भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत विशेषज्ञ कौन है?

विशेषज्ञ से आप क्या समझते हैं?

विशेषज्ञ कौन है?

विशेषज्ञ (Expert) उसे कहते हैं, जिसने ज्ञान की किसी विशेष शाखा का अध्ययन किया हो और अनुभव द्वारा उसमें कुशलता प्राप्त की हो. जो व्यक्ति ज्ञान विज्ञान की किसी विशेष शाखा में खासकर कुशल हो वह उस विषय का विशेषज्ञ है. परन्तु फिर भी इस शब्द का अभिप्राय किसी विषय में उच्च ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव दोनों से है.

सामान्य नियम तो यह है कि साक्षी किसी तथ्य के बारे में जो कुछ जानता है वही कथन करे। किसी तथ्य पर राय देने का काम साक्षी का नहीं है. परन्तु कुछ तथ्य ऐसे होते हैं जिन पर राय लेना जरूरी हो जाता है. इसीलिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में यह उपबन्धित किया गया है कि विशेष विषयों पर अन्य व्यक्तियों की राय को भी साक्ष्य में ग्रहण किया जा सके.

विशेषज्ञों की राय की ग्राह्यता के सम्बन्ध में आधारभूत सिद्धान्त यह है कि जिस विषय पर विशेषज्ञ की राय ली जा रही है उस पर उसका ज्ञान अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा ऊँचा है, क्योंकि उसने अध्ययन में तथा अनुभव में समय लगाया है.

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दूसरे न्यायालय के समक्ष ऐसे वाद भी आ सकते हैं. जिनमें बिना किसी विशेषज्ञ या अनुभवी व्यक्ति की सहायता के न्यायालय किसी तथ्य के सही निष्कर्ष पर पहुँचने में असमर्थ हो क्योंकि ज्ञान की सभी शाखाओं की जानकारी की आशा न्यायालय से नहीं की जा सकती.

न्यायालय के समक्ष ऐसे प्रश्न भी आ सकते हैं जो सामान्य ज्ञान और अनुभव से परे हों तथा उसके सही निर्णय के लिए विशेष अध्ययन, ज्ञान, अनुभव या अनुसंधान की आवश्यकता हो, इस कारण भी विशेषज्ञ की राय लेना आवश्यक है |

किन मामलों में विशेषज्ञों की रायें सुसंगत होती हैं?

  1. विदेशी विधि (Foreign Law)
  2. विज्ञान या कला (Science Or Art)
  3. हस्तलेख (Handwriting)
  4. अंगुलि चिह्नों (Finger Impressions)
  5. अंकीय हस्ताक्षर (Digital Signature)

1. विदेशी विधि

जब न्यायालय को किसी विदेशी राष्ट्र की विधि के विषय में राय बनानी हो तो उस विधि के विशेषज्ञ को न्यायालय के समक्ष उस विषय पर राय देने हेतु बुलाया जा सकता है.

2. विज्ञान या कला

जब न्यायालय को कला या विज्ञान विषय पर राय बनानी होती है तो उस विषय पर विशेष कुशल व्यक्तियों की राय सुसंगत तथ्य है।

3. हस्तलेख

जब न्यायालय को लिखावट के विषय में राय बनानी होती है तो विशेषज्ञों की राय ग्राह्य होती है, परन्तु इस सन्दर्भ में विशेषज्ञ की राय कमजोर मानी जाती है.

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4. अंगुलि चिह्नों

इस सम्बन्ध में विशेषज्ञ की राय हस्तलेख विशेषज्ञ से उच्च मानी जाती है. दीवानी कार्यवाही में भी इसका विशेष महत्व होता है.

5. अंकीय हस्ताक्षर

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुसार, जब न्यायालय को किसी व्यक्ति के अंकीय हस्ताक्षर के बारे में राय बनाना हो तो प्रमाणक प्राधिकारी (Certifying Authority) की राय जिसने अंकीय हस्ताक्षर प्रमाणपत्र निर्गत किया है एक सुसंगत तथ्य है. प्रमाण प्राधिकारी का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जिसे अंकित हस्ताक्षर प्रमाणपत्र निर्गत करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 24 के अन्तर्गत अनुज्ञप्ति (Licence) मंजूर की गई है |

विशेषज्ञ की साक्ष्य का मूल्य

यदि किसी साक्षी के साक्ष्य का महत्व कम समझा जाता है तो वह विशेषज्ञ का साक्ष्य होता है क्योंकि वह केवल अपनी राय देता है किसी तथ्य के बारे में कथन नहीं करता। प्रायः ऐसा होता है कि विशेषज्ञ जिस पक्षकार द्वारा बुलाया जाता है. वह उस पक्षकार के हित को ध्यान में रखते हुये अपनी राय देता है क्योंकि उसे उससे पैसा मिला रहता है.

ऐसा भी होता है कि एक ही विषय पर एक पक्षकार द्वारा बुलाया गया विशेषज्ञ एक राय देता है तो दूसरा पक्षकार भी उसी विषय पर एक विशेषज्ञ बुला लेता है, जो ठीक उल्टी राय देता है. ऐसी दशा में वे स्वतन्त्र राय दे ही नहीं सकते। प्रिवी कौन्सिल ने एक बार कहा था कि विशेषज्ञ से अधिक असंतोषजनक साक्ष्य अन्य किसी का हो ही नहीं सकता।

किसी विशेषज्ञ की राय निम्न आधारों पर अस्वीकार किया जा सकता है-

  1. वह राय बनाने के लिये उचित मानसिक दशा में नहीं था.
  2. वह किसी में हितबद्ध था.
  3. वह भ्रष्ट आचरण का व्यक्ति है.
  4. वह अन्य प्रतिकूल राय अभिव्यक्त कर चुका है |

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