराधिक … Read more