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हड़ताल क्या है?
हड़ताल का अर्थ है कि किसी उद्योग में नियुक्त सम्मिलित होकर कार्य करने वाले कुछ व्यक्तियों के निकाय द्वारा कार्य का त्याग अथवा जो लोग बराबर कार्य करने के लिए अथवा नौकरी स्वीकार करने के लिए नियुक्त हैं या होते रहे हैं, उनमें से व्यक्तियों की किसी संख्या का आपसी करार द्वारा कार्य करने से इन्कार या सामान्य समझ या धारणा के अन्तर्गत कार्य करने से इन्कार उपर्युक्त परिभाषा से यह परिलक्षित होता है कि हड़ताल का आधारभूत तत्व सामूहिक आचरण, मन्त्रणा एवं समान समझदारी है. हड़ताल में कितने व्यक्ति भाग लेते हैं तथा कैसे की जाती है, यह महत्वपूर्ण नहीं है |
हड़ताल के आवश्यक क्या हैं?
- हड़ताल के लिए मूलतः कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान का होना आवश्यक है.
- कर्मकारों के एक समूह द्वारा काम बन्द करना या काम करने से इन्कार करना.
- काम बन्द करने या इन्कार करने का उद्देश्य कर्मकारों द्वारा अपनी माँगों को नियोजक से स्वीकार कराना है.
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हड़ताल पर जाने की शर्तें
लोकोपयोगी सेवाओं में नियुक्त कोई व्यक्ति संविदा-भंग में हड़ताल में नहीं जायेगा-
- हड़ताल करने के पूर्व छ: सप्ताह के अन्दर हड़ताल की सूचना नियोजक (मालिक) को दिये बिना.
- ऐसी सूचना देने के 14 दिन के अन्दर.
- उपर्युक्त ऐसी किसी सूचना में निर्धारित हड़ताल की तिथि की समाप्ति के पूर्व.
- समझौता अधिकारी के समक्ष किसी समझौता कार्यवाही के लम्बित रहने की अवस्था में और ऐसी कार्यवाहियों की समाप्ति के सात दिन बाद.
हड़ताल अवैध कब होगी?
निम्नलिखित परिस्थिति में हड़ताल अवैध होगी-
- यदि कोई हड़ताल किसी जनउपयोगी सेवा में अधिनियम की धारा 22 के उल्लंघन के स्वरूप प्रारम्भ की गई हो.
- यदि हड्ताल औद्योगिक प्रतिष्ठान में अधिनियम की धारा 23 के उल्लंघन के स्वरूप प्रारम्भ की गई हो.
- यदि वह समुचित सरकार के आदेश के उल्लंघन स्वरूप की गई हो.
हड़ताल कब अवैध नहीं होगी?
- यदि उन्हें प्रारम्भ करते समय वे अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करती हों.
- यदि उन्हें जारी करते समय सरकार के आदेश द्वारा प्रतिबन्धित नहीं किया गया हो.
- यदि हड़ताल अवैध तालाबन्दी के फलस्वरूप घोषित की गई हो.
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तालाबन्दी क्या है?
इस पद का अर्थ है रोजगार के स्थान को अस्थायी रूप से बन्द करना अथवा कार्य का स्थगन करना अथवा नियोजक का उसके द्वारा नियुक्त किसी संख्या में व्यक्तियों को नियोजन में लगाये रखने से अस्वीकार करना. तालाबन्दी नियोजकों अथवा प्रबन्धकों के हाथ में वह आर्थिक हथियार है जिसके द्वारा श्रमिकों को नियोजन सम्बन्धी शर्तों के अन्तर्गत कार्य करने के लिए बाध्य करना है.
तालाबन्दी के आवश्यक क्या हैं?
- नियोजक द्वारा नियोजन स्थान को अस्थाई रूप से बन्द करना या कार्य को स्थगन करना.
- नियोजक द्वारा अपनायी गई उपयुक्त गतिविधियाँ श्रमिकों पर दबाव डालने के उद्देश्य से की जाती हैं.
- यह किसी ऐसी प्रतिष्ठा के लिए की गई हो जो उद्योग की परिभाषा में आये.
- औद्योगिक विवाद के परिणामस्वरूप की गई हो.
तालाबन्दी के लिए शर्ते
लोकोपयोगी सेवाओं का संचालन करने वाला कोई नियोजक (मालिक) अपने किन्ही कामगारों के लिए तालाबन्दी न करेगा-
- ताला लगाने के पूर्व 6 सप्ताह के अन्दर तालाबन्दी की सूचना उन्हें दिये बिना;
- ऐसी सूचना देने के 14 दिन के अन्दर;
- उपर्युक्त ऐसी सूचना में निर्धारित तालाबन्दी की तिथि की समाप्ति के पहले;
- समझौता अधिकारी के समक्ष किसी समझौता कार्यवाही के लम्बित रहने की अवस्था में और ऐसी कार्यवाहियों की समाप्ति के सात दिन बाद.
सुचना (Notice): औद्योगक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 23 के अन्तर्गत तालाबन्दी के लिए नोटिस का दिया जाना आवश्यक है. बिना नोटिस के तालाबन्दी धारा 24 के अन्तर्गत अवैध है.
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तालाबन्दी कब अवैध होगी?
- यदि तालाबन्दी किसी जनोपयोगी सेवा में अधिनियम की धारा 22 के उल्लंघन स्वरूप प्रारम्भ की गई हो या घोषित की गई हो.
- यदि कोई तालाबन्दी किसी औद्योगिक प्रतिष्ठा में अधिनियम की धारा 23 के उल्लंघन के स्वरूप की गई हो.
- यदि दो समुचित सरकार के किसी आदेश के उल्लंघन के स्वरूप की गई हो.
हड़ताल तथा तालाबन्दी के बीच अन्तर
- हड़ताल में किसी उद्योग में नियोजित कर्मकारों द्वारा अपने संघ के माध्यम से एकमत होकर उद्योग का काम ठप्प (बन्द) कर दिया जाता है, जबिक तालाबन्दी में किसी उद्योग के नियोजक द्वारा नियोजन का स्थान बन्द कर दिया जाता है या काम निलम्बित कर दिया जाता है.
- हड़ताल नियोजक के विरुद्ध अपनी मनवाने या सामूहिक सौदाबाजी करने का शक्तिशाली हथियार है, जबिक तालाबन्दी नियोजक का हथियार है, जो हड़ताल को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है.
- हड़ताल के कर्मकार काम करने से मना करते हैं, जबिक तालाबन्दी में नियोजक कर्मकारों को काम पर रखने से इन्कार करता है.
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तालाबन्दी तथा छँटनी में अन्तर?
- तालाबन्दी अस्थायी तौर पर की जाती है जबिक छँटनी स्थायी तौर पर हमेशा के लिए होती है.
- तालाबन्दी में कर्मकार तथा नियोजक के बीच सम्बन्ध समाप्त नहीं होता है जबिक छँटनी में कर्मकार तथा नियोजक के बीच के सम्बन्ध हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं.
- तालाबन्दी कर्मकारों के प्रतिशोध की भावना से की जाती है जबिक छँटनी का उद्देश्य अधिक कर्मकारों से कुछ कर्मकारों को हटाना है.
- तालाबन्दी कार्य स्थान से सम्बन्धित होती है जबिक छँटनी कर्मकारों की सेवाओं से सम्बन्धित होती है |