किशोर न्याय अधिनियम 2015 के लक्ष्य, उद्देश्य एवं विशेषताएं

किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के लक्ष्य एवं उद्देश्य संसद ने 1986 में किशोर न्याय अधिनियम पारित किया था जिसे सन् 2000 में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख तथा संरक्षण) अधिनियम पारित करके 1986 के अधिनियम को समाप्त कर दिया गया. किशोर न्याय अधिनियम, 2015 पारित होने पर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख तथा संरक्षण) अधिनियम, … Read more

अपीलीय न्यायालय की शक्तियां

अपीलीय न्यायालय की शक्तियां दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 386 अपीलीय न्यायालय की शक्तियों का वर्णन करती है, जिसके अनुसार ऐसे अभिलेखों के परिशीलन (Persuing) और यदि अपीलार्थी या उसका प्लीटर हाजिर हों तो उसे तथा लोक अभियोजक (Public Prosecutor) हाजिर हो तो उसे और धारा 377 या धारा 378 के अन्तर्गत अपील की … Read more

सूचना एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट से आप क्या समझते हैं?

सूचना सूचना (Information) शब्द से तात्पर्य यह है कि अपराध की सूचना इस आशय से दी जाती है कि पुलिस मामले की जांच की कार्यवाही शुरू करे. यह सूचना या तो मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को दी जाती है. यह सूचना उस सूचना से भिन्न होती है जो कि पुलिस एक अपराध की जाँच करने … Read more

जमानती और अजमानतीय अपराध क्या है? दोनों में क्या अंतर है?

जमानतीय अपराध भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 2(a) के अनुसार, जमानतीय अपराध (Bailable Offence) से अभिप्राय ऐसे अपराध से है- CrPC की प्रथम अनुसूची में जमानतीय एवं अजमानतीय अपराधों का उल्लेख किया गया है. जो अपराध जमानतीय बताया गया है उसमें अभियुक्त को जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्तव्य है. … Read more

पुलिस कब किसी व्यक्ति को बिना वारन्ट के गिरफ्तार कर सकती है? | CrPC 41 In Hindi

व्यक्ति का बिना वारंट गिरफ्तार किया जाना संविधान के द्वारा व्यक्तियों को कई मौलिक अधिकार दिये गये हैं. संविधान के अनुच्छेद 21 में यह व्यवस्था की गई है कि “सिवाय विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी व्यक्ति को अपने जीवन या वैयक्तिक स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जायेगा.” महाराष्ट्र राज्य बनाम कम्युनिटी वेल्फेयर कौंसिल … Read more

जांच, अन्वेषण एवं विचारण किसे कहते हैं? तीनों में क्या अंतर है?

जांच, अन्वेषण एवं विचारण जांच, अन्वेषण एवं विचारण तीनों ही शब्द ऊपर से एक-दूसरे के पूरक अर्थात् पर्यायवाची लगते हैं. इन तीनों का उद्देश्य भी लगभग एक-जैसा प्रतीत होता है. अपराध एवं अपराधी का पता लगाना अर्थात् अपराध से अपराधी तक पहुँचना. लेकिन इतना सब कुछ होते हुये भी इन तीनों में मौलिक अन्तर है … Read more

वकील, अधिवक्ता और बैरिस्टर के बीच अंतर?

वकील वकील किसे कहते हैं? “वकील (Lawyer)” का अर्थ होता है कोई व्यक्ति जो कानून पढ़ चुका है और कानूनी सलाह देने और कानूनी मामलों में ग्राहकों का प्रतिनिधित्व करने के योग्य होता है. यह एक व्यापक शब्द है जिससे सॉलिसिटर, बैरिस्टर, एटॉर्नी, और कानूनी सलाहकार जैसे विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों का सम्मिलित आभास होता है. … Read more

परिवीक्षा का अर्थ | अपराधी को परिवीक्षा के अधीन छोड़े जाने सम्बन्धी CrPC के प्रावधान

परिवीक्षा का अर्थ परिवीक्षा का अर्थ होता है एक विश्लेषण या मूल्यांकन का प्रक्रिया. इसे आमतौर पर किसी विषय, घटना, उत्पाद, सेवा, योजना या किसी अन्य प्रभावकारी पदार्थ के गुण, फायदे, दुष्प्रभाव, कार्यप्रणाली, प्रदर्शन, संगठन, नियम और अन्य पहलुओं की मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है. यह विशेष रूप से निर्णय लेने, सुधार करने … Read more

धारा 156(3) सीआरपीसी | CrPC 156(3) In Hindi | CrPC 156(3) के तहत मजिस्ट्रेट की शक्ति

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 156(3) के अनुसार, किसी मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया जा सकता है कि वह पुलिस को कुछ विशेष मामलों में जांच कराने के लिए आदेश दे. यहां एक संक्षेप में इस धारा के बारे में जानकारी है- 1. FIR की अस्वीकार यदि किसी व्यक्ति एक पुलिस थाने में शिकायत … Read more

शमनीय अपराध क्या है? | वापसी और प्रशमन के बीच अंतर

शमनीय अपराध शमनीय अपराध क्या है? शमन करना समझौते का पक्षकारों के बीच एक मामला होता है. किन्तु अपराधों का शमन करना यह सूचित करता है कि पक्षकारों के बीच झगड़ा परस्पर सहमति से तय हो गया है या उसका समायोजन हो गया है. इसका मतलब है कि मामले में एक ऐसी अवस्था आ पहुँची … Read more