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सूचक प्रश्न क्या है?
धारा 141 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार कोई प्रश्न, जो उस उत्तर को सुझाता है जिसे पूछने वाला व्यक्ति पाना चाहता है या पाने की आशा रखता है, सूचक प्रश्न कहा जाता है.
सूचक प्रश्न वह प्रश्न है जो गवाह को यह इशारा करता है कि उनका वही उत्तर होगा जो कि प्रश्नकर्ता द्वारा वांछित है. किन्तु जब मात्र विषय का सुझाव दिया जाता है किन्तु उत्तर का सुझाव नहीं दिया जाता है तो वह सूचक प्रश्न नहीं है. सूचक प्रश्न वह प्रश्न है जिसमें उसका उत्तर दर्शाया गया हो जैसे क्या क के शरीर से रक्त निकला जब ख ने उसे मारा? ऐसा प्रश्न सूचक माना जायेगा.
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सूचक प्रश्न वह होता है जिसमें साक्षी को उत्तर का सुझाव दे दिया जाता है तथा यह अपेक्षा की जाती है कि साक्षी हाँ में उत्तर दे। सूचक प्रश्न सुझावात्मक या इंगित करने वाला प्रश्न है अर्थात सूचक प्रश्न उत्तराभासी प्रश्न है. ऐसे प्रश्न जिनका उत्तर सामान्यतः हाँ या न में दिया जा सकता है, वह सूचक प्रश्न होता है.
उदाहरण, क्या तुम घटना स्थल पर थे? हाँ, क्या तुमने उसे नहीं देखा है? नहीं आदि हैं. किन्तु यदि प्रश्न में उत्तर का सुझाव नहीं है तो यह सूचक प्रश्न नहीं है. ऐसे प्रश्नों का कोई भी रूप हो सकता है |
सूचक प्रश्न कब पूछे जा सकते हैं?
सूचक प्रश्न निम्नलिखित समयों पर पूछे जा सकते हैं-
- प्रतिपरीक्षा में सूचक प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
- पक्षद्रोही गवाह (Hostile witness) से न्यायालय की अनुमति से सूचक प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
- जब सूचक प्रश्न का उद्देश्य दूसरे गवाह के द्वारा कहे गये कथनों का खण्डन करना है, किन्तु वह उससे इन्कार करे तो सूचक प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
- जब गवाह की स्मरण शक्ति कमजोर हो तब ऐसे प्रश्न पूछकर उसकी स्मरण शक्ति उत्तेजित की जा सकती है.
- यदि विरोधी पक्षकार आक्षेप करता है तो न्यायालय की अनुमति से मुख्य परीक्षा या पुनः परीक्षा में पूछे जा सकते हैं |
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सूचक प्रश्न कब नहीं पूछे जा सकते हैं?
निम्न दशाओं में सूचक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं-
- जब प्रतिपक्षी आक्षेप करे.
- न्यायालय की अनुमति के बिना.
- न्यायालय सूचक प्रश्न पूछने के सम्बन्ध में अनुज्ञा दे सकता है. जब-
- (a) वे पुर: स्थापन के लिये हों.
- (b) वे निर्विवाद हों.
- (c) वे न्यायालय की राय में पहले से ही पर्याप्त रूप से साबित हो चुके हैं |