एक न्यायालय किन मामलों में कमीशन जारी कर सकता है? | CPC के तहत कमिश्नर की शक्तियां क्या है?

एक न्यायालय किन मामलों में कमीशन जारी कर सकता है? | CPC के तहत कमिश्नर की शक्तियां क्या है?

वे परिस्थितियां जिनमें न्यायालय किसी साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी कर सकेगा

सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) का आदेश 26 के अन्तर्गत निम्न परिस्थितियों में न्यायालय किसी गवाह की परीक्षा के लिए कमीशन जारी कर सकेगा-

  1. जब ऐसा व्यक्ति न्यायालय के स्थानीय क्षेत्राधिकार के अन्दर निवास तो करता हो, किन्तु न्यायालय में हाजिर होने से मुक्त हो या बीमारी या कमजोरी के कारण वहां हाजिर होने में असमर्थ हो, ऐसा कमीशन जारी किया जा सकेगा जबकि न्यायालय ऐसा करना आवश्यक समझे और न्यायालय ऐसी आवश्यकता के कारणों को अभिलिखित करेगा, कमीशन जारी करने की न्यायालय की शक्ति विवेकाधीन शक्ति है इसके लिए न्यायालय को बाध्य नहीं किया जा सकता है.
  2. जब ऐसा व्यक्ति न्यायालय के स्थानीय क्षेत्राधिकार से परे निवास करता हो,
  3. जब ऐसा व्यक्ति ऐसे क्षेत्राधिकार की सीमाओं को उस तारीख से पहले छोड़ने वाला हो, जिसकी न्यायालय में परीक्षा किये जाने के लिए वह अपेक्षित है, और
  4. जब ऐसा व्यक्ति सरकार की सेवा में हो, जिसके बारे में न्यायालय की राय यह हो कि वह लोक सेवा का नुकसान किये बिना हाजिर नहीं हो सकता हो. किसी व्यक्ति की परीक्षा के लिए न्यायालय उपर्युक्त नियमों के अधीन तब तक कोई कमीशन जारी नहीं कर सकेगा जब तक कि वह अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से ऐसा करना ठीक न समझे. कमीशन जारी करना न्यायालय के स्वविवेक के अधीन है.
  5. भारत से बाहर निवास करने वाले साक्षी की परीक्षा के लिये न्यायालय तभी कोई कमीशन जारी कर सकेगा या प्रार्थनापत्र भेज सकेगा जब उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसे व्यक्ति का साक्ष्य आवश्यक है. यदि न्यायालय कमीशन जारी करने से इंकार करता है. तो उसके आदेश की अपील की जा सकती है.

न्यायालय किन प्रयोजनों के लिए कमीशन जारी कर सकेगा?

न्यायालय निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए कमीशन जारी कर सकता है-

1. स्थानीय अनुसन्धानों के लिए कमीशन

यदि न्यायालय किसी वाद में विवादग्रस्त किसी बात की व्याख्या के लिए, या किसी सम्पत्ति का बाजार मूल्य या किसी मध्यवर्ती लाभ या नुकसानी या वार्षिक की रकम निश्चित करने के लिये स्थानीय अनुसन्धान को आवश्यक या उचित समझता है, तो वह ऐसे व्यक्ति को कमीशन जारी कर सकेगा, जिसे यह ठीक समझे और उसे ऐसा अनुसन्धान करने और उस पर न्यायालय को रपट देने के लिए निर्देश देगा. यदि किन्हीं व्यक्तियों को ऐसा कमीशन जारी करने के बारे में राज्य सरकार ने कोई नियम बनाये हैं तो न्यायालय उन नियमों से बाध्य होगा.

2. वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए कमीशन

जहां किसी वाद में किसी वैज्ञानिक अन्वेषण के बारे में ऐसा प्रश्न उठा हो जो न्यायालय की राय में उसके सामने सुविधापूर्वक संचालित न किया जा सकता हो, वहां वह ऐसे व्यक्ति को, जिसको वह ठीक समझे, ऐसे प्रश्न की जाँच करने और उस पर न्यायालय को रपट देने के निर्देश देते हुए कमीशन जारी कर सकेगा.

3. अनुसचिवीय कार्यों के करने के लिए कमीशन

जहां किसी वाद में किसी अनुसचिवीय कार्य करने के बारे में कोई प्रश्न उठा हो, जिसको सुविधापूर्वक न्यायालय के सामने, उसकी राय में नहीं किया जा सकता हो, तो वहां यदि न्यायालय की राय में कमीशन जारी करना न्याय के हितों में आवश्यक है, तो वह ऐसे कारणों को अभिलिखित करते हुए व्यक्ति को जिसको वह ठीक समझे, कमीशन जारी कर सकेगा और उसको ऐसा कार्य करने और उस पर न्यायालय को रपट देने के लिए निर्देश दे सकता है.

