कारखाना का आशय क्या है? | कारखाना अधिनियम 1948 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

कारखाना का अर्थ क्या है?, कारखाना क्या है?

कारखाना का आशय

कारखाना अधिनियम 1948 के प्रवाधानों के अनुसार, कारखाना शब्द का प्रयोग का आशय किसी भवन, मकान या स्थान से लगाया जा सकता है जहाँ 10 या अधिक श्रमिक कार्य कर रहे हैं अथवा पूर्ववर्ती 12 महीनों में से किसी दिन काम कर रहे थे और किसी भाग में अभिनिर्माण प्रक्रिया शक्ति की सहायता से जारी थी अथवा सामान्यतया जारी की गयी थी.

अथवा जहाँ पर 20 या उससे अधिक श्रमिक कार्य कर रहे हैं अथवा पूर्ववर्ती 12 महीनों में से किसी दिन काम कर रहे थे, तथा जिसके भाग में अभिनिर्माण प्रक्रिया बिना शक्ति की सहायता के जारी थी, अथवा सामान्यतया संचालित की जा रही थी.

किन्तु यह खान को सम्मिलित नहीं करता है, क्योंकि उसके लिए खान अधिनियम,1952 के प्रवर्तन का उपबन्ध है, अथवा यह रेलवे इंजिन शेड को भी सम्मिलित नहीं करता है.

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कारखाना संशोधित अधिनियम, 1976 में यह बात साफ हो गई है कि होटल, जलपानगृह या खाने का स्थान कारखाना की परिभाषा के अन्तर्गत नहीं आते हैं. कर्मकारों की संख्या परिगणना के लिए विभिन्न पाली तथा टोली के समस्त कर्मकारों को संगणना की जायगी |

कारखाना अधिनियम 1948 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

कारखाना अधिनियम, 1948 की मुख्य विशेषतायें है-

  1. क्षेत्र विस्तार
  2. पंजीकरण
  3. स्वास्थ्य सुरक्षा तथा श्रम कल्याण
  4. कार्य के घण्टे एवं अधिसमय
  5. बालकों का नियोजन
  6. मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश
  7. दण्ड सम्बन्धी उपबन्ध

1. क्षेत्र विस्तार

अधिनियम का उद्देश्य कारखानों में कर्मकारों के व्यवहारों से सम्बन्धित विधि को संकलित करना एवं उसमें यथोचित संकलन करना है तथा इस अधिनियम के उपबन्धों का इसी दृष्टिकोण से इन्टरप्रिटेशन (Interpretation) करना चाहिए.

2. पंजीकरण

राज्य सरकारों पर यह दायित्व आरोपित किया गया है कि वह स्वच्छता, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखकर कारखानों की स्वीकृति तथा लाइसेन्स प्रदान करेगा. कारखानों की स्थापना से पूर्व उनके “प्लान तथा ले आर्डर” प्रस्तुत करना अनिवार्य है. इसी प्रकार कारखानों का पंजीकरण कराना भी आवश्यक है.

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3. स्वास्थ्य सुरक्षा तथा श्रम कल्याण

अधिनियम में श्रमिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये श्रमिकों के कल्याण के लिए तथा श्रमिकों की सुरक्षा के लिए विस्तृत उपबंध किये हैं, जिनका पालन किया जाना प्रत्येक कारखाने के प्रबन्धन के लिए आवश्यक है.

4. कार्य के घण्टे एवं अधिसमय

अधिनियम के द्वारा वयस्क श्रमिकों के लिए साप्ताहिक एवं दैनिक काम के घण्टे निश्चित किये गये हैं. जो क्रमशः 48 एवं 8 घण्टे रखे गये हैं, बालकों के लिए 4-1/2 घण्टे प्रतिदिन के हिसाब से कार्य करने की अनुमति दी गई है. महिलाओं तथा बालकों को रात्रि में काम करने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. अधिसमय के लिए अतिरिक्त पारिश्रमिक देने की व्यवस्था की गई है.

5. बालकों का नियोजन

इस अधिनियम के द्वारा 14 वर्ष तक के बालक को कारखाने में कार्य करने के लिए पूर्णत: प्रतिबन्धित कर दिया गया है.

6. मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश

अधिनियम में साप्ताहिक अवकाश सम्बन्धी विस्तृत उपबन्ध किये गये हैं तथा अधिनियम के द्वारा श्रमिक को सवेतन अवकाश दिये जाने को अधिक महत्व दिया गया है.

7. दण्ड सम्बन्धी उपबन्ध

यदि कारखाना अधिनियम के प्रावधानों का किसी के द्वारा उल्लंघन किया जाता है तो अधिनियम में दण्ड के भी प्रावधानों को उल्लिखित किया गया है |

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