अपकृत्य विधि में विभिन्न प्रकार के उपचार

अपकृत्य विधि के उपचार

अपकृत्य विधि में दो प्रकार के उपाचर उपलब्ध हैं-

  1. न्यायिक उपचार,
  2. न्यायेतर उपचार।

1. न्यायिक उपचार

न्यायिक उपचार (Judicial Remedies) वे उपचार हैं जो हमें न्याय प्रणाली द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं. इस प्रकार के उपाय हमें पहले से उपलब्ध नहीं रहते हैं वरन् क्षतिग्रस्त पक्ष को न्यायालय में दावा दायर करना पड़ता है, अतः यह कहा जा सकता है कि न्यायिक उपचार वे उपचार हैं जो हमें न्याय प्रणाली के अन्तर्गत न्यायालय द्वारा प्रदान किये जाते हैं.

इन उपचारों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

1. क्षतिपूर्ति

अपकृत्य एक दीवानी त्रुटि है जिसके लिये उपचार क्षतिपूर्ति (Damages) के लिए वाद चलाना है, अतः क्षतिपूर्ति प्रत्येक अपकृत्य के मामले में उपलब्ध रहती है. क्षतिपूर्ति का उद्देश्य वादी को आर्थिक सन्तोष दिलाना होता है. क्षतिपूर्ति का उपचार वादी को तभी मिलेगा जब क्षति प्रतिवादी के कार्य का प्रत्यक्ष तथा सीधा परिणाम हो. तथा वादी को क्षति एवं प्रतिवादी के कार्य के कारण एवं प्रभाव का सम्बन्ध या नहीं।

क्षतिपूर्ति कई प्रकार की हो सकती है, जैसे-

  1. अवमानात्मक (Contemptuous) क्षतिपूर्ति,
  2. प्रतीकात्मक (Nominal) क्षतिपूर्ति,
  3. वास्तविक (Real or Substantial) क्षतिपूर्ति,
  4. उदाहरणात्मक एवं प्रतिकरात्मक (Exemplary and Compensatory) क्षतिपूर्ति,
  5. प्रत्याशित (Prospective) क्षतिपूर्ति,
  6. सामान्य एवं विशेष (General and Special) क्षतिपूर्ति।

ससिधर पानीकर बनाम डेनियल, AIR 2004 केरल के वाद में नारियल के पेड़ हाथी के द्वारा नष्ट कर दिये गये. अतः वादी होने वाली क्षति के लिए प्रतिकर प्राप्त करने का हकदार माना गया।

2. व्यादेश अथवा निषेधाज्ञा

जब न्यायालय को अवैध कार्य को करने, जारी रखने तथा दोहराने से रोकने के लिये अथवा किसी वैध कार्य करने का आदेश देता है तो उसे व्यादेश (Injunction) कहा जाता है. यदि न्यायालय किसी कार्य को करने के लिए मना करता है तब उसे आदेशात्मक व्यादेश कहते हैं.

जिन मामलों में क्षतिपूर्ति ही पर्याप्त नहीं होती उन मामलों में निषेधाज्ञा (Injunction) क्षतिपूर्ति के उपाय के रूप में प्रदान की जाती है. व्यादेश, अस्थायी, स्थायी, निषेधात्मक एवं आदेशात्मक हो सकते हैं.

3. सम्पत्ति की पुनर्प्राप्ति

जब वादी की चल तथा अचल सम्पत्ति प्रतिवादी ने अवैध ढंग से हस्तगत कर ली है. वह मुकदमा चलाकर न्यायालय के आदेश द्वारा अपनी विशिष्ट सम्पत्ति को पुनः प्राप्त कर सकता है. साथ ही जितने समय तक सम्पत्ति प्रतिवादी के अवैध कब्जे में रही है उसके लिए क्षतिपूर्ति भी प्राप्त कर सकता है |

2. न्यायेतर उपचार

न्यायेतर उपचार क्या है? कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जबकि वादी को न्यायिक उपचार (Extra-Judicial Remedies) प्राप्त करने का पर्याप्त समय उपलब्ध नहीं रहता है तथा न्यायिक उपचार में विलम्ब ऐसी परिस्थितियों को जटिल बना सकता है. तब न्याय की दृष्टि से कानून व्यक्ति को अपने अधिकारों की रक्षा हेतु कुछ ऐसे अधिकार प्रदान करता है जिनमें व्यक्ति कानून को हाथ लेकर अपने प्रति होने वाले अपकृत्य को रोक सकता है. इन उपचारों को जो विधि द्वारा वैध माने गये हैं और जिनके लिये व्यक्ति को न्यायालय में मुकदमा दायर नहीं करना पड़ता, न्यायेतर उपचार कहा जाता है.

न्यायेतर उपचार के प्रकार

1. आत्म-रक्षा

अपनी जान-माल की रक्षा करना व्यक्ति का वैध अधिकार है. आत्म-रक्षा (Self-defence) में किया गया अपकृत्य अनुयोज्य नहीं होता है. आत्म-रक्षा का अधिकार जान-माल का खतरा उपस्थित होने पर प्रारम्भ होता है और खतरा समाप्त होने पर समाप्त जाता है.

2. अतिचारी का निष्कासन

विधि के अनुसार, अधिकार प्राप्त व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अनधिकार प्रवेश वाले व्यक्ति को निकाल कर अपना कब्जा बनाये रखे. परन्तु अनधिकारी व्यक्ति को निकालने का अधिकार पाने लिए व्यक्ति विधिक कब्जा सम्पत्ति पर होना चाहिये एवं निकालने किया गया बल-प्रयोग उचित सीमित होना चाहिये.

3. पुनर्प्रवेश

यह अधिकार अतिचारी के निष्कासन के अधिकार का पूरक है. अनधिकारी प्रवेश करने वाले व्यक्ति को बेदखल करने साथ ही वैध अधिकार प्राप्त व्यक्ति भूमि पर पुनः प्रवेश करने का अधिकार भी प्राप्त है।

4. सम्पत्ति का पुनर्ग्रहण

सम्पत्ति पर शीघ्र एवं वैध कब्जा पाने अधिकार रखने वाला व्यक्ति उस व्यक्ति अपनी सम्पत्ति पुनः प्राप्त सकता है, जिसने उसे अपने अवैध कब्जे में रोक रखा है. पुनर्ग्रहण के लिए उस व्यक्ति का कब्जा एवं व्यवहार अवैध होना चाहिये जिसने सम्पत्ति रोक रखी है.

5. उपताप का उपशमन

उपताप सार्वजनिक एवं वैयक्तिक दो प्रकार के हो सकते हैं. कुछ परिस्थितियों में उपताप से प्रभावित व्यक्ति सीमित शक्ति का प्रयोग करके उस उपताप को हटा सकता है ताकि उसकी सम्पत्ति या व्यक्ति हानिकारक रूप से प्रभावित न हों. परन्तु इस प्रकार उपताप हटाने में की गई शक्ति प्रयोग से किसी को अनावश्यक क्षति नहीं पहुँचनी चाहिये.

6. नुकसान पूर्ति करस्थम

यदि किसी व्यक्ति के जानवर अनधिकृत रूप से किसी व्यक्ति की भूमि पर प्रवेश करके उसे क्षति पहुँचाते हैं तो क्षतिग्रस्त व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह उन्हें तब तक रोके रखे जब तक कि उन जानवरों का स्वामी उसे क्षतिपूर्ति नहीं दे देता. यह नियम प्रत्येक प्रकार की अचल सम्पत्ति के प्रति लागू होता है |

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