4. चल सम्पत्ति के विक्रय के लिये कमीशन

जहां किसी वाद में, उसके अवधारण के लम्बित रहते उसकी अभिरक्षा में की किसी ऐसी चल सम्पत्ति का विक्रय किया जाना जरूरी हो जाता है, जिसको सुविधापूर्वक सुरक्षित न रखा जा सकता हो, वहां न्यायालय के हित में कारणों को अभिलिखित करते हुए ऐसे व्यक्ति को जिसको वह ठीक समझे, कमीशन जारी कर सकेगा और उसको ऐसा विक्रय संचालित करने का और उस पर न्यायालय को रपट देने का निर्देश दे सकेगा.

5. लेखाओं की परीक्षा करने के लिए कमीशन

जिस वाद में लेखाओं की परीक्षा या समायोजन करना आवश्यक हो, उसमें न्यायालय ऐसे व्यक्ति को, जिसको वह ठीक समझे, कमीशन जारी कर सकेगा और उसको ऐसी परीक्षा या समायोजन करने का निर्देश दे सकेगा.

6. विभाजन करने के लिए कमीशन

जहां विभाजन के लिए प्रारम्भिक डिक्री पारित की जा चुकी हो, वहाँ न्यायालय ऐसे किसी मामले में, जिसके लिए धारा 54 में उपबन्ध नहीं किये गए हों, ऐसे व्यक्ति को, जिसको वह ठीक समझे, ऐसी डिक्री में घोषित अधिकारों के अनुसार विभाजन या पृथक्करण करने के लिए कमीशन जारी कर सकेगा.

ठाकुर सिंह बनाम धरम शमशेर, AIR 2015 सिक्किम 27 के मामले में यह प्रतिपादित किया गया है कि मात्र साक्ष्य एकत्रित करने हेतु स्थानीय अनुसंधान के लिए कमिश्नर की नियुक्ति नहीं की जा सकती है

सिविल प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 1999 द्वारा एक नया नियम 4(A) जोड़ा गया है जिसके प्रावधानों के अनुसार, उपरोक्त नियमों के अलावा भी न्यायालय किसी वाद में न्याय के हित में या मामले को शीघ्र निपटाने के लिए या किसी अन्य कारण से अपनी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर निवास करने वाले किसी व्यक्ति की परिप्रश्नों पर या अन्यथा परीक्षा के लिए कमीशन जारी कर सकेगा और इस प्रकार अभिलिखित साक्ष्य को साक्ष्य में पढ़ा जायेगा |

कमिश्नर की शक्तियां

CPC का आदेश 26 के निम्न विभिन्न नियमों के अन्तर्गत, कमिश्नर को निम्नांकित शक्तियां प्राप्त हैं-

  1. कमिश्नर ऐसे विषयों में, जो उसे निर्दिष्ट किये गये हैं पक्षकारों की या साक्षियों की या अन्य व्यक्तियों की परीक्षा कर सकेगा जिन्हें कि वह साक्ष्य देने के लिए बुलाना उचित समझता है.
  2. जाँच के विषय से सम्बन्धित दस्तावेजों और अन्य चीजों को मंगा सकेगा उसकी परीक्षा कर सकेगा, और
    किसी युक्तियुक्त समय पर ऐसे भवन या भूमि में प्रवेश कर सकेगा जिसका उल्लेख आदेश में किया गया है.
  3. किसी साक्षी के नाम या विरुद्ध कोई आदेशिका निकालने के लिए उच्च न्यायालय से भिन्न किसी ऐसे न्यायालय से आवेदन कर सकेगा, जिसके क्षेत्राधिकार के अन्दर ऐसा निवास करता है, और ऐसा न्यायालय स्वविवेक में ऐसी आदेशिका जारी कर सकेगा, जैसी कि वह युक्तियुक्त और उचित समझे.
  4. यदि वह सिविल न्यायालय का न्यायाधीश नहीं है तो साक्षियों पर आरोपित की जाने वाली शास्तियों को आरोपित करने के लिए सक्षम नहीं होगा, किन्तु उसके आवेदन पर ऐसी शक्तियां कमीशन जारी करने वाले न्यायालय द्वारा आरोपित की जा सकेंगी.
  5. कमीशन जारी करने वाला न्यायालय वाद के पक्षकारों को कमिश्नर के सामने स्वयं या अपने अभिकर्त्ताओं या वकीलों के द्वारा हाजिर होने का निर्देश देगा और उनके या उनमें से किसी के हाजिर न होने पर कमिश्नर उनकी अनुपस्थिति में आगे (एकपक्षीय) कार्यवाही कर सकेगा |

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