इद्दत का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | इद्दत की अवधि में विधवा स्त्री के अधिकार और दायित्व

इद्दत का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | इद्दत की अवधि में विधवा स्त्री के अधिकार और दायित्व

इद्दत का अर्थ

‘इद्दत’ का शाब्दिक अर्थ है ‘गणना करना’. इसके तहत, यह एक अवधि होती है जिसमें मृत्यु या विवाह विच्छेद के पश्चात् किसी विधवा या तलाकशुदा स्त्री के पुनर्विवाह करने पर प्रतिबन्ध रहता है. इद्दत का मुख्य उद्देश्य है सुनिश्चित करना कि विधवा स्त्री अपने मृतक पति द्वारा गर्भवती है या नहीं |

इद्दत की परिभाषा

मुस्लिम विधि के अन्तर्गत इद्दत उस अवधि को कहते हैं जिसमें मृत्यु या विवाह विच्छेद के पश्चात् किसी विधवा या तलाकशुदा स्त्री के पुनर्विवाह करने पर प्रतिबन्ध रहता है.

न्यायमूर्ति महमूद के अनुसार, इद्दत वह अवधि है जिसकी समाप्ति के बाद दूसरा विवाह वैध हो जाता है. यह वह अवधि है जिसकी समाप्ति के पूर्व किसी ऐसी स्त्री को पुनः विवाह करना वर्जित है, जिसका कि पहले वाला विवाह सम्बन्ध समाप्त हो चुका है. यह एक प्रतीक्षा का समय है. पति की मृत्यु के बाद स्त्री के लिये इद्दत अवधि बिताने का महत्व यह है कि इससे यह निश्चित हो सके कि विधवा स्त्री अपने मृतक पति द्वारा गर्भवती है या नहीं. विवाह विच्छेद के बाद इद्दत का उद्देश्य यह है कि इसके द्वारा तलाकशुदा स्त्री की संतान की पैतृकता निश्चित की जा सके |

इद्दत के प्रकार

इद्दत के कई प्रकार होते हैं, और इनमें से कुछ मुख्य प्रकार हैं-

1. विधवा की इद्दत

जब कोई व्यक्ति विधवा पत्नी छोड़कर मर जाता है, तो विधवा को चार माह दस दिन की अवधि खत्म होने से पहले विवाह करना मना है. यदि वह गर्भवती है, तो इद्दत समय गर्भपात होने तक या बच्चे के पैदा होने तक नहीं होता.

2. विवाह विच्छेद की इद्दत

यदि तलाक की स्थिति में स्त्री को मासिक धर्म होता है, तो इद्दत तीन मासिक धर्मों तक होता है. यदि मासिक धर्म नहीं है, तो यह तीन चन्द्रमास का होता है.

3. अनियमित विवाह की स्थिति में

अनियमित विवाह की स्थिति में इद्दत का पालन करना आवश्यक नहीं होता, परंतु विवाह को पूर्णावस्था प्राप्त होने पर इद्दत का पालन आवश्यक होता है.

इद्दत की अवधि

इद्दत की अवधि किसी भी विशेष स्थिति के आधार पर बदल सकती है, और इसका पालन धार्मिक और कानूनी दिशा से किया जाता है |

इद्दत के अधिकार और कर्तव्य

इद्दत की अवधि में कुछ अधिकार और कर्तव्य होते हैं-

  1. पत्नी इद्दत की अवधि में पति से भरण-पोषण पा सकती है.
  2. इद्दत की अवधि के दौरान पत्नी किसी दूसरे पुरुष से विवाह नहीं कर सकती है.
  3. पत्नी मुवज्जल मेहर की हकदार हो जाती है.
  4. यदि पति की मृत्यु होती है, तो इद्दत की अवधि पूरी होने से पहले दम्पति में से किसी की भी मृत्यु हो जाती है, तो वह सम्पत्ति में उत्तराधिकार पाने का हकदार होता है.
  5. यदि विवाह विच्छेद मृत्यु रोग में दिया गया हो और पत्नी की इदत अवधि पूरी होने से पहले पति मर जाता है तो पत्नी पति की सम्पत्ति में उत्तराधिकार पाने की हकदार होगी |

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