एकपक्षीय डिक्री एवं एकपक्षीय आदेश से क्या अभिप्राय है?

एकपक्षीय डिक्री एवं एकपक्षीय आदेश से क्या अभिप्राय है?

एकपक्षीय डिक्री का अर्थ

एकपक्षीय डिक्री क्या है? प्रक्रिया विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि जहाँ तक सम्भव हो, विधि न्यायालय में किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती है फिर भी इसके अपवाद हैं और एकपक्षीय डिक्री उनमें से एक है. एक पक्षीय डिक्री से अभिप्राय ऐसी आज्ञप्ति से है जिसमें प्रतिवादी न्यायालय के समक्ष उपसंजात होता ही नहीं है तथा वाद को कार्यवाही उसकी अनुपस्थिति में की जाती है, परन्तु फिर भी वादी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपना दावा साबित करे. एक पक्षीय डिक्री (Ex-parte decree) से यह तात्पर्य नहीं है कि वादी को अपने वाद को साबित करने की आवश्यकता ही नहीं है |

एकपक्षीय डिक्री के विरुद्ध उपचार

एकपक्षीय डिक्री या आज्ञप्ति के विरुद्ध निम्नलिखित उपचार प्राप्त हैं-

  1. सीपीसी के आदेश 9, नियम 13 के तहत एकपक्षीय डिक्री अपास्त करने के लिये आवेदन,
  2. प्रतिवादी द्वारा अपील,
  3. पुनर्विलोकन।

1. आदेश 9, नियम 13 के तहत एकपक्षीय डिक्री अपास्त करने के लिये आवेदन

सीपीसी के आदेश 9 नियम 13 में उन प्रावधानों का उल्लेख किया गया है जिनके आधार पर एकपक्षीय डिक्री को अपास्त किया जा सकता है. इस प्रावधान के तहत सिर्फ प्रतिवादी ही आवेदन कर सकता है.

आधार (Grounds)

आदेश 9 नियम 13 का लाभ प्रतिवादी को वहीं मिल सकता है जहाँ वह न्यायालय का समाधान कर देता है कि-

  1. समन सम्यक् रूप से तामील नहीं हुआ हो, या
  2. उसके उपस्थित न होने का पर्याप्त कारण था।

समन्स का सम्यक् रूप से तामील न होना

यदि प्रतिवादी पर समन की तामील सम्यक् रूप से नहीं हुई तो प्रतिवादी एकपक्षीय डिक्री को अपास्त कराने के लिए आवेदन कर सकता है तथा कोर्ट उस आधार पर एकपक्षीय डिक्री को अपास्त कर सकता है परन्तु समन के रूप में वाद की प्रति नहीं थी यह एक अनियमितता नहीं मानी जायेगी तथा इस आधार पर एकपक्षीय डिक्री को समाप्त नहीं किया जा सकता है.

पर्याप्त कारण

पर्याप्त कारण (Sufficient Cause) को संहिता में परिभाषित नहीं किया गया है. कौन सा कारण पर्याप्त है कौन सा नहीं यह तथ्यगत प्रश्न है जो कि मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करता है, यदि प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित न होने का पर्याप्त कारण बता देता है तो न्यायालय एकपक्षीय डिक्री को अपास्त कर सकता है.

निम्नलिखित पर्याप्त कारण है-

  1. गाड़ी का देर से आना,
  2. वकील का डायरी में गलत तारीख लेना,
  3. प्रतिवादी का बीमार होना,
  4. अवयस्क के अभिभावक की अपेक्षा,
  5. तारीख के सम्बन्ध में सद्भावनापूर्ण गलती।

निम्नलिखित पर्याप्त कारण नहीं है-

  1. अधिवक्ता की उपस्थिति होने में असमर्थता मात्र,
  2. जानबूझकर देरी से आना।

श्रीमती गौरी बसु बनाम दुर्गानाथ भट्टाचार्य जी, AIR 2008 NOC 2737 कलकत्ता के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि, जहाँ पिटिशनर को एकतरफा आदेश की जानकारी हो और उसके द्वारा एक वर्ष तक उसे अपास्त (Set Aside) कराने की प्रार्थना नहीं की गई हो, वहाँ ऐसे एकतरफा आदेश को अपास्त नहीं किया जाना चाहिये.

2. प्रतिवादी द्वारा अपील

प्रतिवादी को एकपक्षीय डिक्री अपास्त कराने के लिए सीपीसी की धारा 96 (2) में अपील का अधिकार दिया गया है. इस धारा के तहत प्रतिवादी अपील (Appeal Defendant) कर सकता है.

3. पुनर्विलोकन

प्रतिवादी को एक पक्षीय डिक्री को अपास्त कराने के लिए तीसरा उपचार आदेश 47 के द्वारा दिया गया है. आदेश 47 के तहत प्रतिवादी एकपक्षीय डिक्री के विरुद्ध उसी न्यायालय जिसने कि डिक्री पारित की है, में पुनर्विलोकन (Review) का आवेदन कर सकता है |

एकपक्षीय आदेश से क्या अभिप्राय है?

एकपक्षीय आदेश क्या है? सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 9 नियम 6 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि वाद की सुनवाई की नियत तिथि को प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित नहीं रहता है तो उसके विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही का आदेश दिया जा सकेगा.

नियम 7 में ऐसे आदेश को अपास्त (Set Aside) किये जाने के बारे में उपबंध किया गया है. यदि प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायालय का यह समाधान कर देता है कि पूर्व-तारीख को उपस्थित नहीं रहने का पर्याप्त कारण (Sufficient Cause) था अथवा अच्छा कारण (Good Cause) था, तो न्यायालय द्वारा ऐसे एक-पक्षीय आदेश को अपास्त किया जा सकेगा.

लेकिन जहाँ वाद की सुनवाई पूरी हो चुकी हो और वाद में निर्णय के लिए तारीख निश्चित कर दी गई हो, वहाँ ऐसे एक पक्षीय आदेश को अपास्त नहीं किया जा सकेगा |

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