दुष्प्रेरण क्या है? | दुष्प्रेरण की परिभाषा, आवश्यक तत्व, प्रकार एवं दुष्प्रेरक का दायित्व

दुष्प्रेरण की परिभाषा जब किसी अपराध को करने में अनेक व्यक्ति हिस्सा लेते हैं तो प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग ढंग से भिन्न-भिन्न तरीके से मदद करता है. अतः उसके आपराधिक दायित्व के निर्धारण के लिए प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग की मात्रा एवं प्रकृति का अवधारणा किया जाय. भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 107 के अनुसार, … Read more

मानव अधिकारों के विभिन्न सिद्धान्त

मानव अधिकार मानव अधिकार के सिद्धान्त? मानवीय अधिकार या मानवाधिकार वास्तव में वे अधिकार हैं जो प्रत्येक मनुष्य को केवल इस आधार पर मिलते हैं कि उसे मनुष्य के रूप में जीवित रहने के लिये उन अधिकारों की आवश्यकता होती है | मानव अधिकारों के विभिन्न सिद्धान्त मानवीय अधिकारों के सम्बन्ध में निम्नलिखित सिद्धांतों को … Read more

अभिवचन के नियम | अभिवचन के मूल नियम एवं सामान्य नियम

अभिवचन के मूल नियम अभिवचन के सिद्धांत? अभिवचन सम्बन्धी विधि को सूक्ष्म रूप से चार शब्दों में इस प्रकार रखा जा सकता है, “Plead facts not law” (तथ्यों का अभिवचन कीजिए, न कि विधि का). व्यवहार प्रक्रिया संहिता का आदेश 6 अभिवचन के निम्नलिखित मूल नियमों की व्यवस्था करता है. 1.तथ्यों का अभिवचन कीजिए, न … Read more

लोकहित वाद क्या है? | लोकहित वाद कौन ला सकता है?

संविधान के अनुच्छेद 32 तथा 226 के अन्तर्गत उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में सामान्य नियम के अनुसार, वही व्यक्ति वाद या आवेदन ला सकते हैं जिनके अधिकारों का अतिक्रमण हुआ हो, परन्तु पिछले वर्षों से न्याय की अवधारणा में परिवर्तन हुआ है जिसके अनुसार पीड़ित व्यक्ति के अलावा उसकी ओर से अन्य व्यक्ति उसके … Read more

भारतीय संविधान, CPC एवं CrPC में विधिक सहायता संबंधी प्रावधान

भारतीय संविधान में विधिक सहायता संविधान की प्रस्तावना में निहित है कि संविधान सभी को सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक न्याय प्रदान करायेगा. संविधान सभी को समान अवसर की बात भी करता है. भारतीय संविधान में इन्हीं उद्देश्यों को पाने के लिए भाग 3 में मूल अधिकारों को तथा भाग 4 में राज्य के नीति निदेशक … Read more

विधिक सहायता क्या है? | विधिक सहायता की परिभाषा, उद्देश्य एवं प्रमुख स्त्रोत

विधिक सहायता क्या है? विधिक सहायता प्रक्रिया को प्रायः सभी देशों में स्वीकार किया गया है परन्तु उसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं दी गई हैं. विधिक सहायता को न्यायालयों तथा विधिवेत्ताओं ने अवश्य परिभाषित करने की कोशिश की है | विधिक सहायता की परिभाषा ये परिभाषायें निम्नलिखित हैं- इथोक ब्लैकमैन के अनुसार, “किसी मामले में … Read more

राष्ट्रीय आयोग का गठन एवं क्षेत्राधिकार

राष्ट्रीय आयोग का गठन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 20 के अनुसार, राष्ट्रीय आयोग का गठन निम्न प्रकार से होगा- परन्तु इस खण्ड के तहत कोई नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश की राय के बिना नहीं की जायेगी. परन्तु यह कि न्यायिक पृष्ठभूमि धारित करने वाले व्यक्ति सदस्यों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं … Read more

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के लक्ष्य तथा उद्देश्य

अधिनियम के मूल उद्देश्य अधिनियम द्वारा संरक्षित उपभोक्ता के अधिकार खतरनाक माल विरुद्ध संरक्षण उपभोक्ता जीवन एवं सम्पत्ति के लिये हानिकारक माल एवं सेवाओं विपणन (मार्केटिंग) के सम्बन्ध में सुरक्षा रखता है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 6 (a) के अनुसार, जीवन एवं सम्पत्ति के परिसंकटमय माल एवं सेवाओं के विपणन के विरुद्ध उपभोक्ताओं … Read more

राज्य आयोग का गठन एवं क्षेत्राधिकार

राज्य आयोग का गठन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 16 के अनुसार, राज्य आयोग का गठन, अध्यक्ष तथा दो सदस्यों, जिनमें एक महिला सदस्य, से होगी. अर्थात राज्य आयोग में अध्यक्ष को मिलाकर कम से कम तीन सदस्य होते हैं | योग्यता अध्यक्ष के लिए ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है. जो … Read more

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की विशेषताएं

उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए समय-समय पर विभिन्न अधिनियम पारित होते रहे हैं. लेकिन वे उपभोक्ता के लिए अधिक मददगार साबित नहीं हुए. इसी कारण सन् 1986 में उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए और उसे संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को पारित किया गया | 1. … Read more