जांच, अन्वेषण एवं विचारण किसे कहते हैं? तीनों में क्या अंतर है?

जांच, अन्वेषण एवं विचारण किसे कहते हैं? तीनों में क्या अंतर है?

जांच, अन्वेषण एवं विचारण

जांच, अन्वेषण एवं विचारण तीनों ही शब्द ऊपर से एक-दूसरे के पूरक अर्थात् पर्यायवाची लगते हैं. इन तीनों का उद्देश्य भी लगभग एक-जैसा प्रतीत होता है. अपराध एवं अपराधी का पता लगाना अर्थात् अपराध से अपराधी तक पहुँचना. लेकिन इतना सब कुछ होते हुये भी इन तीनों में मौलिक अन्तर है संहिता में ‘जांच’ एवं ‘अन्वेषण’ की तो परिभाषा दी गई है, लेकिन ‘विचारण’ के बारे में वह मौन है.

जांच की परिभाषा

जांच (Inquiry) क्या है? CrPC की धारा 2 (g) के अनुसार, “जांच” से अभिप्राय विचारण से भिन्न उस प्रत्येक जांच से है जो CrPC के अन्तर्गत किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा की जाये.

जांच के अन्तर्गत उन सभी कार्यों को सम्मिलित किया जाता है जो मजिस्ट्रेट के द्वारा कार्यवाही के दौरान किये जाते हैं. जांच का मुख्य उद्देश्य किसी तथ्य की सत्यता का निर्धारण करना है.

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 107, 108, 109 तथा 110 के अन्तर्गत परिशान्ति कायम करने तथा सदाचार बनाये रखने के लिए बन्धपत्र प्रस्तुत करना यह विचारण न होकर जाँच है.

जांच आरोप पत्र प्रेषित होने के साथ हो प्रारम्भ हो जाती है. यह मजिस्ट्रेट का कार्य है.  संबंधित मामला; अन्वेषण से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है. हरदीप सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब (AIR 2014 SC 1400)

अन्वेषण की परिभाषा

अन्वेषण (Investigation) क्या है? CrPC की धारा 2 (h) के अनुसार, “अन्वेषण के अन्तर्गत ये सभी कार्यवाहियां आती हैं जो साक्ष्य एकत्रित करने के लिए पुलिस अधिकारी द्वारा या मजिस्ट्रेट से भिन्न ऐसे किसी व्यक्ति के द्वारा की जाती है जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस प्रयोजन के लिए प्राधिकृत किया जाता है.”

इस प्रकार अन्वेषण के अन्तर्गत वे सभी कार्यवाहियां आती हैं जो-

  1. पुलिस अधिकारी द्वारा की जाती हैं; या
  2. मजिस्ट्रेट से भिन्न ऐसे व्यक्ति के द्वारा की जाती हैं जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस प्रयोजन के लिये प्राधिकृत किया जाता है;
  3. जो संहिता के अधीन की जाती हैं, एवं
  4. जिनका उद्देश्य साक्ष्य एकत्र करना होता है.

‘अन्वेषण’ जिसे ‘तफतीश’ भी कहते हैं, जो पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाता है, का मुख्य उद्देश्य साक्ष्य एकत्रित करना है. संहिता में अन्वेषण के अन्तर्गत साधारणत: निम्नलिखित कार्यवाहियां शामिल हैं-

  1. घटना स्थल पर जाना;
  2. केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों को निश्चित करना;
  3. संदिग्ध अपराधियों की गिरफ्तारी एवं तलाशी;
  4. अपराध के बारे में साक्ष्य इकट्ठा करना;
  5. राय बनाना, कि क्या इकट्ठा किये गये साक्ष्य (तथ्य के आधार पर) मुल्जिम को विचारण के लिए मजिस्ट्रेट के सामने भेजने का केस है और यदि है. तो उसके लिए धारा 173 में एक चार्ज शीट दाखिल करके आवश्यक कदम उठाना.

निर्णित वाद; राकेश कुमार पॉल बनाम स्टेट ऑफ आसाम (AIR 2017 SC 3948) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि वैज्ञानिक अन्वेषण समय की आवश्यकता है.

विचारण की परिभाषा

विचारण (Trial) क्या है? CrPC में ‘विचारण’ शब्द को परिभाषा नहीं दी गई है. सामान्यतः विचारण से अभिप्राय उन सभी कार्यवाहियों से है जिनमें किसी अभियुक्त को दोष सिद्ध या दोष-मुक्त करने के लिए न्यायालय सशक्त हो.

सामान्य विचारण से अभिप्राय उन सभी कार्यवाहियों से है जिनमें किसी अपराधी को दोषसिद्ध या दोषमुक्त करने के लिये न्यायालय सशक्त हो. यद्यपि संहिता में विचारण को परिभाषित नहीं किया गया है, किन्तु जांच की परिभाषा अप्रत्यक्ष रूप से विचारण को इस प्रकार परिभाषित करती है कि प्रत्येक कार्यवाही जो जाँच नहीं है (विचारण हैं).

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (g) के अन्तर्गत जाँच शब्द की परिभाषा इसे संदेह से परे कर देता है कि ‘जाँच’ ‘विचारण’ से भिन्न होती है और यह कि जब विचारण प्रारम्भ होता है तो जाँच समाप्त हो जाती है.

R. सरला बनाम T.S.वेलू  [(2000) 4 SSC] के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि अन्वेषण (Investigation) तथा परीक्षण, आपराधिक न्याय प्रशासन में दो अलग-अलग धारणायें हैं. न्यायालय अन्वेषण अधिकारी को यह निर्देश नहीं दे सकता है कि वह आरोप पत्र दाखिल करने के लिये लोक अभियोजक की सलाह ले.

जांच, अन्वेषण और विचारण में अन्तर

आधारजांचअन्वेषणविचारण
प्रकृतिइसकी प्रकृति न्यायिक होती है.इसकी प्रकृति न्यायिकेत्तर होती है. इसकी प्रकृति न्यायिक होती है.
संचालनजांच का संचालन मजिस्ट्रेट अथवा न्यायालय द्वारा ही किया जा सकता है.अन्वेषण कोई पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट से भिन्न कोई भी व्यक्ति कर सकता है जिसे मजिस्ट्रेट इस निमित्त प्राधिकृत करे.विचारण भी मजिस्ट्रेट अथवा न्यायालय द्वारा ही किया जा सकता है.
उद्देश्यजांच का उद्देश्य अभियुक्त को दोष-सिद्ध करना या सेशन न्यायालय अथवा अधीनस्थ न्यायालय को सुपुर्द करना, वैयक्तिक बन्ध पत्र या प्रतिभूति लेना या भरण-पोषण की कार्यवाही करना है.अन्वेषण का उद्देश्य साक्ष्य एकत्रित करना होता है.विचारण का उद्देश्य अभियुक्त को दोषसिद्ध या दोषमुक्त करना है.
मामलाजांच इस बात का पता लगाने के लिये भी की जाती है कि वास्तव में प्रथमदृष्ट्या कोई मामला बनता है या नहीं.अन्वेषण अपराध एवं शान्ति भंग के मामलों में साक्ष्य एकत्रित करने हेतु किया जाता है.विचारण केवल अपराध पर विचार करने हेतु किया जाता है.
शपथपरीक्षित व्यक्तियों को शपथ दिलायी जा सकती है.शपथ नहीं दिलायी जाती है.परीक्षित व्यक्तियों को शपथ दिलायी जा सकती है.

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