विधिशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व

विधिशास्त्र का अर्थ विधिशास्त्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्दों से हुई है ‘Juris’ एवं ‘Prudentia’ पहला शब्द है ‘Juris’ जिसका मतलब होता है विधि या कानून तथा दूसरा शब्द है ‘Prudentia’ जिसका मतलब होता है ज्ञान. अत: शाब्दिक रूप से विधिशास्त्र (Jurisprudence) का अर्थ होता है विधि या कानून का ज्ञान. विधिशास्त्र … Read more

अंश पूंजी के प्रकार

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 43 के अनुसार, अंश सीमित कम्पनी की अंश पूंजी दो प्रकार की होती है. 1. ईक्विटी अंश पूंजी 2. अधिमान्य प्राप्त अंश पूंजी परन्तु इस अधिनियम की कोई भी बात उन अधिमान्यता प्राप्त अंशधारियों के प्रति लागू नहीं होगी जो कम्पनी के परिसमापन की दशा में उससे प्राप्त होने वाली … Read more

अंश का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | पूर्वाधिकार अंश के प्रकार

अंश का अर्थ ‘अंश’ जिसे प्रचलित भाषा में ‘शेयर’ कहा जाता है, कंपनी के लिए अर्थ संग्रहण अर्थात पूँजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत अथवा साधन है. कंपनी के व्यापार, व्यवसाय एवं कारबार के संचालन में अंशों का अहम योगदान रहता है. कंपनी अंशों, ऋणपत्र एवं स्थायी जमा आदि संसाधनों से ही पूँजी जुटाती है … Read more

पब्लिक कंपनी एवं प्राइवेट कंपनी क्या है? दोनों में क्या अंतर है?

पब्लिक/सार्वजनिक/लोक कंपनी कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(71) के अनुसार “लोक कंपनी का तात्पर्य ऐसी कंपनी से है जो प्राइवेट कंपनी नहीं है, जिसकी ऐसी पूँजी है जो विहित की जायें. कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा शब्द “जिसकी पाँच लाख रुपये की न्यूनतम समादत्त पूंजी या ऐसी उच्चतर समादत्त पूँजी” विलोपित कर दिये गये हैं. … Read more

संयुक्त राष्ट्र महासभा की संरचना एवं कार्य

संयुक्त राष्ट्र महासभा की संरचना संयुक्त राष्ट्र (UN), चार्टर के अनुसार, महासभा संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है. महासभा सबसे अधिक प्रतिनिध्यात्मक अंग है. इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है. प्रत्येक सदस्य महासभा में अपने पाँच प्रतिनिधि तक रख सकता है. महासभा में संयुक्त राष्ट्र के … Read more

न्यायालय का अवमानना | सिविल अवमानना एवं आपराधिक अवमानना

न्यायालय का अवमानना न्यायालय की अपनी गरिमा होती है. न्यायालय का वातावरण अत्यंत शांत व गम्भीर होता है. मामलों की सुनवाई के समय पक्षकारों से, अधिवक्ताओं से और अन्य सभी व्यक्तियों से शांति और शालीनता बनाये रखने की अपेक्षा की जाती है. किसी भी व्यक्ति को न्यायालय के कार्य में हस्तक्षेप करने अथवा बाधा या … Read more

आपराधिक अवमानना का अर्थ एवं आवश्यक तत्व | आपराधिक अवमानकर्ता की प्रतिरक्षाएं

आपराधिक अवमानना आपराधिक अवमानना को दाण्डिक अवमान भी कहते हैं. न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 की धारा 2 की उपधारा (ग) प्रावधान करती है कि “आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt)” का अर्थ है किसी विषय का प्रकाशन (चाहे बोले गये या अंकित किए गये शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा अथवा अन्यथा) या किसी प्रकार के अन्य कार्य … Read more

विधिक व्यक्ति का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | विधिक व्यक्तित्व के सिद्धांत

विधिक व्यक्ति का अर्थ एवं परिभाषा अधिकार की संकल्पना पर विचार करने पर यह पाया गया कि अधिकार का एक धारणकर्ता होना चाहिये. अर्थात् वह कौन है जो अधिकार को धारण करता है और कर्तव्य से बाध्य हैं. इसकी प्राप्ति के लिये व्यक्ति की परिभाषा जानना आवश्यक हो जाता है. पैटन के अनुसार, विधिक व्यक्तित्व … Read more

मिथ्या साक्ष्य देना एवं मिथ्या साक्ष्य गढ़ना क्या है? दोनों में क्या अंतर है?

मिथ्या साक्ष्य देना भारतीय दण्ड संहिता की धारा 191 में मिथ्या साक्ष्य के अपराध की परिभाषा दी गयी है. यदि कोई व्यक्ति शपथ द्वारा सत्य कथन करने के लिए बाध्य होता है फिर भी वह साशय असत्य कथन करता है या वह अपने कथन की सत्यता में विश्वास न करते हुए सत्य के रूप में … Read more

कूटरचना के अपराध की परिभाषा एवं आवश्यक तत्व | IPC 463 In Hindi

कूटरचना की परिभाषा कूटरचना (Forgery) का अपराध लिखाई के आविष्कार का परिणाम कहा जाता है. कूटरचना से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा मिथ्या दस्तावेज की रचना करने से है, जिसका आशय उसे उचित दस्तावेज के रूप में प्रयोग में लाना है. कूटरचना के अपराध का सार मिथ्या दस्तावेज का आपराधिक आशय से रचना करने में है. … Read more