पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | पर्यावरण संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय विकास

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पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | पर्यावरण संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय विकास

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है कि पर्यावरण में किसी प्रकार की विकृति को पैदा करने वाले कारकों की उपलब्धता है, चाहे वो वांछित हो या अवांछित. इसमें प्राकृतिक और जीवों के बीच का संतुलन अवस्था को बिगाड़ने वाले किसी भी प्रदूषक की विद्यमानता होती है |

पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 2 (c) के अनुसार, पर्यावरण प्रदूषण का तात्पर्य “पर्यावरण में किसी पर्यावरणीय प्रदूषक की विद्यमानता है”. और धारा 2 (b) अनुसार, प्रदूषक से तात्पर्य वे पदार्थ अथवा तत्व होते हैं जो मृदा, वायु और जल के भौतिक, रासायनिक, और जैविक गुणों में परिवर्तन उत्पन्न करके, मनुष्य के जीवन और उसके रहन-सहन को प्रभावित करते हैं, प्रदूषक कहलाते हैं |

प्रदूषक के प्रकार

प्रदूषक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

1. सूक्ष्म जीव द्वारा अपघटनीय

ये पदार्थ होते हैं जो सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित होकर अपने विषाक्त पदार्थ को खो देते हैं, और इन्हें अपघटनीय प्रदूषक कहा जाता है. उदाहरण के लिए, जैवीय अवशिष्ट पदार्थ और कूड़ा करकट इस प्रकार के प्रदूषक हैं.

2. सूक्ष्म जीव द्वारा अनपघटनीय

ऐसे पदार्थ होते हैं जो सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, और इन्हें अनपघटनीय प्रदूषक कहा जाता है |

प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण के अंतर्गत निम्नलिखित प्रदूषण सम्मिलित हैं-

1. वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषक गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड (CO₂), सल्फर के ऑक्साइड (SO, SO₂, SO₃, S7O2, S6O2, S₂O₂), नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NO, NO₂, N₂O₃, N2O5, N₂O₄), कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (CNH₂N+2), अमोनिया (NH₃), लेड (Pb), अल्डेहाड्स, ऐस्बेस्टस बेरीलियम.

वायु प्रदूषण के कारण

कोयला जलाना, पेट्रोल और डीजल की उपयोग, औद्योगिक प्रक्रियाएँ, ठोस पदार्थों का निष्कासन, सीवर, आदि.

2. जल प्रदूषण

जल प्रदूषण के तत्व शामिल होते हैं-

अमोनिया (NH₃), यूरिया नाइट्रेट (CH5N₃O₄) और नाइट्राइट (NO₃⁻), क्लोराइड, फ्लोराइड, कार्बनेट्स (CO₃²⁻), तेल और ग्रीस, कीटनाशक टेनिन, कोलिफार्म सल्फेट्स और सल्फाइड, भारी धातुएँ, शीशा और अर्सेनिक पारा, मैंगनीज, रेडियोधर्मी पदार्थ, सीवर नालियां, नगरीय प्रवाह, उद्योगिक और कृषि से आने वाले जहरीले प्रवाह, खेतों से आने वाले प्रवाह, अणु संयंत्रों से आने वाले प्रवाह.

3. मृदा प्रदूषण

मृदा प्रदूषण के कारण मानव और पशु निष्कासित पदार्थ, वायरस और बैक्टीरिया, कूड़ा करकट, कीटनाशक, क्षार, फ्लोराइड, रेडियोधर्मी पदार्थ, अनुचित मानव क्रियाएं, औद्योगिक व्यर्थ पदार्थ, उर्वरक, और कीटनाशक शामिल होते हैं.

4. ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के कारण में हवाई जहाज, स्वचालित वाहन, औद्योगिक क्रियाएँ और लाउड स्पीकर शामिल होते हैं.

पोषणीय विकास

पोषणीय विकास वह विकास है जो भावी पीढ़ियों को उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने की योग्यता को बिना जोखिम में डाले वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकता को पूरा करती है.

