विधायन क्या है? | विधायन का अर्थ, प्रकार एवं लाभ

विधायन का अर्थ विधायन क्या है? अंग्रेजी भाषा में अभिव्यक्त शब्द ‘लेजिस्लेशन’ अर्थात ‘लेजिस’ तथा ‘लेशियो’ से बना है जिसका तात्पर्य होता है ‘लेजिस’ का अर्थ विधि; ‘लेशियो’ का अर्थ होता है निर्माण से अर्थात विधायन का तात्पर्य विधि के निर्माण. सामान्यतया अर्थ में विधायन से तात्पर्य किसी भी ऐसी प्रक्रिया से है जिसके माध्यम … Read more

दण्ड के विभिन्न सिद्धान्त | मृत्युदण्ड का क्या उद्देश्य है?

दण्ड के सिद्धान्त न्याय प्रशासन का प्रमुख उद्देश्य अपराधी को दण्ड देना है. दण्ड के भय से ही शान्ति व्यवस्था कायम रहती हैं. दण्ड स्वयं में कोई प्रयोजन नहीं है बल्कि यह प्रयोजन की प्राप्ति है. आपराधिक न्याय का मुख्य उद्देश्य अपराध से मुक्त समाज की कल्पना है. इसके लिए दण्ड की कल्पना की गई … Read more

IPC के अनुसार हमला क्या है? | हमला की परिभाषा एवं आवश्यक तस्व

हमला क्या है? IPC की धारा 351 कब लगती है? भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 351 के अनुसार, “जो कोई इस आशय से यह जानते हुए कि उसके हाव-भाव से या उसकी तैयारी से किसी उपस्थित व्यक्ति को यह आशंका होने की सम्भावना हो सकती है कि हावभाव प्रकट करने वाला व्यक्ति उस पर … Read more

समुद्री डकैती की परिभाषा एवं आवश्यक तत्व

परिभाषा समुद्री डकैती (Piracy) की परिभाषा के सम्बन्ध में बड़ा मतभेद रहा है. परम्परागत अन्तर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार, बिना किसी राज्य द्वारा अधिकृत या अनुमति प्राप्त किये निजी हितों तथा दूसरे व्यक्तियों या उनकी सम्पत्ति के विरुद्ध कार्य करने के उद्देश्य से खुले समुद्र में नौपरिवहन करने को समुद्री डकैती कहते हैं. यह ऐसा कार्य … Read more

IPC के अनुसार सहमति क्या है? | कब सहमति मात्र बचाव है? | किन परिस्थितियों में कोई बात अपराध नहीं है?

सहमति की परिभाषा IPC में सहमति क्या है? सहमति को भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) में परिभाषित नहीं किया गया है यद्यपि धारा 90 यह बताती है कि सहमति कब स्वतंत्र नहीं होती है. सहमति का तात्पर्य यह है कि जो कार्य हो रहा है उसको स्वीकार कर लेना. साधारण बोलचाल की भाषा में ‘सहमति’ एक … Read more

अन्तर्राष्ट्रीय विधि क्या है? | अन्तर्राष्ट्रीय विधि की परिभाषा, स्रोत एवं प्रकृति

अन्तर्राष्ट्रीय विधि की परिभाषा ओपेनहाइम अन्तर्राष्ट्रीय विधि (International Law) के एक विख्यात विधिशास्त्री है, अतः सर्वप्रथम ओपेनहाइम द्वारा दी गई परिभाषा का उल्लेख वांछनीय (आकर्षक) होगा. ओपेनहाइम की परिभाषा के मूल्यांकन के पश्चात अन्य परिभाषाओं का संक्षिप्त उल्लेख किया जायगा. ओपेनहाइम (Oppenheim) द्वारा दी गई परिभाषा ओपेनहाइम के अनुसार, “राष्ट्रों की विधि अथवा अन्तर्राष्ट्रीय विधि … Read more

न्यासधारी के कर्त्तव्य एवं उत्तरदायित्व

न्यासधारी के कर्त्तव्य तथा उत्तरदायित्व न्यासधारी के कर्त्तव्य एवं उत्तरदायित्व क्या हैं? भारतीय न्यास अधिनियम की धारा 11 से 29 तक न्यासधारी के कर्त्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों का उल्लेख किया गया है जो कि निम्नलिखित हैं- 1. न्यासधारी को न्यास का निष्पादन करना न्यासधारी न्यास के उद्देश्य की पूर्ति और न्यास को जन्म देते समय न्यासकर्ता … Read more

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के उद्देश्य

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के उद्देश्य न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 का उद्देश्य कुछ सेवाओं में न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करना है जहां शोषित, श्रमिकों की बहुतायत है अथवा जहां मजदूरों का शोषण किया जाता है. भारत के उच्चतम न्यायालय ने अवलोकन किया है कि अधिनियम का जो भी उद्देश्य है वह न्यूनतम वेतन का सांविधिक निर्धारण है … Read more

एक विशेष पुलिस अधिकारी को नियुक्ति कब की जाती है?

विशेष पुलिस अधिकारी विशेष पुलिस अधिकारी (Special Police Officers) को पुलिस एक्ट, 1861 की धारा 17 यह उपबंधित करता है कि जब यह मालूम होगा कि कोई विधि-विरुद्ध सम्मेलन [मजमा खिलाफ कानून)] या बलवा हुआ है या शान्ति भंग हुई है या उसके होने की उपयुक्त तौर पर आशंका है. तथा शान्ति बनाये रखने के … Read more

सुलह क्या है? | सुलहकर्ता की नियुक्ति एवं भूमिका

सुलह क्या है? सुलह किसे कहते हैं? जहां पक्षकार बिना किसी पूर्व करार के अपने विवाद को किसी तीसरे व्यक्ति की सहायता से हल कराकर उसके हल या निदान को स्वीकारते हैं तब वह प्रक्रिया सुलह कहलाती है. यह प्रक्रिया माध्यस्थम् से भिन्न है. इसमें सुलहकर्ता पक्षकारों के बीच हुए सुलह की अधिमान्यता देता है. … Read more