आपराधिक अतिचार
सम्पत्ति-सम्बन्धी अपराधों की श्रृंखला में अन्तिम अपराध है- ‘आपराधिक अतिचार (Criminal Trespass)’. प्रत्येक व्यक्ति को केवल सम्पत्ति अर्जित करने, धारण एवं उसका व्ययन करने का अधिकार ही नहीं अपितु उसका स्वतन्त्र एवं स्वच्छन्द उपयोग-उपभोग करने का भी अधिकार प्राप्त है. क्योंकि सम्पत्ति के स्वतन्त्र एवं स्वच्छन्द उपयोग-उपभोग के अभाव में उसके अजित एवं धारण करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता. प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि कोई भी व्यक्ति उसके इस अधिकार में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करे और न ही उसमें किसी प्रकार का अवरोध पैदा करे. यह उसके एकान्तवास (Privacy) के अधिकार के भो अनुरूप है, और उसकी पुष्टि करता है.
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यदि कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति की सम्पत्ति में अनधिकृत रूप में प्रवेश करता है, तो चूंकि वह उस व्यक्ति के सम्पत्ति के स्वतन्त्र एवं स्वच्छन्द उपयोग-उपयोग में अवरोध पैदा करता है, अतः उसे दण्डित किया जाना चाहिये; और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ‘आपराधिक अतिचार’ के अपराध को भी सम्मिलित किया गया है.
आपराधिक अतिचार का अपराध केवल अचल सम्पत्ति पर ही कारित किया जा सकता है; चल सम्पत्ति पर नहीं. सम्पत्ति-सम्बन्धी विभिन्न अपराधों में उद्दापन/अपकर्षण (Extortion), आपराधिक न्यास-भंग (Criminal Breach Of Trust) एवं छल (Cheating) को छोड़कर शेष सभी अपराध चल सम्पत्ति से सम्बन्ध रखते हैं; जबकि आपराधिक अतिचार का सम्बन्ध केवल अचल सम्पत्ति से होता है.
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 441
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 441 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आधिपत्य वाली सम्पत्ति पर इस आशय से प्रवेश करता है ताकि कोई अपराध करे या दूसरे व्यक्ति को अभित्रस्त, अपमानित या क्षुब्ध करे तो इसे ‘आपराधिक अतिचार (Criminal Trespass)’ कहते हैं. अथवा दूसरे के कब्जे वाली सम्पत्ति पर विधिपूर्वक प्रवेश करता है किन्तु बाद में विधि-विरुद्ध तरीके से सम्पत्ति पर इस आशय से बना रहता है ताकि कब्जाधारी अपमानित, अभित्रस्त या क्षुब्ध हो, तो इसे भी आपराधिक अतिचार कहेंगे.
उदाहरण के लिए-
‘अ’, ‘ब’ के मकान में इस आशय से प्रवेश करता है ताकि वह क्रुद्ध हो जाये या चिढ़ जाये. ‘अ’ आपराधिक अतिचार का दोषी माना जायेगा.
एक लड़का अपरिचित लड़की के घर में घुसा. उसका आशय था कि लड़की को प्रेम-पत्र दे. लड़के को आपराधिक अतिचार का दोषी माना गया |
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आपराधिक अतिचार के आवश्यक तत्व
- जिस सम्पत्ति पर आपराधिक अतिचार किया जाता है उसे अन्य व्यक्ति के आधिपत्य में होना चाहिये.
आधिपत्य किसी भी प्रकार का हो सकता है. अतिचार के समय कब्जाधारी की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है. किन्तु सम्पत्ति का अर्थ केवल अचल सम्पत्ति से ही लिया जाना चाहिये, क्योंकि चल सम्पत्ति पर अतिचार नहीं होता है. - सम्पत्ति में या सम्पत्ति पर अवैध प्रवेश करना: बिना किसी प्राधिकार के या कब्जाधारी की सहमति के बिना किसी सम्पत्ति पर प्रवेश करना अवैध माना जाता है.
- वैध प्रवेश हो तो अवैध रूप से बना रहना: मान लीजिए किसी व्यक्ति को दूसरे की सम्पत्ति पर जाने का अधिकार हो किन्तु उद्देश्य पूरा होने के उपरान्त भी वह सम्पत्ति पर बना रहता है ताकि कब्जाधारी क्षुब्ध हो जाये तो इसे अवैध रूप में बने रहना कहेंगे और आपराधिक अतिचार का अपराध गठित हो जायेगा.
- अवैध प्रवेश का उद्देश्य कब्जाधारी को अभित्रास, क्षुब्ध या अपमानित करने का होना.
श्रीमती कंवल सूद बनाम नवल किशोर और अन्य के मामले, (AIR 1983 SC 159) में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि आपराधिक अतिचार का अपराध गठित होने के लिये आशय का होना आवश्यक है. मात्र अधिग्रहण ही चाहे वह अवैध ही क्यों न हो, आपराधिक अतिचार की कोटि में नहीं आता |