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कंपनी की बैठक
कंपनी की प्रशासनिक व्यवस्था में बैठकों अर्थात सभाओं एवं अधिवेशनों (Meetings) का महत्वपूर्ण स्थान है. बैठक से अभिप्राय कंपनी के सदस्यों का एक साथ मिल बैठकर किसी विषय पर चर्चा अथवा विचार विमर्श करने से है |
कंपनी की बैठकों के प्रकार?
कंपनी की बैठकें या सभाएं चार प्रकार की होती है. कंपनी अधिनियम में कई प्रकार की बैठकों या सभाओं का उल्लेख किया गया है-
- अंशधारियों (सदस्यों) की बैठकें,
- निदेशक वार्ड की बैठकें,
- लेनदारों की बैठकें,
- ऋणपत्रधारियों की बैठकें, आदि |
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अंशधारियों की बैठकों के प्रकार?
यहां हमें अंशधारियों की बैठकों का अध्ययन करना है. ऐसी बैठकों को कंपनी या सदस्यों की बैठकें भी कहा जाता है. अंशधारियों की बैठकें या सभाएं तीन प्रकार की बताई गयी हैं-
- वार्षिक साधारण बैठक (Annual General Meeting)
- असामान्य साधारण बैठक (Unusual Meeting)
- वर्ग बैठक (Class Meetings) |
1. वार्षिक साधारण बैठक
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 में वार्षिक साधारण बैठक (Annual General Meeting) के बारे में प्रावधान किया गया है.
एक व्यक्ति कंपनी को छोड़कर शेष सभी प्रकार की पब्लिक एवं प्राइवेट कम्पनियों के लिये वर्ष में कम से कम एक बार अपने सदस्यों की वार्षिक साधारण बैठक बुलाया जाना आवश्यक है. ऐसी बैठक कंपनी के निगमन की तारीख से ’15 माह’ में बुलाया जाना अपेक्षित है.
धारा 96 (1) के अनुसार, प्रथम वार्षिक साधारण बैठक की दशा में कंपनी के पहले वर्ष के अन्त की तारीख से ‘9 माह’ की अवधि के भीतर और किसी अन्य दशा में वित्तीय वर्ष के अन्त की तारीख से ‘6 माह’ की अवधि के भीतर बैठक आयोजित किया जाना आवश्यक है.
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यदि कोई कंपनी अपनी प्रथम वार्षिक साधारण बैठक आयोजित करती है तो कंपनी के लिये अपने निगमन के वर्ष में अन्य कोई वार्षिक साधारण बैठक बुलाना आवश्यक नहीं होगा। कंपनी के लिये अपनी पिछली वार्षिक बैठक की तारीख से ’15 माह’ के भीतर अपनी वार्षिक साधारण बैठक आयोजित किया जाना आवश्यक है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में रजिस्ट्रार द्वारा इसमें तीन माह तक की वृद्धि की जा सकेगी.
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 (2) के अनुसार कंपनी की प्रत्येक वार्षिक साधारण बैठकें राष्ट्रीय अवकाश के दिनांक को छोड़कर कार्यालय समय में अर्थात प्रातः 9 बजे से सायं 6 बजे तक आयोजित की जा सकेगी।
उपरोक्त उपबन्धों का पालन नहीं किये जाने पर अर्थात इनका उल्लंघन किये जाने पर दोषी व्यक्ति को ‘एक लाख रुपये’ तक के जुमनि से दण्डित किया जा सकेगा तथा व्यतिक्रम जारी रहने की दशा में ऐसे प्रत्येक दिन के लिये ‘पांच हजार रुपये’ तक के अतिरिक्त जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा।
तपन कुमार चौधरी बनाम कंपनी रजिस्ट्रार, (2003) 114 कम्पनी केसेज 631 कलकत्ता, के मामले में औद्योगिक अशान्ति (Industrial Unrest) के कारण वार्षिक साधारण बैठक समय पर आयोजित नहीं की जा सकी थी, क्योंकि ऐसी स्थिति में निदेशकों का कार्यालय में पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा था. न्यायालय ने इसे बैठक नहीं बुलाये जा सकने का पर्याप्त एवं उचित कारण माना।
2. असामान्य साधारण बैठक
कंपनी की दूसरी बैठक असामान्य साधारण बैठक (Extra-Ordinary General Meeting) कहलाती है. वार्षिक साधारण बैठक के अलावा की जाने वाली सारी बैठकें असामान्य साधारण बैठकें कहलाती हैं. सामान्यतः यह दो वार्षिक बैठकों के बीच आयोजित की जाती है.
