अपकृत्य क्या है? | अपकृत्य का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

What is tort? , Meaning, definition and characteristics of tort

अपकृत्य का अर्थ

टार्ट शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द टॉर्टम (Tortum) से हुई है जिसका समानार्थी शब्द अंग्रेजों में ‘Wrong’ (अनुचित) एवं हिन्दी में ‘अपकृत्य’ होता है. अंग्रेजी भाषा में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम नार्मन-विधिशास्त्रियों ने किया जिनके अनुसार, ‘टॉर्ट’ (Tort) शब्द का अर्थ उन कार्यों से था जिसके करने से किसी व्यक्ति विशेष को विधिक क्षति पहुँचे और क्षतिकर्त्ता को उसकी क्षतिपूर्ति करनी पड़े, भले ही ऐसा कार्य क्षतिकर्त्ता ने जाने या अनजाने में किया हो |

अपकृत्य की परिभाषा

अपकृत्य (Tort) की परिभाषा विभिन्न विधिशास्त्रियों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से की है. कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित है-

सामण्ड के अनुसार, ‘अपकृत्य एक दीवानी दुष्कृति है जिसका उपचार क्षतिपूर्ति के मुकदमे की कार्यवाही है, जो कि एकमात्र संविदा-भंग, न्यासभंग एवं अन्य किसी साम्यिक दायित्व से भिन्न होता है’.

फ्रेजर के अनुसार, ‘अपकृत्य किसी व्यक्ति के अधिकार का सामान्य रूप से है जो क्षतिग्रस्त व्यक्ति को क्षतिपूर्ति के लिये मुकदमा चलाने का अधिकार देता है।”

क्लार्क एण्ड लिंडसे के अनुसार, ‘अपकृत्य संविदा से स्वतन्त्र ऐसा दोष है जिसके लिये उपयुक्त कार्यवाही सामान्य विधिक अनुयोजन है।’

फ्लेमिंग के अनुसार, ‘बहुत साधारण शब्दों में अपकृत्य से भिन्न सिविल दोष है, जिसके लिये विधि क्षतिपूर्ति के आदेश द्वारा उपचार प्रदान करती है।’

डॉ. अन्डरहिल ने अपकृत्य को परिभाषित करते हुए लिखा है अपकृत्य संविदा से पूर्णरूपेण भिन्न ऐसा अनधिकृत कृत्य है जो किसी व्यक्ति के पूर्ण अधिकार का उल्लंघन करता है या किसी व्यक्ति के सीमित अधिकार का उल्लंघन कर उसे क्षति पहुँचाता है, अथवा किसी सार्वजनिक अधिकार की इस प्रकार अवहेलना करता है जिससे किसी व्यक्ति विशेष को सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा अधिक क्षति पहुँचती है, जिसके परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त व्यक्ति क्षतिकर्त्ता के विरुद्ध क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए मुकदमा चलाने का अधिकारी हो जाता है.

डॉ. विनफील्ड (Dr. Winfield) के कथनानुसार, ‘अपकृत्य सम्बन्धी दायित्व विधि द्वारा सुनिश्चित कर्त्तव्य-भंग से उत्पन्न होता है. यह कर्त्तव्य सामान्य व्यक्तियों के प्रति होता है और इसकी अवहेलना का उपचार क्षतिपूर्ति का मुकदमा चला कर प्राप्त किया जाता है।’

जहां तक किसी भी परिभाषा की पूर्णता एवं उपयुक्तता का प्रश्न है हम किसी भी परिभाषा को पूर्ण नहीं कह सकते हैं, परन्तु क्लार्क एवं लिण्डसे ने डॉ. विनफील्ड की परिभाषा को अन्य परिभाषाओं की अपेक्षा उचित माना है |

