तथ्य की भूल एवं विधि की भूल से क्या समझते हैं?

तथ्य की भूल एवं विधि की भूल किसे कहते हैं?

भूल क्या है?

भूल (Mistake) को परिभाषित करना सम्भव नहीं है, क्योंकि इसे पहले से जानना या इसके लिए पहले से व्यवस्था करना सम्भव ही नहीं है.

स्टोरी के अनुसार, भूल दुर्घटना से भिन्न वह कृत्य है जो निरुद्देश्य कृत्य, दोष, अज्ञानता, विस्मय, धोखा से उत्पन्न होते हैं

भूल को सामान्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-

  1. विधि की भूल (Mistake of Law)
  2. तथ्य की भूल (Mistake of Fact) |

1. विधि की भूल क्या है?

जहाँ कोई तथ्यों की तो पूरी जानकारी रखता है परन्तु विधि के प्रभाव के सम्बन्ध में गलत निष्कर्षो को निकालता है या पहुँचता है तब वहां ऐसी भूल विधि की भूल (Mistake of Law) कही जाती है.

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विधि की भूल के विरुद्ध प्रायः कोई अनुतोष प्राप्त नहीं होता है क्योंकि विधि में कहा गया है कि विधि को अज्ञानता कोई बचाव नहीं है (Ignorantia Juris now-excusal) परन्तु फिर भी इस नियम के निम्नलिखित अपवाद हैं-

प्रथम, यह कि आधार सूत्र केवल देश की सामान्य विधि पर प्रयोज्य है और वैयक्तिक अधिकार मात्र पर नहीं. आधार सूत्र में विधि शब्द का प्रयोग सामान्य विधि, अर्थात देश की साधारण विधि को देशित करने के भाव में किया गया है. स्वामित्व का वैयक्तिक अधिकार तथ्य का विषय है.

दूसरे, यह कि विदेश विधि के सम्बन्ध में भूल तथ्य का विषय समझी जाती है.

तीसरे, यह कि इसके अतिरिक्त भी यदि भूल विधि के किसी स्पष्ट तथा स्थापित नियम के विषय में हो तो साम्य साहाय्य प्रदान कर देगा और इस कारण अनुचित प्रभाव, कपट और समान बातों की पूर्वधारणा का उद्भव होता है |

2. तथ्य की भूल क्या है?

तथ्य की भूल किसे कहते हैं? आमतौर पर तथ्य को भूल को दो भागों में विभाजित किया जाता है-

  1. तथ्य की मौलिक भूल,
  2. तथ्य की प्रासंगिक भूल।

1. तथ्य की मौलिक भूल

जहाँ पक्षकार आवश्यक तथ्यों के सम्बन्ध में कुछ न कुछ भूल करते हैं वहां ऐसी भूल तथ्य की मौलिक भूल (Fundamental Mistake of Fact) कहलाती है. अर्थात इसमें पक्षकार तथ्यों पर एक सा मत नहीं रखते हैं. यह भूल निम्नलिखित से सम्बन्धित हो सकती है-

  1. संविदा की विषयवस्तु से,
  2. संविदा के स्वरूप से या आशयित विधिक सम्बन्ध से,
  3. संविदा के पक्षकारों से.

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2. तथ्य की प्रासंगिक भूल

जो भूल मौलिक भूल की परिभाषा में नहीं आती है वह भूल प्रासंगिक भूल (Incidental Mistake) की श्रेणी में रहती है. मौलिक जहाँ कोई व्यक्ति तथ्य की किसी प्रासंगिक भूल के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के साथ कोई वैधिक सम्बन्ध करने के लिए उत्प्रेरित किया जाय, वहाँ वह अपने करार द्वारा बद्ध होता है.

भूल के विरुद्ध साम्यिक उपचार या अनुतोष

1. पालन से इनकार

जहाँ भूल के तहत संविदा की गई है वहाँ पक्षकार उस संविदा को यथारीति से पालन करने से इनकार कर सकता है तथा हुई हानि के लिए क्षतिपूर्ति मांग सकता है.

2. संविदा का विखण्डन

जहाँ संविदा तथ्य को किसी मौलिक के तहत की भूल गई है तो वहां पक्षकार संविदा का विखण्डन कर सकते हैं.

कुण्डे बनाम लिण्डसे [(1878) 5 A.C. 459] के वाद में ब्लैनकार्न नामक एक व्यक्ति ने, जो धनहीन था, ब्लेनकिरन का नाम ग्रहण कर लिया और एक डाक के पत्र-व्यवहार करके उस नाम से ऐसे विक्रेताओं से माल क्रय किया जो यह समझते थे कि वे ब्लेनकिरन एण्ड कम्पनी से जिसे वे एक सम्मानित सार्थ के रूप में जानते थे, व्यवहार कर रहे हैं. यह धारण किया गया कि विक्रय की संविदा आरम्भ से ही शून्य थी |

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