पेटेंट तंत्र के क्या उपयोगिता है? | Utility Of The Patent System

पेटेंट तंत्र के क्या उपयोगिता है? | Utility Of The Patent System

पेटेंट तंत्र की मूल्य/उपयोगिता

पेटेंट तंत्र के क्या उपयोगिता है? आविष्कारकर्ता को इस बात की चिन्ता थी कि उनके आविष्कारों का किसी अन्य के द्वारा उनकी नकल या उनके द्वारा प्रयुक्त तरीकों को अपनाते हुए अतिलंघन नहीं किया जाना चाहिये. अतः आविष्कारकर्ता के हितों को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय पेटेंट और डिजाइन अधिनियम, 1911 का अधिनियमन तत्कालीन ब्रिटिश शासकों के द्वारा किया गया. देश में आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के फलस्वरूप यह आवश्यक समझा गया कि इस विषय पर व्यापक कानून बनाया जाना चाहिए.

पेटेंट तंत्र की उपयोगिता और आवश्यकता को ध्यान में रखकर संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होने के पश्चात राष्ट्रपति द्वारा 19 सितम्बर, 1970 को इस अधिनियम को अनुमति प्रदान की गई.

आर्थिक विकास की प्रक्रिया में तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए व्यापक विकास के क्रम में व्यापार और वाणिज्य में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की विचारधारा ने विश्व व्यापार को एक नया आयाम प्रदान किया. औद्योगिक एवं खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में अमूर्त सांपत्तिक अधिकार मूल्यवान होते जा रहे हैं.

इसलिए पेटेंट तंत्र के आधारभूत सिद्धान्तों एवं पेटेंट अधिनियम से संबंधित जानकारी उन सभी लोगों के लिए उपयोगी, मूल्यपरक और महत्वपूर्ण हो गई हैं जो कारबार या औद्योगिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं, जो वैज्ञानिक एवं तकनीकी के क्षेत्रों में शोधरत हैं.

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में पेटेंट तंत्र की उपयोगिता महत्वपूर्ण और अपरिहार्य हो गयी है. पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका द्वारा भारत के ज्ञान को नई खोज का नाम देकर पेटेंटीकृत किया जा रहा है. अमेरिकी कम्पनी राइसटेक द्वारा ‘बासमती धान को ‘कासमती’ और ‘टेक्समती’ के नाम से पेटेंट करा लेना इसका एक उदाहरण है.

20वीं शताब्दी में औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में आविष्कार की विकास दर में तीव्रतर वृद्धि हुई है और इसको पृष्ठभूमि में पेटेंट तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है. पेटेंट तंत्र किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास, संवर्धन और संरक्षण के लिये अपरिहार्य और मूल्यवान तत्व के रूप में उभर कर सामने आई है. राष्ट्र का सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विकास नवीन आविष्कार और ज्ञान के उपयोग पर निर्भर रहने लगा है जिसके परिणामस्वरूप पेटेंट तंत्र को विधि द्वारा मान्यता और संरक्षण प्रदान किया गया.

पेटेंट किसी आविष्कार के बारे में जो नवीन, प्रकट और औद्योगिक उपयोग के योग्य है, आविष्कारकर्ता को अनुदत्त अधिकार है. आविष्कार किसी पदार्थ में अन्तर्निहित क्षमता की नवीनतम खोज को कहते हैं. वर्तमान समय में पेटेंट के वाणिज्यिक उपयोग की दृष्टि से राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक सम्पदा के रूप में पेटेंट का महत्व बढ़ गया है.

पेटेंट ने बाजार में एकाधिकार प्रतिस्पर्धा को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार पर आधिपत्य जमाने, मांग और पूर्ति पर नियंत्रण द्वारा अधिकाधिक लाभ कमाने के लिए उद्योग एवं वाणिज्यिक से संबंधित व्यक्ति पेटेंट से प्राप्त एकाधिकारी शक्ति का प्रयोग करते हैं. इस प्रकार से पेटेंट तंत्र की उपयोगिता को निम्नलिखित मूल्यों के रूप में व्यक्त किया जा सकता है-

  1. पेटेंट तंत्र आविष्कारकर्ता को पेटेण्ट विधि द्वारा एक सीमित अवधि के लिये संरक्षण प्रदान करता है.
  2. राष्ट्र की औद्योगिक प्रगति में सहायता करता है.
  3. अनुसंधान को प्रोत्साहित करना.
  4. राष्ट्र की उत्पादन क्षमता में गुणात्मक एवं मात्रात्मक वृद्धि करना.
  5. वैज्ञानिक सोच उत्पन्न करना.
  6. आविष्कारकर्ता के लिये पेटेंट आर्थिक लाभ का स्रोत होता है.
  7. पेटेंट आविष्कारक को सारवान् अधिकार हस्तान्तरित करता है.
  8. पेटेंट आविष्कारकर्ता को प्रतिस्पर्द्धा से संरक्षण प्रदान करता है.
  9. पेटेंट किसी आविष्कार के बारे में प्राप्त होने वाला विशिष्ट अधिकार है.
  10. पेटेंट एक प्रकार की बौद्धिक सम्पदा है.

पेटेंट विधि का उद्देश्य और इसकी उपयोगिता वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी एवं औद्योगिक प्रोन्नति को प्रोत्साहित करना है. सन् 1957 में भारत सरकार द्वारा गठित पेटेंट विधि समीक्षा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति N राजगोपाल अय्यंगर ने अपनी रिपोर्ट में जो सन् 1959 में दी थी. रिपोर्ट के लिए उन्होंने पेटेंट-विधि के संबंध में निम्न रिपोर्ट दिया और कहा कि-

पेटेंट की भूमिका मछलियों के तालाब में एक बर्छी की तरह है, इनके माध्यम से जड़ता समाप्त होती है एवं प्रगति को बल मिलता है. उद्योगपतियों की बाध्यता है कि अपने यंत्रों एवं प्रक्रियाओं के उन्नयन के लिए आगे बढ़े और इसका कारण यह भी है कि प्रत्येक उद्योगपति को वह भय सताता है कि यदि उसने कुछ नहीं किया तो दूसरे उद्योगपति कुछ कर गुजरेंगे और उसको इस क्षेत्र में कई वर्षों के लिये पीछे छोड़ जायेंगे. पेटेंट व्यवस्था द्वारा पैदा होने वाला यह परिणाम स्वस्थ है क्योंकि इसके लिए जरूरी है जितना शायद किसी और के लिए जरूरी नहीं है, कि उद्योग की प्रगति होनी चाहिये. मूलतः पेटेंट संरक्षण के लिए यह सही औचित्य प्रस्तुत करता है.

आविष्कारों की दुनिया में पेटेंट का महत्वपूर्ण स्थान है. जब भी कोई व्यक्ति नई वस्तु या उत्पाद का आविष्कार करता है तो वह यह चाहता है कि ऐसे आविष्कार पर उसका एकाधिकार अथवा एकस्व बना रहे तथा राज्य भी उसे मान्यता दे. इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए पेटेंट कानून बनाया गया |

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