Table of Contents
- 1 न्यूसेंस का अर्थ?
- 2 लोक न्यूसेंस क्या है?
- 3 न्यूसेंस हटाने का आदेश कौन दे सकता है?
- 4 वे परिस्थितियाँ जिनमें लोक न्यूसेंस हटाया जा सकता है?
- 5 प्रक्रिया एवं आगे की कार्यवाही?
- 6 1. आदेश की तामील
- 7 2. आदेश का पालन किया जाना अथवा कारण दर्शित किया जाना
- 8 3. चूक करने के परिणाम
- 9 4. लोक अधिकार से इन्कार किया जाना
- 10 5. आदेश का अन्तिम कर दिया जाना
न्यूसेंस का अर्थ?
अपदूषण (Nuisance) फ्रेंच भाषा के शब्द न्यूरे (Nuire) और लैटिन शब्द नोसेर (Nocere) से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- हानि पहुँचाना या बाधा उत्पन्न करना |
लोक न्यूसेंस क्या है?
अपदूषण या उपद्रव को अंग्रेज़ी में न्यूसेंस भी कहा जाता है. सरकार का लोकतांत्रिक रूप में जन-जीवन एवं सम्पत्ति की रक्षा करना राज्य का प्रथम कर्तव्य है. जन-जीवन के अन्तर्गत यहाँ इसमें स्वास्थ्य, सुख और सुविधा सम्मिलित है. अतः जब ऐसा कार्य किया जाता है तो जीवन, स्वास्थ्य, सुख और सुविधा के लिए बाधा, जोखिम अथवा क्षतिकारक हो तो उसे लोक अपदूषण या लोक न्यूसेंस या सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisance) कहा जाता है.
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CrPC की धारा 133 से 143 तक में ऐसे अपदूषण या न्यूसेंस या उपद्रव (Nuisance) के निवारण के बारे में प्रावधान किया गया है |
न्यूसेंस हटाने का आदेश कौन दे सकता है?
CrPC की धारा 133 के तहत लोक अपदूषण या लोक न्यूसेंस या सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisance) हटाने का आदेश जिला मजिस्ट्रेट, उपखण्ड मजिस्ट्रेट, राज्य सरकार द्वारा विशेषतया सशक्त कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट दे सकते हैं |
वे परिस्थितियाँ जिनमें लोक न्यूसेंस हटाया जा सकता है?
उपरोक्त मजिस्ट्रेट पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट या अन्य सूचना पर और साक्ष्य लेने पर जैसा वह ठीक समझे-
- किसी सार्वजनिक स्थान या मार्ग या जल-प्रवाह से जो जनता द्वारा विधिपूर्वक उपयोग में लाया जाता है या लाया जा सकता है. कोई विधि-विरुद्ध बाधा या न्यूसेंस (Nuisance) हटाया जाना चाहिए, अथवा
- किसी व्यापार या पेशा को चलाना या किसी वस्तु या वाणिज्य को रखना जो समुदाय के स्वास्थ्य या शारीरिक सुख के लिए क्षतिकर हो और परिणामतः ऐसा व्यापार या पेशा प्रतिषिद्ध (Prohibited) या विनियमित (Regulated) होना चाहिये या ऐसी वस्तु या वाणिज्य हटा दिया जाना चाहिये या उसका रखना विनियमित होना चाहिए, अथवा
- किसी निर्माण का बनाया जाना या किसी पदार्थ का विक्रय जिससे सम्भावना हो कि अग्निकाण्ड या विस्फोट हो जायेगा, निषिद्ध या बन्द कर दिया जाना चाहिए, अथवा
- कोई निर्माण, तम्बू, संरचना या वृक्ष जो ऐसी दशा में है. जिससे सम्भावना है कि वह गिर जाये और पड़ोस में रहने वाले या कार्य करने वाले या पास से निकलने वाले व्यक्तियों को उससे क्षति हो अतः ऐसे निर्माण, तम्बू या संरचना को हटाना या उसकी मरम्मत कराना या उसमें आलम्ब (Support) लगाना या ऐसे वृक्ष को हटाना या उसमें आलम्ब लगाना आवश्यक है, अथवा
- ऐसे किसी मार्ग या सार्वजनिक स्थान के समीप किसी तालाब, कुएं या उत्खात (Excavation) में बाड़ इस प्रकार से लगा दी जानी चाहिये कि जनता को होने वाले खतरे का निवारण हो सके, अथवा
- किसी भयानक जीव-जन्तु को नष्ट, परिरुद्ध अथवा अन्यथा रूप से व्ययन किया जाना चाहिए,
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तब ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसी बाधा या अपदूषण पैदा करने वाले या व्यापार या पेशा चलाने वाले या ऐसी वस्तु या वाणिज्य को रखने वाले या ऐसे निर्माण, तम्बू या संरचना, पदार्थ, तालाब, कुएं या उत्खात (Excavation) का स्वामित्व या नियन्त्रण रखने वाले या ऐसे जीव-जन्तु या वृक्ष का स्वामित्व या आधिपत्य रखने वाले व्यक्ति से यह अपेक्षा करते हुए सशर्त आदेश दे सकेगा कि उतने समय के अन्दर जो आदेश में नियत किया जायेगा.
