अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के उद्देश्य, लक्ष्य एवं विशेषताएं

अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के उद्देश्य मनुष्य जन्म से अपराधी नहीं होता है. ब्लकि वह एक अबोध बालक के रूप में जन्म लेता है लेकिन कालान्तर की परिस्थितियां उसे अपराधी बना देती हैं. ऐसे अपराधियों को अपने किये हुए कृत्यों पर प्रायश्चित भी होता है और वे सुधरना भी चाहते हैं. अतः ऐसे व्यक्तियों को सुधरने … Read more

परिवीक्षा की आवश्यक शर्ते एवं अवधि

परिवीक्षा पर छोड़े गये अपराधी को किन शर्तों का पालन करना होता है? | आपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 के तहत परिवीक्षा की आवश्यक शर्ते एवं अवधि परिवीक्षा की आवश्यक शर्ते किसी भी दोषसिद्ध अपराधी को जब न्यायालय परिवीक्षा पर छोड़ना उचित समझता है. तो न्यायालय उससे एक बन्धपत्र निष्पादित करता है. यह बन्धपत्र प्रतिभू सहित … Read more

धारा 145 सीआरपीसी | CrPC 145 In Hindi | CrPC 145 के तहत भूमि या पानी के विवाद के कारण शांति भंग से संबंधित प्रावधान

स्थावर सम्पत्ति से सम्बन्धित विवाद सम्बन्धी अपराधों के रोकने का व्यवहार करने वाली विधि का उपबन्ध अचल सम्पत्ति से सम्बन्धित मामलों का निवारण दण्ड न्यायालय एवं व्यवहार न्यायालय दोनों के द्वारा किया जाता है. लेकिन दोनों के क्षेत्राधिकारों में कुछ मौलिक अन्तर हैं. व्यवहार न्यायालय (Civil Court) का कार्य स्वत्व एवं स्वामित्व के आधार पर … Read more

प्रतिसादन क्या है? | प्रतिसादन के प्रकार | वैध प्रतिसादन और साम्यिक प्रतिसादन में अन्तर

प्रतिसादन प्रतिसादन (Set-off) अथवा मुजराई विधि का वह सिद्धान्त है जो प्रतिसादन को किन्हीं परिस्थितियों के अन्तर्गत न्यायालय के समक्ष वादी के विरुद्ध अपना दावा प्रस्तुत करने की अनुमति देता है. यह ऋणों की एक पारस्परिक विमुक्ति है और इस प्रकार से धन के लिए प्रतिदावा है जो वादी के दावे को समाप्त भी कर … Read more

किशोर न्याय बोर्ड के गठन, कार्य, शक्तियां, उत्तरदायित्व

किशोर न्याय बोर्ड का गठन किशोर न्याय अधिनियम की धारा 4 में किशोर न्याय बोर्ड के गठन के सम्बन्ध में प्रावधानों को बताया गया है. धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार- किशोर न्यायिक बोर्ड बोर्ड के संबंध में प्रक्रिया बोर्ड अपनी कार्यवही को किस प्रकार करेगा इस सम्बन्ध में धारा 7 में प्रावधानों को उपबन्धित … Read more

किशोर न्याय अधिनियम 2015 के लक्ष्य, उद्देश्य एवं विशेषताएं

किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के लक्ष्य एवं उद्देश्य संसद ने 1986 में किशोर न्याय अधिनियम पारित किया था जिसे सन् 2000 में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख तथा संरक्षण) अधिनियम पारित करके 1986 के अधिनियम को समाप्त कर दिया गया. किशोर न्याय अधिनियम, 2015 पारित होने पर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख तथा संरक्षण) अधिनियम, … Read more

मुता विवाह क्या है? | निकाह और मुता विवाह के बीच अंतर

मुता विवाह मुता विवाह एक नियत अवधि के लिये विवाह सम्बन्ध है और ऐसे विवाह में पुरुष द्वारा ऐसी स्त्री को जो इस प्रकार का अस्थायी विवाह सम्बन्ध करती है, देय मेहर की धनराशि निश्चित रहती है. मुता (Muta) विवाह की प्रथा अरब में मोहम्मद साहब के पहले तथा मोहम्मद साहब के समय प्रचलित थी. … Read more

वक्फ का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं आवश्यक तत्व

वक्फ का अर्थ एवं परिभाषा वक्फ का शाब्दिक अर्थ होता है “रोक रखना” अर्थात समर्पित सम्पत्ति के स्वामित्व को समर्पण करने वाले से दूर करके सर्वशक्तिमान ईश्वर में रोक रखना. वक्फ के सृजन के उपरान्त सम्पत्ति का स्वामित्व सर्वशक्तिमान ख़ुदा में निहित हो जाता है और वक्फकर्ता का स्वामित्व वक्फ सम्पत्ति में समाप्त हो जाता … Read more

अपीलीय न्यायालय की शक्तियां

अपीलीय न्यायालय की शक्तियां दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 386 अपीलीय न्यायालय की शक्तियों का वर्णन करती है, जिसके अनुसार ऐसे अभिलेखों के परिशीलन (Persuing) और यदि अपीलार्थी या उसका प्लीटर हाजिर हों तो उसे तथा लोक अभियोजक (Public Prosecutor) हाजिर हो तो उसे और धारा 377 या धारा 378 के अन्तर्गत अपील की … Read more

सूचना एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट से आप क्या समझते हैं?

सूचना सूचना (Information) शब्द से तात्पर्य यह है कि अपराध की सूचना इस आशय से दी जाती है कि पुलिस मामले की जांच की कार्यवाही शुरू करे. यह सूचना या तो मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को दी जाती है. यह सूचना उस सूचना से भिन्न होती है जो कि पुलिस एक अपराध की जाँच करने … Read more