एक कंपनी में निदेशकों की नियुक्ति के 5 तरीके | निदेशकों की अयोग्यता

एक कंपनी में निदेशकों की नियुक्ति के 5 तरीके | निदेशकों की अयोग्यता

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 152 में निदेशकों की नियुक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है. कंपनी के प्रबन्धन में निदेशकों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अतः यह अपेक्षा की जाती है कि कम्पनी के निदेशक पद पर कर्तव्यनिष्ठ कार्यकुशल एवं दक्ष व्यक्ति को ही नियुक्त किया जाना चाहिये.

धारा 149(3) में यह कहा गया है कि प्रत्येक कंपनी कम से कम एक ऐसा निदेशक रखेगी जिसने भारत में पूर्व कैलेण्डर वर्ष में 182 दिन की अवधि से अधिक के लिए निवास किया है. लेकिन नई नियमित कंपनी की दशा में निवास की यह अवधि आनुपातिक तौर पर होगी [कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2017 द्वारा प्रतिस्थापित] |

1. प्रथम निदेशकों की नियुक्ति

प्रथम निदेशकों की नियुक्ति सामान्यतः कंपनी के प्रथम निदेशकों को नियुक्ति संप्रवर्तकों (Promoters) द्वारा ही की जाती है तथा उनके नाम संगम अनुच्छेदों में दे दिये जाते हैं. लेकिन यदि संगम अनुच्छेदों में निदेशकों के नाम नहीं दिये गये है तो जब तक कंपनी को वार्षिक साधारण सभा द्वारा निदेशकों की नियुक्ति नहीं की जाती है, तब तक संगम-ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों को ही कंपनी का ‘प्रथम निदेशक समझा जायेगा.

ऐसे निदेशक केवल कंपनी की प्रथम साधारण सभा की बैठक तक हो अपने पद पर रह सको यह बात अलग है कि उन्हें कंपनी की साधारण सभा द्वारा पुनः निदेशक नियुक्त किया जा सकेगा. प्रथम निर्देशक को इस प्रकार नियुक्त किये जाने पर प्रत्येक पब्लिक कंपनी या उसकी सहायक प्राइवेट कंपनी के कुल निदेशकों में से केवल एक तिहाई हो स्थायी रूप से नियुका होंगे तथा शेष दो तिहाई को कंपनी को वार्षिक साधारण सभा में आर्वतन से निवृत (Retire) किया जायेगा |

2. कंपनी की साधारण सभा द्वारा नियुक्ति

कम्पनी के स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति कंपनी को साधारण सभा में की जायेगी. सदस्यों को साधारण सभा की सूचना दी जायेगी और सूचना के साथ ऐसी नियुक्तियों के बारे में एक स्पष्टीकरण विवरण प्रेषित किया जायेगा जिसमें स्वतंत्र निदेशक के पद पर नियुक्ति की पात्रता के बारे में निदेशक बोर्ड की राय होगा.

कंपनी अधिनियम की धारा 152(6) के अनुसार, कंपनी अपने अनुच्छेदों में यह प्रावधान रख सकेगी कि उसके सभी निदेशक प्रत्येक साधारण सभा में निवृत्त हो जायेंगे. लेकिन जहाँ अनुच्छेदों में ऐसा प्रावधान नहीं रखा गया हो, वहाँ प्रत्येक पब्लिक कंपनी के कम से कम 2/3 निदेशक ऐसे होंगे जो आवर्तन द्वारा निवृत्त किये जायेंगे. जब तक कंपनी अधिनियम में अन्यथा उपबंधित न हो कंपनी की साधारण सभा में नियुक्त किये जायेंगे.

कंपनी की साधारण सभा में जिन निदेशकों को आवर्तन के अनुसार निवृत्त किया जाना है, वे ऐसे निदेशक होंगे जो उनकी नियुक्ति के बाद लम्बे समय तक इस पद पर रहे हों. आवर्तन से निवृत्त होने वाले निदेशकों की पुनः नियुक्ति की जा सकेगी |

3. नामांकन द्वारा नियुक्ति

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 161 (3) में यह प्रावधान किया गया है कि यदि केन्द्रीय सरकार या कोई राज्य सरकार किसी कंपनी में अंशधारण सम्बन्धी कोई हित रखती हो तो वह अपनी ओर से प्रतिनिधित्व के लिए निदेशक मनोनीत कर सकेगी.

