समन क्या है? | समन कैसे जारी और तामील किया जाता है? | समन और वारंट में अंतर

समन क्या है? समन (Summons) के प्रारूप का वर्णन CrPC की धारा 61 में किया गया है. इसके अनुसार न्यायालय द्वारा CrPC के अधीन जारी किया गया प्रत्येक समन लिखित रूप में और दो प्रतियों में, उस न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा या अन्य ऐसे अधिकारी द्वारा, जिसे उच्च न्यायालय नियम द्वारा समय-समय पर निदिष्ट … Read more

आपराधिक मामलों के संबंध में भारत में CrPC का जन्म एवं विस्तार

प्रारंभिक काल उस समय जबकि भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने आपराधिक न्याय से सम्बन्धित अदालतें स्थापित नहीं की थीं, तब आपराधिक मामलों का फैसला मुस्लिम अपराध विधि में वर्णित व्यवस्थाओं के अनुसार किया जाता था. ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 1773 में रेगुलेटिंग ऐक्ट पास किया तो उसके अन्तर्गत सुप्रीम कोर्ट (SC) स्थापित किये जाने की … Read more

CrPC 313 In Hindi | CrPC 313 के तहत अभियुक्त की जांच करने की शक्ति

दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 मुकदमे के किसी भी चरण में आरोपी से पूछताछ करने की अदालत की शक्ति से संबंधित है. यह धारा अदालत को मुकदमे में सामने आई किसी भी परिस्थिति या सबूत के बारे में अभियुक्त से लिखित या मौखिक रूप से सवाल करने की अनुमति देती है. इस प्रावधान … Read more

धारा 482 CrPC | CrPC 482 In Hindi | CrPC के तहत उच्च न्यायालयों का अंतर्निहित क्षेत्राधिकार

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, जिसे संक्षेप में सीआरपीसी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है. यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायपालिका और आपराधिक मामलों में शामिल व्यक्तियों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार करता है. सीआरपीसी का इतिहास … Read more

संज्ञेय अपराध एवं असंज्ञेय अपराध क्या है? दोनों में क्या अंतर है?

संज्ञेय अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 2 (C) के अनुसार, संज्ञेय अपराध एवं मामलों से अभिप्राय ऐसे अपराध एवं मामलों से है जिनमें पुलिस अधिकारी; प्रथम अनुसूची के अनुसार, या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अनुसार, वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकता है. (“Cognizable offence” means an offence for which, and “Cognizable … Read more

धारा 151 क्या है? | CrPC 151 In Hindi | संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ्तारी

भारत की दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 151 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो कानून प्रवर्तन अधिकारियों को सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और संभावित आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए निवारक कार्रवाई करने का अधिकार देती है. यह धारा कानून प्रवर्तन अधिकारियों को संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का … Read more

अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के उद्देश्य, लक्ष्य एवं विशेषताएं

अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के उद्देश्य मनुष्य जन्म से अपराधी नहीं होता है. ब्लकि वह एक अबोध बालक के रूप में जन्म लेता है लेकिन कालान्तर की परिस्थितियां उसे अपराधी बना देती हैं. ऐसे अपराधियों को अपने किये हुए कृत्यों पर प्रायश्चित भी होता है और वे सुधरना भी चाहते हैं. अतः ऐसे व्यक्तियों को सुधरने … Read more

परिवीक्षा की आवश्यक शर्ते एवं अवधि

परिवीक्षा पर छोड़े गये अपराधी को किन शर्तों का पालन करना होता है? | आपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 के तहत परिवीक्षा की आवश्यक शर्ते एवं अवधि परिवीक्षा की आवश्यक शर्ते किसी भी दोषसिद्ध अपराधी को जब न्यायालय परिवीक्षा पर छोड़ना उचित समझता है. तो न्यायालय उससे एक बन्धपत्र निष्पादित करता है. यह बन्धपत्र प्रतिभू सहित … Read more

धारा 145 सीआरपीसी | CrPC 145 In Hindi | CrPC 145 के तहत भूमि या पानी के विवाद के कारण शांति भंग से संबंधित प्रावधान

स्थावर सम्पत्ति से सम्बन्धित विवाद सम्बन्धी अपराधों के रोकने का व्यवहार करने वाली विधि का उपबन्ध अचल सम्पत्ति से सम्बन्धित मामलों का निवारण दण्ड न्यायालय एवं व्यवहार न्यायालय दोनों के द्वारा किया जाता है. लेकिन दोनों के क्षेत्राधिकारों में कुछ मौलिक अन्तर हैं. व्यवहार न्यायालय (Civil Court) का कार्य स्वत्व एवं स्वामित्व के आधार पर … Read more

किशोर न्याय बोर्ड के गठन, कार्य, शक्तियां, उत्तरदायित्व

किशोर न्याय बोर्ड का गठन किशोर न्याय अधिनियम की धारा 4 में किशोर न्याय बोर्ड के गठन के सम्बन्ध में प्रावधानों को बताया गया है. धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार- किशोर न्यायिक बोर्ड बोर्ड के संबंध में प्रक्रिया बोर्ड अपनी कार्यवही को किस प्रकार करेगा इस सम्बन्ध में धारा 7 में प्रावधानों को उपबन्धित … Read more