किसी कंपनी के निदेशकों की शक्तियां एवं कर्तव्य

कंपनी के कारबार का संचालन एवं प्रबन्धन निदेशकों द्वारा ही किया जाता है. वस्तुतः कंपनी का सारा कामकाज निदेशकों के जिम्मे ही होता है. यही कारण है कि कंपनी अधिनियम के अन्तर्गत निदेशकों को विपुल शक्तियां प्रदान की गयी हैं. वास्तविकता तो यह है कि कम्पनी की शक्तियों का प्रयोग उसके निदेशकों द्वारा ही किया … Read more

एक कंपनी में निदेशकों की नियुक्ति के 5 तरीके | निदेशकों की अयोग्यता

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 152 में निदेशकों की नियुक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है. कंपनी के प्रबन्धन में निदेशकों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अतः यह अपेक्षा की जाती है कि कम्पनी के निदेशक पद पर कर्तव्यनिष्ठ कार्यकुशल एवं दक्ष व्यक्ति को ही नियुक्त किया जाना चाहिये. धारा 149(3) में यह … Read more

कंपन किसे कहते हैं? | कंपनी का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

कंपनी का अर्थ ‘कंपनी’ शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है. इसकी उत्पत्ति दो लैटिन शब्दों ‘कम’ (Com) और ‘पेनिस’ (Panis) के मेल से हुई है, जिनका अर्थ क्रमश: ‘साथ-साथ’ तथा ‘रोटी’ होता है. प्रारम्भ में ‘कंपनी’ शब्द का आशय ऐसे व्यक्तियों के समूह से था जो भोजन के लिये एकत्रित हुए हों | यह … Read more

कंपनी का निगमन क्या है?

कंपनी का निगमन कंपनी के निगमन को कंपनी के विनिर्माण का द्वितीय चरण कहा जाता है. कंपनी का निगमन होते ही कंपनी अपना अस्तित्व प्राप्त कर लेती है. कंपनी के निगमन के पूर्व आवश्यकतायें अंशों के निर्मित करने तथा विवरण पत्र प्रस्तुत करने के पूर्व कंपनी के ज्ञापन पत्र के योगकर्ताओं को कम्पनियों के पंजीयक … Read more

अंश पूंजी के प्रकार

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 43 के अनुसार, अंश सीमित कम्पनी की अंश पूंजी दो प्रकार की होती है. 1. ईक्विटी अंश पूंजी 2. अधिमान्य प्राप्त अंश पूंजी परन्तु इस अधिनियम की कोई भी बात उन अधिमान्यता प्राप्त अंशधारियों के प्रति लागू नहीं होगी जो कम्पनी के परिसमापन की दशा में उससे प्राप्त होने वाली … Read more

अंश का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | पूर्वाधिकार अंश के प्रकार

अंश का अर्थ ‘अंश’ जिसे प्रचलित भाषा में ‘शेयर’ कहा जाता है, कंपनी के लिए अर्थ संग्रहण अर्थात पूँजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत अथवा साधन है. कंपनी के व्यापार, व्यवसाय एवं कारबार के संचालन में अंशों का अहम योगदान रहता है. कंपनी अंशों, ऋणपत्र एवं स्थायी जमा आदि संसाधनों से ही पूँजी जुटाती है … Read more

पब्लिक कंपनी एवं प्राइवेट कंपनी क्या है? दोनों में क्या अंतर है?

पब्लिक/सार्वजनिक/लोक कंपनी कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(71) के अनुसार “लोक कंपनी का तात्पर्य ऐसी कंपनी से है जो प्राइवेट कंपनी नहीं है, जिसकी ऐसी पूँजी है जो विहित की जायें. कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा शब्द “जिसकी पाँच लाख रुपये की न्यूनतम समादत्त पूंजी या ऐसी उच्चतर समादत्त पूँजी” विलोपित कर दिये गये हैं. … Read more

वकील, अधिवक्ता और बैरिस्टर के बीच अंतर?

वकील वकील किसे कहते हैं? “वकील (Lawyer)” का अर्थ होता है कोई व्यक्ति जो कानून पढ़ चुका है और कानूनी सलाह देने और कानूनी मामलों में ग्राहकों का प्रतिनिधित्व करने के योग्य होता है. यह एक व्यापक शब्द है जिससे सॉलिसिटर, बैरिस्टर, एटॉर्नी, और कानूनी सलाहकार जैसे विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों का सम्मिलित आभास होता है. … Read more

अंश का अर्थ, परिभाषा एवं अंशों के कुछ अन्य प्रकार

एक संयुक्त स्टाक (स्कंध) कम्पनी अपनी पूँजी को समान वर्ग की इकाइयों में विभाजित करती है. प्रत्येक इकाई को अंश कहते हैं. यह इकाइयों जैसे अंश को पूँजी की प्राप्ति के लिये विक्रय का प्रस्ताव किया जाता है. इस प्रक्रिया को अंशों का निर्गमन कहते हैं. एक व्यक्ति जो अंशो का क्रय करता है, अंशधारी … Read more

एक कंपनी में कितनी प्रकार की बैठकें (सभाएं) होती हैं?

कंपनी की बैठक कंपनी की प्रशासनिक व्यवस्था में बैठकों अर्थात सभाओं एवं अधिवेशनों (Meetings) का महत्वपूर्ण स्थान है. बैठक से अभिप्राय कंपनी के सदस्यों का एक साथ मिल बैठकर किसी विषय पर चर्चा अथवा विचार विमर्श करने से है | कंपनी की बैठकों के प्रकार? कंपनी की बैठकें या सभाएं चार प्रकार की होती है. … Read more