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पेटेंट प्राप्ति की प्रक्रिया के विभिन्न चरण
पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया? पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 6 से 53 तक में पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. इसका अध्ययन निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है-
1. आवेदन-पत्र का प्रस्तुतीकरण
अधिनियम की धारा 6 के अधीन प्राधिकृत व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं. आवेदन पत्र के विभिन्न प्रविष्टियों का उल्लेख करते हुए पेटेन्ट कार्यालय में फाइल करना होता है. आवेदन पत्र के साथ विनिर्दिष्टीकरण (Specification) प्रस्तुत करना होता है.
2. आवेदन पत्रों का प्रकाशन
अधिनियम की धारा 11 ‘क’ एवं ‘घ’ के अनुसार, जब तक अन्यथा उपबंधित न हों तबतक पेटेन्ट के लिए किये गये आवेदन को सामान्यतया आवेदन पत्र दाखिल करने की तारीख से 18 माह या आवेदन की पूर्विकता की तारीख से, जो भी पूर्व हो, जनता के लिए नहीं खोला जायेगा.
लेकिन आवेदक धारा 11 क की उपधारा (1) में उल्लिखित अवधि की समाप्ति के पूर्व किसी भी समय प्रारूप संख्या 9 में आवेदन पत्र को प्रकाशित करने का रजिस्ट्रार से अनुरोध कर सकेगा.
3. आवेदन पत्रों की जाँच
जाँच कार्य के लिए आवेदक अथवा अन्य हितबद्ध व्यक्ति द्वारा आवेदन किया जाता है. ऐसे आवेदन को परीक्षक के पास भेजा जाता है जो अपनी रिपोर्ट परीक्षण के पश्चात विनिर्दिष्ट समयावधि में भेजेगा.
4. पेटेंट अनुदत्त किये जाने का विरोध
अधिनियम की धारा 25 में यह कहा गया है कि आवेदन के प्रकाशन के पश्चात और पेटेंट अनुदत्त किये जाने से पूर्व किसी भी व्यक्ति द्वारा पेटेंट अनुदत्त किये जाने के विरोध में अभ्यावेदन (Representation) प्रस्तुत किया जा सकेगा
5. पेटेंट का अनुदान
अधिनियम की धारा 43 में विहित बातों का समाधान हो जाने पर कार्यालय द्वारा अपने कार्यालय की मुद्रा के साथ पेटेंट अनुदत्त कर दिया जाता है और इस आशय की प्रविष्टि सम्बन्धित रजिस्टर में कर दी जाती है |
पेटेंट की अवधि एवं नवीनीकरण
पेटेंट की अवधि क्या है? पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 53 में पेटेंट की अवधि एवं उसके नवीनीकरण के बारे में प्रावधान किया गया है.
पेटेंट की समय सीमा? धारा 53 (1) के अनुसार, प्रत्येक पेटेंट की अवधि, जो समाप्त नहीं हुई है और जिसका प्रभाव समाप्त नहीं हुआ है. इस अधिनियम के अन्तर्गत पेटेंट के लिए आवेदन करने की तिथि से 20 वर्ष होगी.
यह अवधि पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2002 द्वारा निर्धारित की गई है. इससे पूर्व भारत में सभी आविष्कारों के लिए पेटेंट की अवधि एक समान नहीं थी. कालान्तर में विश्व व्यापार संगठन के करार की बाध्यता के कारण 2002 में यह अवधि सुनिश्चित की गई.
भारत का नामनिर्दिष्ट करते हुए पेटेंट सहयोग संधि के अधीन प्रस्तुत अन्तर्राष्ट्रीय आवेदनों की दशा में पेटेंट की अवधि आवेदन करने की तिथि से 20 वर्ष होगी.
विहित शुल्क का संदाय कर पेटेंट का नवीनीकरण कराया जा सकेगा. यदि विहित समयावधि में शुल्क का संदाय नहीं किया जाता है तो पेटेंट निष्प्रभावी हो जायेगी. पेटेंट के निष्प्रभावी हो जाने पर पेटेंटी की पेटेंट की विषय-वस्तु के सम्बन्ध में किसी प्रकार क संरक्षण प्राप्त नहीं होगा |