वह यदि वह ऐसा करने में आपत्ति करे तो वह स्वयं उसके समक्ष उसके अधीनस्थ किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष उस समय और स्थान पर जो उस आदेश द्वारा नियत किया जायेगा. उपस्थित हो और इसमें इस रीति से कारण दर्शित करे कि क्यों न उस आदेश को अन्तिम कर दिया जावे.
इस प्रकार इस धारा के अन्तर्गत दिया जाने वाला आदेश सशर्त आदेश होता है. इस धारा की प्रयोज्यता के लिए लोक स्वास्थ्य, सुख और सुविधा के तत्काल खतरे की सम्भावना होना आवश्यक है.
एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि सार्वजनिक अपदूषण (Public Nuisance) के निवारण के लिए जहाँ नगरपालिका का यह कर्तव्य हो कि वह स्वास्थ्य रक्षा के लिए अपेक्षित सुविधायें जुटायें, वहाँ नगरपालिका अर्थाभाव के कारण अपने उक्त दायित्व से मुक्त नहीं हो सकती |
प्रक्रिया एवं आगे की कार्यवाही?
CrPC की धारा 134 से 143 तक में सम्बन्धी प्रक्रिया एवं आगे की कार्यवाही का उल्लेख किया गया है-
1. आदेश की तामील
CrPC की धारा 134 के अनुसार, ऐसे आदेश की तामील (Service Of Order) समन की तामील की तरह की जायेगी.
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2. आदेश का पालन किया जाना अथवा कारण दर्शित किया जाना
CrPC की धारा 135 के अनुसार, जिस व्यक्ति के विरुद्ध आदेश पारित किया गया है वह नियत तिथि के भीतर या तो आदेश का पालन करेगा या आदेशानुसार उपस्थित होकर कारण दर्शित करेगा.
3. चूक करने के परिणाम
CrPC की धारा 136 के अनुसार, यदि ऐसा व्यक्ति नियत समयावधि के भीतर न तो आदेश का पालन करता है और न कारण दर्शित करता है तो-
- वह आदेश अन्तिम कर दिया जायेगा.
- ऐसा व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 188 के अन्तर्गत दण्डित किया जायेगा.
4. लोक अधिकार से इन्कार किया जाना
CrPC की धारा 137 के अनुसार, जहाँ ऐसा व्यक्ति लोक अधिकार से इन्कार करता है तो मजिस्ट्रेट उसकी जाँच करेगा. ऐसे अधिकार के सम्बन्ध में सिविल न्यायालय के विनिश्चय तक उस आदेश के प्रवर्तन को रोक देगा. लेकिन यदि वह ऐसी इन्कारी के सम्बन्ध में कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं पाता है तो वह साक्ष्य आदि लेते हुए आगे कार्यवाही करेगा.
5. आदेश का अन्तिम कर दिया जाना
CrPC की धारा 141 के अनुसार, मामले की सुनवाई के पश्चात जहाँ तथाकथित आदेश को अन्तिम कर दिया जाता है वहाँ इस आशय की सूचना उस व्यक्ति को दी जायेगी और उससे यह अपेक्षा की जायेगी कि वह नियत समय में उस आदेश का पालन कर दे |