युद्धकालीन नाकाबन्दी का अर्थ, परिभाषा एवं आवश्यक तत्व

युद्धकालीन नाकाबन्दी का अर्थ, परिभाषा एवं आवश्यक तत्व

युद्धकालीन नाकाबन्दी का अर्थ तथा परिभाषा

स्टार्क के अनुसार, नाकाबन्दी तब होती है जब कोई युद्धरत देश शत्रु देश के समुद्री किनारे या उसके किसी हिस्से में जलयानों के आने-जाने पर रोक लगा देता है.

ओपेनहाइम के अनुसार, सभी राष्ट्रों के वायुयान तथा समुद्री जहाजों के आवागमन को रोकने के उद्देश्य से शत्रु के समुद्री किनारे या उसके किसी भाग के रास्ते से युद्धपोतों को रोकने को नाकाबन्दी कहते हैं |

नाकाबन्दी के आवश्यक तत्व

  1. नाकाबन्दी युद्धपोतों (Men Of Wars) द्वारा की जानी चाहिये.
  2. इसके द्वारा शत्रु का सम्पूर्ण तट या उसका थोड़ा भाग बन्द किया जा सकता है.
  3. इसके द्वारा जहाजों के आने-जाने पर रोक रखनी चाहिये.
  4. नाकाबन्दी एक युद्ध सम्बन्धी कार्य है.
  5. नाकाबन्दी ऐसी होनी चाहिये जिससे सभी राष्ट्रों के जलयानों एवं वायुयानों को बिना किसी भेदभाव से रोका जाय.

उपर्युक्त तत्वों के अतिरिक्त आवश्यक तत्व उल्लेखनीय हैं-

1. प्रभावकारी

नाकाबन्दी को बाध्यकारी होने के लिये प्रभावशाली होना आवश्यक है. 1856 की पेरिस घोषणा के अनुसार, नाकाबन्दी तभी बाध्यकारी होती है जब वह प्रभावशाली हो, प्रभावशाली नाकाबन्दी के लिये यह आवश्यक है कि इतनी शक्ति का प्रयोग किया जाय जितनी कि शत्रु देश के जहाजों को आने जाने को रोकने के लिये उचित हो. फ्रांसिस्का (The Franciska, 1855) नामक वाद में न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि नाकाबन्दी को प्रभावशाली बनाने के लिये सम्बन्धित क्षेत्र को समुचित शक्ति द्वारा इस प्रकार स्थापित किया जाना चाहिये जिससे कि आने-जाने वाले जहाजों के लिये नाकाबन्दी को तोड़ना खतरनाक हो.

2. निरन्तरता

नाकाबन्दी निरन्तर रहनी चाहिये. यदि नाकाबन्दी करने वाले जहाज वापस चले जाते हैं तो ऐसा माना जाता है कि नाकाबन्दी समाप्त हो गई. अतः नाकाबन्दी के लिये यह आवश्यक है कि नाकाबन्दी के क्षेत्र में युद्धपोत उपस्थित रहे. उचित स्थापना नाकाबन्दी की स्थापना भी उचित रूप से होनी चाहिये.

3. निष्पक्षता

नाकाबन्दी करने वाले देश को किसी राष्ट्र के जहाजों के साथ भेदभाव का बर्ताव नहीं करना चाहिये. सभी राष्ट्रों के जहाजों एवं वायुयानों को बिना किसी भेदभाव के रोका जाना चाहिये.

4. घोषणा तथा विज्ञप्ति

अन्तर्राष्ट्रीय विधि का यह नियम है कि नाकाबन्दी की उचित घोषणा तथा विज्ञप्ति होनी चाहिये. इस विज्ञप्ति में यह स्पष्ट किया जाना चाहिये कि कब नाकाबन्दी प्रारम्भ होगी तथा इसकी भौगोलिक सीमायें क्या हैं.

5. तटस्थ बन्दरगाहों को छूट

तटस्थ देशों के बन्दरगाहों को नाकाबन्दी से छूट मिलनी चाहिये.

6. नाकाबन्दी क्षेत्र की भौगोलिक सीमायें

नाकाबन्दी में स्पष्ट किया जाना चाहिये कि नाकाबन्दी की भौगोलिक सीमायें क्या हैं? यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि कितने क्षेत्र के अन्दर जलयानों तथा वायुयानों पर रोक लगा दी गई है.

7. नाकाबन्दी की समाप्ति

नाकाबन्दी निम्नलिखित परिस्थितियों में समाप्त हो जाती है-

  1. युद्ध के अन्त हो जाने पर नाकाबन्दी का भी अन्त हो जाता है.
  2. नाकाबन्दी करने वाला देश उसे स्वयं वापस कर सकता है.
  3. यदि नाकाबन्दी का लगातार उल्लंघन होता है और वह प्रभावशाली नहीं रहता है. तो समझा जाता है कि नाकाबन्दी का अन्त हो गया.
  4. नाकाबन्दी का तब भी अन्त हो जाता है जब सम्बन्धित देश उस बन्दरगाह को जीत लेता है जिसकी नाकाबन्दी की जा रही है.
  5. जब नाकाबन्दी करने वाला जहाज पराजित हो जाता है तो भी नाकाबन्दी समाप्त हो। जाती है.
  6. नाकाबन्दी करने वाला जहाजी बेड़ा यदि समुद्र तट से हट जाता है तो भी ऐसा समझा जाता है कि नाकाबन्दी समाप्त हो गई |

शांतिपूर्ण नाकाबन्दी एवं युद्धकालीन नाकाबन्दी में अंतर

शान्तिपूर्ण नाकाबन्दी अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने का शान्तिपूर्ण ढंग है. यह शान्ति के समय में प्रयोग किया जाता है. इसके विपरीत युद्ध के दौरान नाकाबन्दी एक आम बात है. युद्ध के दौरान युद्धरत देश अपने विपक्षी शत्रु देश के समुद्री किनारे या उसके किसी भाग पर नाकाबन्दी करके अन्य देशों के जहाजों के आने-जाने पर रोक लगा देते हैं. इस प्रकार नाकाबन्दी एक युद्ध कार्य है तथा युद्ध के नियमों के अनुसार किया जाता है.

शांतिपूर्ण नाकाबन्दी शांति के समय प्रयोग की जाती है तथा इसमें जलपोतों, जलयानों एवं वायुयानों का आवागमन बन्द कर दिया जाता है. बन्दरगाहों एवं वायुयान तटों पर आवागमन निरुद्ध करने का उद्देश्य सम्बंधित देश को समस्या के शांतिपूर्ण निपटारे हेतु बाध्य करना होता है |

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