प्राचीन काल में मानव और पर्यावरण के बीच एक संतुलन था. कोई पर्यावरण संबंधी समस्या नहीं थी. किन्तु समय के साथ, मानव के आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकास की आवश्यकता हुई, और इसलिए मानव सृष्टि ने ध्यान में रखकर किया गया विकास हुआ. इस प्रक्रिया में मानव और प्राकृतिक जगत उपेक्षित हुआ, जिससे अनेक पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हुईं. अब सवाल यह है कि क्या हमें विकास बंद कर देना चाहिए? नहीं, इसलिए पोषणीय विकास की गई विचारधारा का प्रस्तुत किया गया है. आज, हर क्षेत्र में संवैधानिक विकास को महत्वपूर्ण दिया जा रहा है, जैसे कृषि क्षेत्र में जैव उर्वरक और जैव विनाशक का उपयोग करके.

पर्यावरण संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय विकास

पर्यावरण के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रयास का प्रथम सोपान स्टॉकहोम सम्मेलन से माना जाता है. 1972 में स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में 5 जून से 16 जून तक पर्यावरण के सम्बन्ध में सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में पहली बार “एक ही पृथ्वी” के सिद्धान्त को सम्मेलन में सम्मिलित विश्व के 119 देशों ने स्वीकार किया.

इस सम्मेलन को स्टॉकहोम घोषणा पत्र, 1972 के नाम से जाना जाता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए किये गये प्रयासों की संक्षिप्त रूपरेखा इस प्रकार है-

  1. प्रथम जलवायु सम्मेलन (1972, स्टॉकहोम, स्वीडन): पहली बार पर्यावरण प्रदूषण मुद्दा बना.
  2. द्वितीय जलवायु सम्मेलन (1990, स्टॉकहोम, स्वीडन): जलवायु परिवर्तन मसौदा तैयार किया गया.
  3. प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (1992, रियो डि जेनेरियो, ब्राजील)
  4. जलवायु परिवर्तन की समस्या पर संयुक्त राष्ट्र संघ का विशेष सत्र (1997, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका): इस सम्मेलन में रियो डि जेनेरियो सम्मेलन के बाद की स्थिति की समीक्षा की गई.
  5. क्योटो सम्मेलन (1997, क्योटो, जापान): जलवायु परिवर्तन समस्या पर अब तक का सबसे महत्वपूर्ण सम्मेलन.
  6. द्वितीय पृथ्वी सम्मेलन (2002, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका).
  7. तृतीय पृथ्वी सम्मेलन (2012, रियो डि जेनेरियो, ब्राजील).
  8. पृथ्वी सम्मेलन (2015, पेरिस, फ्रांस): पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन क्लाइमेट चेंज के प्रति बढ़ती समझ और उस पर नियंत्रण के लिए किया गया था |

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के कई प्रभाव हो सकते हैं, जो मानव स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधनों, और जीवन को प्रभावित करते हैं-

1. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

वायु और जल प्रदूषण मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे अस्थमा, एलर्जी, डिलीशियस इंफेक्शन, और कैंसर.

2. जीवों और जैव विविधता पर प्रभाव

प्रदूषण के कारण जैव विविधता पर असर पड़ सकता है, जो बिना अवश्यकता के कई प्रजातियों की मृत्यु की ओर बढ़ सकता है.

3. प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव

प्रदूषण जल, भूमि, और वनस्पति संसाधनों को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनकी गुणवत्ता कम होती है और मानवों के लिए संकट पैदा होता है.

4. जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम परिवर्तन, उच्चतम और न्यूनतम तापमान की वृद्धि, और सील लेवल की वृद्धि हो सकती है, जिसके असर से समुद्र तटों के बिगड़ने की समस्या हो सकती है |

पर्यावरण प्रदूषण का नियंत्रण

पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें कई कदम उठाने होते हैं-

1. जलवायु उन्नति

उद्योगों और परिवारों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना.

2. स्वच्छ ऊर्जा

ऊर्जा उपयोग को वनस्पतिक ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर मोड़ने का प्रयास करना.

3. प्रदूषण नियंत्रण उपायों का अनुसरण

सरकारों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों का पालन करने के लिए जिम्मेदारी देना.

4. पर्यावरणीय शिक्षा

जनता को पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करना.

5. संरक्षित क्षेत्रों की रक्षा

जीवों के लिए संरक्षित क्षेत्रों को बचाने और बढ़ावा देने का प्रयास करना.

6. शैक्षिक उपायों का उपयोग

प्रदूषण कम करने वाले प्रौद्योगिकी और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का उपयोग करना.

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए समुदाय के साथ मिलकर कई प्रयासों की आवश्यकता है. प्रदूषण को कम करके हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं, जिससे हमारे भविष्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी |

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