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धारा 427 क्या है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 427 एक महत्वपूर्ण धारा है जो रिष्टि (Mischief) करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कठिनाइयों की सजा का प्रावधान करता है. इस धारा के तहत, जो कोई व्यक्ति रिष्टि करेगा और तदद्वारा 50 रुपए या उससे अधिक रिष्टि की हानि या नुकसान कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा |
रिष्टि के परिप्रेक्ष्य में
धारा 427 क्या होता है? IPC धारा 427 भारतीय समाज में रिष्टि (नुकसान, हानि या क्षति) करने वालों के खिलाफ कठिनाइयों की सजा को नियमित करती है. जब कोई व्यक्ति दूसरे के साथ रिष्टि करता है और उससे किसी तरह का नुकसान होता है, तो धारा 427 उसे दंडित करने का प्रावधान करती है. यह धारा व्यक्ति के खिलाफ कठिनाइयों की सजा को होशियारी से नियमित करने का अवसर प्रदान करती है, ताकि समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना बनी रहे |
धारा 427 के आवश्यक तत्व
1. रिष्टि का परिभाषण
यह तत्व स्पष्ट करता है कि घटना क्या है और क्या क्रिया की गई है जिसे रिष्टि कहा जा रहा है.
2. धनरजाने का प्रमुख बिंदु
IPC की धारा 427 के अंतर्गत रिष्टि करने वाले की धनरजाने क्रिया का स्पष्ट वर्णन किया जाना चाहिए, जिससे किसी तरह की हानि या नुकसान होता है.
3. रिष्टि करने वाले के खिलाफ कठिनाइयों का प्रावधान
धारा 427 में व्यक्ति के खिलाफ कठिनाइयों की सजा के प्रावधान किए गए हैं. इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति रिष्टि करता है और उससे 50 रुपए या उससे अधिक की हानि या नुकसान होता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है.
4. आपत्ति या शिकायत
आपत्ति या शिकायत का प्रमाण होना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि रिष्टि करने वाले व्यक्ति के कार्रवाई के परिणामस्वरूप किसी दूसरे को हानि पहुंची है |
धारा 427 की सजा
IPC की धारा 427 में रिष्टि जिससे पचास रुपए का नुकसान होता है, तो रिष्टि करने वाले के खिलाफ कठिनाइयों की सजा के रूप में दो वर्षों तक कारावास या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है. इस अपराध के तहत, पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्रतिपक्ष समझौता करने का अधिकार होता है, अगर इस अपराध के चलते किसी निजी व्यक्ति को क्षति पहुँची हो. इससे प्रतिपक्ष व्यक्ति को किसी विधिक कार्रवाई से बचने का मौका मिलता है और मामले की समझौता करके चुका सकता है |
धारा 427 का महत्व
धारा 427 का महत्व यह है कि यह रिष्टि करने वाले व्यक्तियों को सजा का डर दिलाती है, जिससे समाज में न्याय और कानून का पालन किया जा सकता है. यह भारतीय समाज को सुरक्षित और सुरक्षित बनाने का माध्यम है और धनरजाने रूप में रिष्टि करने के खिलाफ डरावनी सजा का अवसर प्रदान करती है |