सीपीसी के तहत द्वितीय अपील क्या है? | किन आधारों पर द्वितीय अपील की जा सकती है?

द्वितीय अपील सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) ने प्रथम अपील को विस्तृत रूप दिया है. वहीं द्वितीय अपील के बारे में संहिता में सीमित प्रावधानों को उपबन्धित किया गया है जिसका एकमात्र उद्देश्य मुकदमेबाजी का अन्त करना है. द्वितीय अपील के आधार CPC की धारा 100 में निम्नलिखित उन आधारों का उल्लेख किया गया है जिनके … Read more

सीपीसी के तहत प्रथम अपील के सिद्धांत | सीपीसी में प्रथम अपील सम्बन्धी क्या प्रावधान हैं?

सीपीसी के तहत प्रथम अपील क्या है? प्रथम अपील एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसे किसी मुकदमे के फैसले के खिलाफ जब सजा या निर्णय दिया जाता है, तो व्यक्ति या संगठन द्वारा की जाती है. यह एक उच्चतम न्यायिक प्राधिकृति की ओर बढ़ने का प्रयास होता है जिसमें मुकदमे की फैसले को पुनर्विचार किया जाता … Read more

वाद पत्र की परिभाषा | वाद पत्र में दिये जाने वाले विवरण एवं लौटाये जाने या अस्वीकृत किये जाने के आधार

वाद पत्र की परिभाषा वाद पत्र क्या है? वाद पत्र एक कानूनी दस्तावेज होता है जो सिविल कोर्ट में किसी विवाद के मामले में प्रस्तुत किया जाता है. यह पत्र मामले की प्रारंभिक जानकारी, दावा, और जवाब को संकेतित करता है और कोर्ट को विवाद की विशेषता और प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करता … Read more

सीपीसी की धारा 11 क्या है? | CPC Section 11 In Hindi | रेस ज्यूडिकाटा का सिद्धांत

भारत में कानूनी कार्यवाही की दुनिया में, सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) एक महत्वपूर्ण कानून है. यह एक निष्पक्ष और कुशल कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए, नागरिक मामलों की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है. सीपीसी के भीतर महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा 11 है, जो “प्राङ्न्याय, पूर्व न्याय या रेस ज्यूडिकाटा” के सिद्धांत से संबंधित … Read more

धारा 308 IPC | IPC 308 In Hindi | आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न

भारतीय कानून में IPC 308: गंभीर अपराध और जमानत की पूरी जानकारी | जमानत की प्रक्रिया: IPC 308 मामलों में कैसे काम करती है? | धारा 308: गंभीर अपराधों के मामलों में जमानत के नियम और महत्व भारतीय दंड संहिता (IPC) एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है जो भारत में गुनाहों और उनके लिए सजा की … Read more

वाद का उपशमन कब होता है? वाद के उपशमन के सम्बन्ध में CPC में क्या प्रावधान हैं?

किसी पक्षकार की मृत्यु का बाद पर प्रभाव किसी वादी को मृत्यु से बाद का उपशमन या अन्त नहीं होता है जब तक कि वाद लाने का अधिकार बचा रहता है. श्रीमती फूल रानी बनाम नौबतराय, AIR 1973 SC 688 के मामले में इस पदावली की व्याख्या करते हुए उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि … Read more

जवाब दावा या लिखित कथन से आप क्या समझते हैं?

जवाबदावा (लिखित कथन) का अर्थ किसी बाद में, जिस तरह वादपत्र वादी का अभिवचन होता है उसी प्रकार जवाबदावा प्रतिवादी का अभिवचन होता है. वादपत्र में अन्तर्विष्ट वादी के दावा का जो जवाब प्रतिवादी अपनी प्रतिरक्षा में न्यायालय में दाखिल करता है, उसको जवाब दावा कहा जाता है. वादी का दावा प्रतिवादी के विरुद्ध होता … Read more

धारा 482 CrPC | CrPC 482 In Hindi | CrPC के तहत उच्च न्यायालयों का अंतर्निहित क्षेत्राधिकार

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, जिसे संक्षेप में सीआरपीसी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है. यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायपालिका और आपराधिक मामलों में शामिल व्यक्तियों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार करता है. सीआरपीसी का इतिहास … Read more

एक न्यायालय किन मामलों में कमीशन जारी कर सकता है? | CPC के तहत कमिश्नर की शक्तियां क्या है?

वे परिस्थितियां जिनमें न्यायालय किसी साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी कर सकेगा सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) का आदेश 26 के अन्तर्गत निम्न परिस्थितियों में न्यायालय किसी गवाह की परीक्षा के लिए कमीशन जारी कर सकेगा- न्यायालय किन प्रयोजनों के लिए कमीशन जारी कर सकेगा? न्यायालय निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए कमीशन जारी कर सकता … Read more

स्थायी आदेश क्या है? | स्थायी आदेशों का प्रारूप प्रस्तुत करने के लिए क्या प्रक्रिया है?

स्थायी आदेश क्या है? स्थायी आदेश (Standing Order) स्थायी आदेशों से तात्पर्य इस अधिनियम की अनुसूची में वर्णित विषयों के सम्बन्ध में नियम से है. अर्थात स्थाई आदेश शब्द से इस अधिनियम की अनुसूची में वर्णित मामलों के सम्बन्ध में नियमावली से है. प्रत्येक नियोजक इस अधिनियम की अनुसूची में उपबन्धित किसी मामले के सम्बन्ध … Read more