यदि कंपनी के अनुच्छेदों में यह प्रावधान हो कि कंपनी की वार्षिक साधारण सभा में प्रस्ताव लाये बिना निदेशक की नियुक्ति को जा सकेगी तो इस प्रकार नियुक्त निदेशक नामांकन द्वारा नियुक्त किये जा सकेंगे.

प्रायः कंपनी को आर्थिक सहायता देने वाली संस्थायें वित्त निगम अथवा ऋणपत्रधारी कंपनी में अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए कंपनी के निदेशक बोर्ड में अपने मनोनीत व्यक्ति को निदेशक के रूप में नियुक्त करके भेजती है, बशर्ते कि कंपनी के संगम-अनुच्छेदों को तदविषयक प्रावधान हो |

4. निदेशक बोर्ड द्वारा नियुक्ति

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 161 के अनुसार, किसी पब्लिक कंपनी या उसकी सहायक प्राइवेट कंपनी की साधारण सभा के प्रस्ताव के अन्तर्गत नियुक्त किसी निदेशक का पद उसकी अवधि की समाप्ति के पूर्व ही करिमक रूप से रित होने की दशा में निदेशक बोर्ड द्वारा उस पद पर किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति शेष अवधि तक के लिए की जा सकेगी |

5. अधिकरण द्वारा नियुक्ति

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 242 (2)(ट) के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि किसी कंपनी में किसी अन्यायपूर्ण आचरण या कुप्रबन्ध की केन्द्रीय सरकार से शिकायत प्राप्त होने पर अधिकरण द्वारा एक या एकाधिक निदेशकों की नियुक्ति की जा सकेगी. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रबन्ध निदेशक की नियुक्ति केवल 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक ही प्रभावी रहती है, उसके पश्चात नहीं. लेकिन जहाँ ऐसे प्रबन्ध निदेशक की नियुक्ति कंपनी के लिए लाभप्रद हो, वहाँ विशेष संकल्प द्वारा 70 वर्ष की आयु में भी नियुक्ति की जा सकेगी |

निदेशकों की योग्यता

एक निर्देशक को कंपनी का अंशधारी होना आवश्यक नहीं है यदि अन्तर्नियम अनुमति देते हैं तो एक निदेशक को नियुक्ति की तिथि के 2 माह के अन्दर योग्यता अंश (यदि नहीं हो तो) ले लेना चाहिये निदेशकों द्वारा योग्यता अंश धारित करने के बाद ही रजिस्ट्रार व्यापार प्रारम्भ करने का प्रमाण पत्र जारी करते हैं. केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त या विशेष हित वाले या निजी कंपनी के अशधारियों के लिये योग्यता अंशों को क्रय करना आवश्यक नहीं है |

निदेशक पहचान संख्या

प्रत्येक व्यक्ति जो कंपनी में निदेशक बनने का इच्छुक है उसे केन्द्र सरकार को DIN (Director Identification Numbe) के आवंटन के लिये आवेदन करना होगा |

निदेशकों की अयोग्यता

एक व्यक्ति निदेशक नहीं नियुक्त होगा यदि-

  1. यह अस्वस्थ मस्तिष्क का घोषित हुआ है.
  2. वह दिवालिया घोषित है.
  3. उसने दिवालिया घोषित होने के लिए आवेदन किया है.
  4. वह नैतिक अपराध के लिए न्यायालय में दोषी सिद्ध हो चुका है तथा उसके न्यूनतम माह के लिये कारावास का दण्ड मिला हो तथा ऐसे दण्ड मिले 5 वर्ष नही व्यतीत हुये हैं.
  5. वह 8 माह से याचना का भुगतान करने में असमर्थ हो.
  6. यह कंपनी के संवर्धन या प्रबंध की कपटपूर्ण गतिविधियों के लिये न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषित किया गया है.
    वह एक लोक कंपनी का पहले से निदेशक है जिसका-
  7. लगातार 3 वित्तीय वर्षों से उसने वार्षिक खाते तथा वार्षिक रिटर्न नही फाइल किया है.
    देय तिथि पर उसकी जमाओं तथा उस पर ब्याज का पुनर्भुगतान करने या देय तिथि पर ऋण पत्रों के धन की वापसी में या लाभांश को भुगतान करने में असमर्थ रहता है तथा ऐसी असमर्थता एक वर्ष या उससे अधिकतम बनी रहती है |

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