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कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 100 में असामान्य साधारण बैठकों के बारे में प्रावधान किया गया है. बोर्ड जब भी उचित एवं आवश्यक समझे असामान्य साधारण बैठक बुला सकेगा.
ऐसी बैठकें निम्नांकित की अध्यपेक्षा पर बुलाई जा सकेगी-
- जब अंश-पूंजी वाली कंपनी की दशा में समादत्त अंश पूंजी के कम से कम 1/10 अंशधारी द्वारा ऐसी अध्यपेक्षा या मांग की जायें,
- जब अंश पूंजी न रखने वाली कंपनी की दशा में मताधिकार रखने वाले सभी सदस्यों की कुल मतदान शक्ति के 1/10 सदस्यों द्वारा अध्यपेक्षा या मांग की जाये।
बैठक बुलाये जाने की अध्यपेक्षा (मांग) में उन विषयों का उल्लेख किया जायेगा जिन पर विचार करने के लिये बैठक बुलाई जानी है. अध्यपेक्षा पर अध्यपेक्षाकर्ताओं के हस्ताक्षर होंगे तथा वह कंपनी के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय को भेजी जायेगी.
ऐसी अध्यपेक्षा किये जाने की तारीख से 21 दिन के भीतर बोर्ड को बैठक बुलाने की कार्यवाही प्रारम्भ कर देनी होगी तथा 45 दिनों के भीतर बैठक आयोजित करनी होगी. यदि बोर्ड ऐसी बैठक बुलाने में असमर्थ रहता है तो अंशधारी स्वयं ऐसी बैठक बुला सकेंगे तथा उसका सारा व्यय कंपनी से वसूल कर सकेंगे.
बालकृष्ण गुप्ता बनाम स्वदेशी पोलीटेक्स लिमिटेड (AIR 1985 SC 520) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि अंशधारियों के अंशों के लिये समाधानकर्ता की नियुक्ति हो जाने पर भी अंशधारियों द्वारा असामान्य साधारण बैठक बुलाने की अध्यपेक्षा की जा सकेगी |
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3. वर्ग-बैठकें
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 48 में वर्ग बैठकों के बारे में उल्लेख मिलता है. ये ऐसी बैठकें होती हैं जो किसी वर्ग-विशेष के अंशधारियों द्वारा अपने अधिकारों या दायित्वों में परिवर्तन करने के लिये बुलाई जाती हैं.
ऐसी बैठकों में अंशधारियों के अधिकारों एवं दायित्वों में परिवर्तन उपस्थित सदस्यों के तीन-चौथाई बहुमत से विशेष संकल्प पारित कर किया जा सकेगा |
समस्या (Problem)
यदि कंपनी के कुछ अंशधारी कंपनी की कार्य प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं और वे आपस में मिलकर कंपनी के कार्यकलापों के बारे में चर्चा करना चाहते हैं तो वे इसके लिये असामान्य साधारण सभा (Extra-Ordinary General Meeting) बुला सकेंगे.
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 100 के अन्तर्गत ऐसी बैठक के लिये निदेशक बोर्ड से अध्यपेक्षा की जायेगी. निदेशक बोर्ड द्वारा ऐसी अध्यपेक्षा की तारीख से 21 दिन के भीतर बैठक बुलाने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी और 45 दिनों के भीतर बैठक आयोजित हो जायेगी.
यदि बोर्ड ऐसी बैठक बुलाने में विफल रहता है तो अंशधारी ऐसी बैठक बुला सकेंगे और ऐसी बैठक का सारा व्यय कंपनी से वसूल कर सकेंगे |