अपकृत्य की विशेषतायें

  1. अपकृत्य किसी व्यक्ति के अधिकार का अतिलंघन है या उसके प्रति अन्य व्यक्ति द्वारा कर्तव्य की है.
  2. अपकृत्य उन अनुचित कृत्यों से भिन्न होता है जो पूर्ण रूप से संविदा भंग के अन्तर्गत आते हैं.
  3. व्यवहार न्यायालयों में नुकसानी पाने की कार्यवाही करके इसका उपचार प्राप्त किया जा सकता है.
  4. यह उन कृत्यों से भी भिन्न है जिन्हें अपराध कहा जाता है.
  5. अपकृत्य में जिस अधिकार का अतिक्रमण होता है ये सर्वबन्धी अधिकार होते हैं.
  6. अपकृत्य विधि का उद्देश्य है क्षतिपूर्ति अर्थात वादी को यथासम्भव उस अवस्था में ला देना मानों उसके प्रति कोई अपकृत्य न हुआ हो.

सभी व्यावहारिक क्षतियां अपकृत्य नहीं हैं

यद्यपि आवश्यक रूप में एक व्यावहारिक क्षति अपकृत्य है परन्तु धारणा यह है कि जब सामान्य हानि का कोई विशेष कृत्य किसी को व्यक्तिगत हानि पहुँचाता है वहीं पर व्यक्ति को क्षतिकर्त्ता के विरुद्ध वाद चलाने का अधिकार मिलता है. उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति आम रास्ते में रुकावट पैदा करता है तो यह अपकृत्य न होकर अपराध होगा और केवल सरकार ही उसके विरुद्ध अभियोजन कर सकती है.

परन्तु इस प्रकार की रुकावट से किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचती है अर्थात यह रुकावट किसी को हानि पहुँचाने के कार्य में देर करने या उसे चोट पहुँचाने की नीयत से डाली गई है तो अतिग्रस्त व्यक्ति को भी रुकावट पैदा करने वाले व्यक्ति से क्षतिपूर्ति पाने के लिए बाद लाने का अधिकार उत्पन्न हो जाता है.

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सभी व्यावहारिक क्षतियां अपकृत्य नहीं होती हैं अपितु जब सामान्य हानि का कोई विशेष कृत्य किसी को व्यक्तिगत हानि भी पहुँचाता है तभी वह अपकृत्य माना जाता है |

अपकृत्य तथा अपराध के बीच अन्तर

  1. अपकृत्य (Tort) सामान्यतः व्यक्तिगत अधिकार का अतिक्रमण होता है. जबकि अपराध में सार्वजनिक अधिकार का अतिक्रमण होता हैं.
  2. अपकृत्य में क्षतिपूर्ति ही दण्ड के स्वरूप में होती है, जबकि अपराध में दण्ड की अनिवार्यता होती है.
    अपकृत्य में क्षतिपूर्ति वादी को दिलायी जाती है, जबकि अपराध में जुर्माना राज्यकोष में जमा होता है.
  3. अपकृत्य में क्षतिपूर्ति के लिए बाद चलाया जाता है, जबकि अपराध में अभियोजन (Prosecution), अपराधी को दण्ड दिलाने के लिए प्रयास करता है.
  4. अपकृत्य में पीड़ित पक्ष को स्वयं न्यायालय में जाकर क्षतिपूर्ति के लिए प्रार्थना करनी होती है, जबकि अपराध में राज्य स्वयं एक पक्ष होता है तथा अपराधी को दण्ड दिलाने का प्रयास करता है.
  5. अपकृत्य में यह एक दीवानी दोष (Civil Wrong) है तथा वाद दीवानी प्रक्रिया संहिता (CPC) के अनुसार चलाया जाता है, जबकि अपराध में यह दण्ड सम्बन्धी दोष का कोई प्रकार या भेद होता है तथा मुकदमा दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के अनुसार ही चलाया जाता है.
  6. प्रत्येक अपकृत्य के लिए दी जाने वाली क्षतिपूर्ति निश्चित नहीं है, जबकि प्रत्येक परिभाषित अपराध के लिए निश्चित दण्ड की व्यवस्था की गई है |

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