दंगा और बल्वा किसे कहते हैं? दोनों में क्या अंतर है?

दंगा और बल्वा किसे कहते हैं? दोनों में क्या अंतर है?

दंगा क्या है?

दंगा फ्रेंच के affraier से बना हुआ है. दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा सार्वजनिक स्थान पर लड़-झगड़ कर सार्वजनिक शान्ति भंग करने वाले कार्य को भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 159 के अन्तर्गत ‘दंगा’ कहा गया है.

दंगा या हंगामा (Affray) लोक प्रशान्ति के विरुद्ध अपराधों की श्रृंखला में चोथा एवं अन्तिम अपराध है- दंगा या हंगामा |

परिभाषा

आईपीसी की धारा 159 के अनुसार, “जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा लोक स्थान पर लड़कर लोक शान्ति में विघ्न डाला जाता है तब यह कहा जाता है कि वे दंगा करते हैं।” इस अपराध का आवश्यक तत्व है जनता को आतंकित करना.

ब्लैकस्टोन ने ‘दंगा’ शब्द का विधि के अन्तर्गत तात्पर्य दो या अधिक व्यक्तियों के सार्वजनिक स्थान पर लड़ाई करने से है, जिससे जनता भयभीत हो जाये |

दण्ड

IPC की धारा 160 के अनुसार, जो कोई दंगा करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से दण्डित किया जायेगा |

दंगा के आवश्यक तत्व

दंगा या हंगामा के तीन आवश्यक तत्व निम्नलिखित हैं-

1. दो या अधिक व्यक्ति

IPC की धारा 159 के लागू होने के लिये दो या अधिक व्यक्तियों का होना आवश्यक है, क्योंकि दंगों के अपराध का मुख्य तत्व आपस की लड़ाई है. अकेला व्यक्ति अपने आप से लड़ाई नहीं कर सकता. यदि दो व्यक्तियों पर धारा 159 के अन्तर्गत आरोप है और उनमें से एक को दोषमुक्त कर दिया जाता है तो दूसरे व्यक्ति को दण्डित नहीं किया जा सकता.

2. सार्वजनिक स्थान पर लड़ाई

दंगा के अपराध का मुख्य तत्व आपस की लड़ाई है. यदि एक व्यक्ति हमला कर रहा हो तथा दूसरा अपने आप को बचा रहा हो तो धारा 159 लागू नहीं होगी. जबकि लड़ाई को भी इस धारा के अर्थों में लड़ाई नहीं माना जा सकता, क्योंकि लड़ाई के लिये यह आवश्यक है कि कुछ बल का प्रयोग किया जाये. लड़ाई का कार्य सार्वजनिक स्थान पर किया जाना चाहिये. सार्वजनिक स्थान से तात्पर्य है जहाँ जन साधारण बिना रोकटोक के आ-जा सके.

3. सार्वजनिक शांति भंग हो

दंगा सार्वजनिक शान्ति के विरुद्ध है. अतः आपस की लड़ाई से सार्वजनिक शान्ति भंग होनी चाहिये. मात्र सार्वजनिक असुविधा उत्पन्न करना धारा 159 के अन्तर्गत दण्डनीय है.

जगन्नाथ साह, (1937 O.W.N. 37) के वाद में दो भाई एक कस्बे की सड़क पर आपस में झगड़ा कर रहे थे, एक दूसरे को गालियाँ बक रहे थे, भीड़ एकत्रित हो गयी. निर्णय दिया गया कि वास्तविक मारपीट के अभाव में दंगा नहीं होगा.

लघु प्रधान बनाम राज्य [(1975) 17 O.J.D.] के वाद में यह अभिनिर्धारित किया गया कि यदि अभियोजन पक्ष की ओर से यह साक्ष्य प्रस्तुत किया जाय कि लड़ाई सार्वजनिक स्थान पर नहीं हुई और इसलिए लोक-शांति भंग नहीं की गयी तो अभियुक्त को IPC की धारा 151 के अन्तर्गत दंडित नहीं किया जा सकता |

बल्वा क्या है?

बल्वा विधि-विरुद्ध जमाव का ही एक गम्भीर एवं विशिष्ट रूप है. जब विधि-विरुद्ध जमाव हिंसा का रूप ले लेता है तो वह बलवे में परिवर्तित हो जाता है. भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 146 में इसकी परिभाषा की गई है |

बल्वा की परिभाषा

IPC की धारा 146 के अनुसार, जब कभी विधि-विरुद्ध जमाव द्वारा या उसके किसी सदस्य द्वारा जमाव के सामान्य को अग्रसर करने में बल या का प्रयोग किया जाता है तो उसे बल्वा कहा जाता है. ऐसे जमाव का हर सदस्य बल्वा करने के अपराध का दोषी होता है |

बल्वा करने के लिए दण्ड

धारा 147 क्या है? आईपीसी की धारा 147 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति बल्वा करने के अपराध का दोषी होगा उसे किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माना, या दोनों से दण्डित किया जायेगा | IPC 147 In Hindi

बल्वा के आवश्यक तत्व

बल्वा के अपराध के निम्नलिखित आवश्यक तत्व हैं-

  1. पाँच वा पाँच से अधिक व्यक्तियों द्वारा विधि विरुद्ध जमाव का गठन किया जाना;
  2. उनका उद्देश्य से प्रेरित होना;
  3. विधि-विरुद्ध जमाव या उसके किसी सदस्य द्वारा हिंसा (Violence) या बल का प्रयोग किया जाना एवं
  4. ऐसे बल या हिंसा का प्रयोग सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में किया जाना |

दंगा और बल्वा के बीच अंतर?

  1. दंगा (Affiray) का अपराध केवल सार्वजनिक स्थान पर ही किया जा सकता है, जबकि बल्वा (Riot) सार्वजनिक स्थान के साथ-साथ निजी स्थान पर भी किया जा सकता है.
  2. दंगा दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है, जबकि बल्वे के लिये व्यक्तियों की संख्या कम से कम 5 होनी चाहिए.
  3. दंगा के अपराध में वास्तविक रूप से लड़ाई करने वाले व्यक्ति ही उत्तरदायी होते हैं, जबकि बल्वे में सभी व्यक्ति उत्तरदायी होते हैं. जो विधि-विरुद्ध जमाव के सदस्य होते हैं चाहे उन्होंने हिंसा का प्रयोग किया हो अथवा नहीं.
  4. दंगा कम से कम दण्ड से दण्डनीय है, जबकि बल्वा एक गम्भीर अपराध है, अतः कठोर दण्ड से दण्डनीय है |

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