Table of Contents
आईपीसी की धारा 103
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार धारा 99 में वर्णित निर्बन्धनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मृत्यु वा अन्य अपहानि स्वेच्छया कारण तक होता है. इसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति धारा 99 के तहत दोषकर्ता के रूप में पाया जाता है और वह दोषी पाया जाता है, तो उसके संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार किया जा सकता है.
धारा 103 भारतीय दण्ड संहिता (IPC) का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो व्यक्तियों को अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए सम्पत्ति के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देता है. इस धारा के तहत, हमलावर की मृत्यु कारित की जा सकती है जब व्यक्ति को यह विश्वास हो कि वह अपनी सम्पत्ति या किसी अन्य की सम्पत्ति की रक्षा करते हुए किसी अपराध का प्रतिरक्षा कर रहा है या करने का प्रयास कर रहा है.
सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा
सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा एक व्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है जो उसके आपकी सम्पत्ति की सुरक्षा करने के लिए होता है. यह अधिकार व्यक्ति को उन अपराधों से बचाने की अनुमति देता है जो सम्पत्ति की तोड़फोड़ के साथ जुड़े होते हैं, जैसे कि चोरी, रात्रि-गृहभेदन, या अग्नि के उपयोग के माध्यम से सम्पत्ति की हानि करने का प्रयास |
सम्पत्ति के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार
सम्पत्ति के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार धारा 103 के तहत कई तरीकों से होता है-
1. लूट
धारा 103 के अंतर्गत, लूट के खिलाफ प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार होता है. यदि कोई व्यक्ति देखता है कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा लूट का प्रयास किया जा रहा है और उसे यह विश्वास होता है कि अगर वह प्राइवेट प्रतिरक्षा का प्रयास नहीं करता तो वहक्तिक हानि हो सकती है, तो उसे सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का हक होता है.
2. रिष्टि
रिष्टि एक अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति के खिलाफ दुर्भाषित किया जाता है और इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 427 में गंभीर अपराध माना जाता है. धारा 103 के तहत, अगर कोई व्यक्ति देखता है कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रिष्टि का प्रयास किया जा रहा है और वहकोई विश्वास होता है कि अगर प्राइवेट प्रतिरक्षा का प्रयास नहीं किया जाता तो व्यक्ति को हानि हो सकती है, तो उसे सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का हक होता है.
3. गृह-अतिचार
गृह-अतिचार एक अपराध है जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ उसके घर में अनवांछित और अवाजयूक्त दृष्टि के साथ प्रवेश किया जाता है. धारा 103 के तहत, अगर कोई व्यक्ति देखता है कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गृह-अतिचार का प्रयास किया जा रहा है और उसे यह विश्वास होता है कि अगर प्राइवेट प्रतिरक्षा का प्रयास नहीं किया जाता तो व्यक्ति को हानि हो सकती है, तो उसे सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का हक होता है.
4. अन्य अपराध
धारा 103 न केवल लूट, रिष्टि, और गृह-अतिचार जैसे अपराधों के खिलाफ प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को समर्थन करता है, बल्कि इसमें अन्य गंभीर अपराधों के खिलाफ भी होता है जो सम्पत्ति की हानि कर सकते हैं और जिनमें चोरी शामिल हो सकती है. इसका मतलब है कि धारा 103 के तहत प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को सिर्फ विशिष्ट अपराधों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि उन अपराधों के खिलाफ भी प्रायोग किया जा सकता है जिनसे सम्पत्ति की सुरक्षा पर खतरा हो सकता है.
सहायता और संरक्षा
धारा 103 के तहत प्रदत्त प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार की सीमा असीमित नहीं होती है. यदि व्यक्ति को युक्तियुक्त भय होता है कि अगर प्राइवेट प्रतिरक्षा का प्रयास नहीं किया जाता तो उसके द्वारा यह अपराध कारित किया जाएगा, तो उसे सहायता और संरक्षा की आवश्यकता हो सकती है. यहां तक कि लोक प्राधिकारियों द्वारा सहायता देने का भी सुझाव दिया जाता है. इससे सम्पत्ति की सुरक्षा और व्यक्तिगत सुरक्षा को मजबूती दी जाती है.
उत्तर प्रदेश राज्य संशोधन
उत्तर प्रदेश राज्य संशोधन धारा 103 को और भी विस्तारित करता है. खण्ड 4 के तहत यह व्यक्ति को सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए और अधिक अधिकार प्रदान करता है. इसमें निम्नलिखित स्थितियां शामिल हैं-
1. सरकारी सम्पत्ति
यदि कोई व्यक्ति देखता है कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा सरकार या स्थानीय प्राधिकारियों या सरकार के स्वामित्व में या द्वारा नियंत्रित अन्य निगम के लिए सरकारी संपत्ति की हानि होने का प्रयास किया जा रहा है, तो वह व्यक्ति सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठा सकता है. इससे सरकारी संपत्ति की सुरक्षा और निगमों की आपकी सुरक्षा में मदद मिलती है.
2. रेल मार्ग और रेलवे भण्डारण
धारा 103 के अंतर्गत, रेल मार्ग को और रेलवे भण्डारण को भी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति देखता है कि रेल मार्ग के साथ खिलाड़ी या रेलवे भण्डारण के साथ अपराधियों का प्रयास किया जा रहा है, तो उसे सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का हक होता है.
3. परिवहन यान
धारा 103 के तहत, किसी परिवहन यान को भी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति देखता है कि किसी परिवहन यान को अपराधियों के द्वारा हानि पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, तो वह व्यक्ति सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठा सकता है.
4. नियमों का पालन
उत्तर प्रदेश राज्य संशोधन धारा 103 के प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को और भी मजबूती देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे अवश्य प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का दुरुपयोग किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति इस अधिकार का सही और विवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग करें और सभी नियमों और विधियाओं का पालन करें. यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि प्राइवेट प्रतिरक्षा का प्रयास सही और न्यायसंगत हो |