मूट कोर्ट क्या है? गठन के उद्देश्य एवं महत्त्व क्या हैं? | मूट कोर्ट और न्यायालय के बीच अंतर?

मूट कोर्ट क्या है? मूट कोर्ट किसे कहते हैं? किसी सुनिश्चित किये गये विवाद को यथावत प्रस्तुत किया जाना मूट कोर्ट कहलाता है. मूट कोर्ट को हम काल्पनिक कोर्ट की संज्ञा दे सकते हैं. इसमें विधि के कुछ शिक्षार्थी मिलकर काल्पनिक कोर्ट चलाते हैं. इसमें कुछ विद्यार्थी अधिवक्ता की भूमिका निभाते हैं तो कुछ पक्षकारों … Read more

दीवानी प्रक्रिया संहिता के तहत न्यायालय कब अस्थायी व्यादेश दे सकता है?

अस्थायी व्यादेश (निषेधाज्ञा) अस्थायी निषेधाज्ञा क्या है? व्यादेश एक ऐसा विशिष्ट आदेश है जो न्यायालय द्वारा ऐसे किसी दोषपूर्ण कार्य को, जो प्रारम्भ किया जा चुका है, जारी रखने से प्रतिवारित करने अथवा ऐसे कार्य को प्रारम्भ करने की धमकी को रोकने के लिए दिया जाता है. सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 39 नियम 1 … Read more

डिक्री की परिभाषा, प्रकार एवं आवश्यक तत्व | डिक्री कब अंतिम कहलाती है?

आज्ञप्ति (डिक्री) की परिभाषा इसे सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (The Code Of Civil Procedure, 1908) की धारा 2 (2) में दी गई परिभाषा के अनुसार, आज्ञप्ति से ऐसे न्यायनिर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति अभिप्रेत है जो कि वाद में के सब या किन्हीं विवादास्पद विषयों के सम्बन्ध में पक्षकारों के अधिकारों को वहाँ तक, निश्चायक रूप … Read more

न्यासों का वर्गीकरण | न्यास का वर्गीकरण क्या है?

न्यासों का वर्गीकरण न्यास को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से वर्गीकृत किया गया है. ये दृष्टिकोण निम्नलिखित हैं- I. न्यासधारियों के कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा स्वरूप के अनुसार इसके अन्तर्गत न्यास दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- 1. साधारण अथवा सामान्य न्यास इस न्यास में न्यासधारी न्यास की सम्पत्ति का केवल धारणकर्ता है और उसे … Read more

तथ्य की भूल एवं विधि की भूल से क्या समझते हैं?

भूल क्या है? भूल (Mistake) को परिभाषित करना सम्भव नहीं है, क्योंकि इसे पहले से जानना या इसके लिए पहले से व्यवस्था करना सम्भव ही नहीं है. स्टोरी के अनुसार, भूल दुर्घटना से भिन्न वह कृत्य है जो निरुद्देश्य कृत्य, दोष, अज्ञानता, विस्मय, धोखा से उत्पन्न होते हैं भूल को सामान्यतः दो श्रेणियों में विभाजित … Read more

खैराती न्यास क्या है? | खैराती न्यास के उद्देश्य क्या है?

खैराती न्यास खैराती न्यास को सार्वजनिक न्यास (Public Trust) या धर्मार्थ न्यास भी कहा जाता है. यह लोक लाभ अथवा जनता के अधिकांश वर्ग के लाभ के लिए होता है. अन्य शब्दों में यह समाज या समाज के एक वर्ग के लाभ के उद्देश्य के लिए होता है. खैराती न्यास (Charitable Trust) में उसके प्रयोजनार्थ … Read more

साम्य का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र, उद्भव एवं विकास

साम्य का अर्थ साम्य (Equity) विधि का वह स्रोत है जो विधि के किसी विशिष्ट नियम के अभाव में प्रारम्भ होता है तथा कार्य करता है. साम्य, अत्यन्त ही सामान्य भाव में हम उसी को साम्य कहने के अभ्यस्त हैं जो व्यवहारों में “नैसर्गिक न्याय”, “ईमानदारी” और “सच्चाई” में पाया जाता है. मनुष्य के जब … Read more

बन्धक की परिभाषा, आवश्यक तत्व एवं प्रकार

बन्धक की परिभाषा बन्धक (Mortgage), ऋण के रूप में अग्रिम दी गई, अथवा भविष्य में दी जाने वाली धनराशि वर्तमान अथवा भविष्य ऋण के भुगतान अथवा किसी ऐसे वचनबंध के जो आर्थिक दायित्व को जन्म दे, पालन की प्रतिभूति के लिये विशिष्ट अचल सम्पत्ति में हित का हस्तान्तरण है. संपत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 की धारा … Read more

न्यास की परिभाषा एवं आवश्यक तत्व | न्यासधारी एवं हिताधिकारी कौन हो सकता है?

न्यास की परिभाषा न्यास किसी व्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों में किया गया और उसके या उनके द्वारा किया गया विश्वास (Confidence) है. न्यास की परिभाषा (Definition Of Trust) न्यास को अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है. स्टोरी के अनुसार, न्यास सम्पत्ति में एक साम्यिक अधिकार, हक अथवा हित है तो वास्तविक या निजी हो किन्तु … Read more

पृष्ठांकन की परिभाषा एवं प्रकार

पृष्ठांकन की परिभाषा जब किसी लिखत का इस प्रकार अन्तरण किया जाता है कि प्राप्त करने वाला व्यक्ति उसका धारक हो जाय तो इसे पृष्ठांकन (Pagination) कहा जाता है. परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 15 में पृष्ठांकन को बताया गया है. धारा 15 के अनुसार, जब परक्राम्य के प्रयोजन से परक्राम्य लिखत का रचयिता … Read more