एक विशेष पुलिस अधिकारी को नियुक्ति कब की जाती है?

एक विशेष पुलिस अधिकारी को नियुक्ति कब की जाती है?

विशेष पुलिस अधिकारी

विशेष पुलिस अधिकारी (Special Police Officers) को पुलिस एक्ट, 1861 की धारा 17, उपबंधित करता है कि ‘जब यह मालूम होगा कि कोई विधि-विरुद्ध सम्मेलन [मजमा खिलाफ कानून)] या बलवा हुआ है या शान्ति भंग हुई है या उसके होने की उपयुक्त तौर पर आशंका है तथा शान्ति बनाये रखने के लिये साधारणतः लगाई हुई पुलिस, शान्ति बनाये रखने के लिए उस स्थान, जहाँ ऐसा विधि-विरुद्ध सम्मेलन (मजमा खिलाफ कानून) या बलवा हुआ हो या शान्ति भंग हुई हो या उसके होने की आशंका हो, निवासियों के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा के लिए काफी नहीं है,

तो इन्सपेक्टर के पद से नीचे न होने वाला कोई पुलिस पदाधिकारी सबसे निकट के मजिस्ट्रेट से आसपास के इतने निवासियों को, जितने की उसे आवश्यकता हो, उतने समय के लिये और उन सीमाओं के भीतर, जो वह उचित समझे, विशेष (स्पेशल) पुलिस के तौर पर काम करने के लिए नियुक्त करने के लिए निवेदन करेगा और वह मजिस्ट्रेट, जिससे ऐसा निवेदन किया गया हो, जब तक कि वह प्रतिकूल कारण न देखें, निवेदनपत्र को स्वीकार करेगा |

विशेष पुलिस अधिकारियों की क्या शक्तियों है?

इस प्रकार नियुक्त किये गये प्रत्येक विशेष पुलिस पदाधिकारी को वही अधिकार, विशेष अधिकार और संरक्षण के अधिकार होंगे और वह उन्हीं कर्त्तव्यों के पालन करने का उत्तरदायी होगा और वैसे ही दण्डों का भागी होगा और उन्हीं अधिकारियों के अधीनस्थ (अंतर्गत) होगा जिनके कि पुलिस के साधारण पदाधिकारी होते हैं.

सीपीसी की धारा 19 उपस्थित करती है कि कोई व्यक्ति विशेष पुलिस पदाधिकारी नियुक्त होने पर काफी कारण के बिना कर्तव्यपालन करने में लापरवाही या इन्कार करे या ऐसे कानूनी आदेशों या हिदायतों को, जो उसे उसके कर्तव्यों के पालन करने के लिए दिये जायें, मानने से लापरवाही या इन्कार करेगा तो वह मजिस्ट्रेट के सामने दोषी ठहराये जाने पर इन्कार या आज्ञा उल्लंघन के लिए 50 रुपये तक जुर्माने का भागी होगा |

विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में सेवा करने से इन्कार

यदि कोई व्यक्ति यथापूर्वोक्त (जैसा ऊपर बताया गया है) विशेष पुलिस अधिकारी नियुक्त किए जाने पर पर्याप्त प्रतिहेतु के बिना ऐसी सेवा करने में या ऐसी विधिपूर्ण आज्ञा या निदेश का, जो उसे उसके कर्तव्यों के पालन के लिए किया जाए, अनुवर्तन करने में उपेक्षा या इंकार करता है तो वह किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष दोषसिद्धि पर ऐसी प्रत्येक उपेक्षा इन्कार या अवज्ञा करने के लिए पचास रुपए से अनधिक जुर्माने से दण्डनीय होगा |

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