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अन्वेषण डायरी क्या है?
पुलिस डायरी क्या है? दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 172, डायरी में जो विषय शामिल रहते हैं उनका वर्णन करती है. यह डायरी पुलिस डायरी भी कहलाती है. इसमें निम्नलिखित बातें रहती हैं-
प्रत्येक पुलिस अधिकारी जो मामले का अन्वेषण करता है, वह रोजाना अन्वेषण को प्रगति का वर्णन करता है. इसमें यह लिखा जाता है-
- वह समय जब कि सूचना पहुँची.
- वह समय जब कि उसने अन्वेषण का कार्य आरम्भ किया और जब अन्त किया.
- वह स्थान या वे स्थान जहाँ उसके द्वारा प्रवेश किया गया.
- वे परिस्थितियाँ जो उसके द्वारा निश्चित की गयीं.
उपर्युक्त डायरी (दैनिक) विशिष्ट डायरी (Special Diary) कहलाती है. इसे रोजाना मचा खास व स्टेशन हाउस रिपोर्ट भी कहा जाता है. दण्ड न्यायालय ऐसी डायरियों का उपयोग किसी मामले में साक्ष्य रूप में नहीं कर सकते, किन्तु किसी जांच या विचारण में इससे सहायता ले सकते हैं अभियुक्त खास डायरी की मांग नहीं कर सकता जो विशेषाधिकारयुक्त होती है. किन्तु वह उन्हें तब मांग सकता है-
जब कि पुलिस अधिकारी ने अपनी स्मरण शक्ति ताजा करने के लिए उसकी मांग की हो, अथवा
यदि न्यायालय ने पुलिस अधिकारी के कथन का खण्डन करने के लिए उसका प्रयोग किया हो, जिस स्थिति में धारा 141 (लिखित पूर्व कथन के विषय में प्रतिपरीक्षा) तथा धारा 161 साक्ष्य अधिनियम (स्मरण-शक्ति ताजा करने के लिए प्रयोग की गयी लिखावट के विषय में विरोधी पक्ष का अधिकार) के उपबन्ध लागू होंगे.
विशेष डायरी (Special Diary) के अन्तर्विषय के सम्बन्ध में दिये गये विशेषाधिकार विशेष डायरी में उल्लिखित दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 161 के अन्तर्गत लेखबद्ध कथनों तक विस्तृत नहीं हैं. पुलिस डायरी जो मामला उसमें लिखा गया है, उसका साक्ष्य नहीं होती है. डायरी में जो बयान लिखा रहता है, उसके लेखक की गवाह के रूप में परीक्षा करके लिखित बयान को साबित करना चाहिए.
विशेष डायरी में अन्तर्निहित सिद्धान्त यह है कि इसके द्वारा अन्वेषण को नियंत्रित करने के लिये अवसर प्रस्तुत किया जाता है और अभियुक्त को यह नहीं दिखाया जाता है क्योंकि इससे पुलिस अधिकारियों को युद्ध अभिलेख (Incorrect Record) तैयार करने में प्रोत्साहन मिलेगा और वे बहुत से ऐसे तथ्यों को छिपायेंगे जिसका वे अब उल्लेख करेंगे यह जानते हुए कि इन्हें अभियुक्त द्वारा नहीं देखा जाना है |
पुलिस डायरी का उद्देश्य
पुलिस डायरी का उद्देश्य (Object Of Police Diary) पुलिस द्वारा अन्वेषण के तरीके को नियन्त्रित करने के लिए न्यायालयों को समर्थ बनाना है. अन्वेषण की प्रारम्भिक अवस्थाएँ जो अपराध कारित किये जाने के बाद जाती है, बहुसंख्यक मामलों में पुलिस पर छोड़ दी जानी चाहिये और पुलिस को ईमानदारी, सामर्थ्य, स्वविवेक और निर्णय पर बहुत विश्वास किया जा सकता है.
यदि यह अपराधियों के विरुद्ध जनता की रक्षा के लिए आवश्यक होता है. वह मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश जिसके सामने मामला अन्वेषण या विचारण (Trial) के लिए हो, उसके पास यह निश्चय करने का उपाय होना चाहिये कि सूचना सत्य है, असत्य है या गुमराह करने वाली (Misleading) है जो उस पुलिस अधिकारी द्वारा प्रतिदिन पायी गयी थी जो मामले का अन्वेषण कर रहा था और इसका असर अन्वेषण पर क्या पड़ा था जिसके आधार पर उसने कार्य किया था.
डायरी, पुलिस अधिकारी जिसने उसे तैयार किया था, के अलावा अन्य किसी गवाह का विरोध करने के लिए प्रयोग नहीं की जा सकती. जांच या विचारण के समय मजिस्ट्रेट के अलावा पुलिस डायरी का प्रयोग पुलिस अधिकारी, और स्वयं अभियुक्त द्वारा किया जा सकता है |
पुलिस अधिकारी द्वारा प्रयोग
जिस पुलिस अधिकारी द्वारा स्पेशल डायरी लिखी गयी है, दण्ड न्यायालय उसे अपनी स्मरण शक्ति ताजा करने के लिए डायरी देखने की आज्ञा दे सकता है. किन्तु ऐसे पुलिस अधिकारी के सिवाय जिसने स्पेशल डायरी तैयार की है, किसी गवाह को अपनी याद ताजा करने के लिए स्पेशल डायरी (रोजनामचा खास) नहीं दिखलायी जा सकती |
अभियुक्त द्वारा प्रयोग
विशेष डायरी (Special Diary) अपनी प्रत्येक प्रविष्टि समेत अभियुक्त या उसके वकीलों द्वारा पूर्णतया विशेषाधिकृत (Absolutely Privileged) है. अन्वेषण (Investigation) करने वाला पुलिस अधिकारी, जो अन्वेषण करता है, अभियोजन के लिए क्षतिकारक अंश को लुप्त कर सकेगा अभियुक्त केवल कुछ मामलों में डायरी का निरीक्षण करने का अधिकारी है.
उदाहरणार्थ, जबकि डायरी का प्रयोग डायरी लिखने वाले पुलिस अधिकारी द्वारा अपनी याद ताजा करने के लिए किया जाता है अथवा पुलिस डायरी का प्रयोग जब उसका (पुलिस अधिकारों का खण्डन करने के लिए किया जाता है. किन्तु ऐसे मामले में भी अभियुक्त केवल उस विशिष्ट प्रविष्टि (Particular Entry) को, जहाँ वह प्रयुक्त हुई है, देखने का अधिकारी है और वह डायरी में प्रविष्टि का केवल उतना भाग देख सकता है जितना न्यायालय की राय में आवश्यक हो, जिससे उस विशेष प्रविष्टि के विषय में सारी बातें अभियुक्त को विदित हो जायें और इससे अधिक कुछ नहीं किसी मामले से सम्बन्धित समस्त डायरियों के पूर्ण निरीक्षण के लिए अभियुक्त को आज्ञा दिया जाना लोकनीति (Public Policy) के विरुद्ध होगा.
जहाँ पुलिस अधिकारी अपनी स्मृति ताजा करने के लिए पुलिस डायरी का प्रयोग करता है, वहाँ अभियुक्त द्वारा यह मांग की जा सकती है कि पुलिस डायरी पेश की जाय और उपर्युक्त सोमा तक उसके द्वारा निरीक्षण करायी जाय किन्तु वह इसकी मांग और परीक्षण केवल इसलिए नहीं कर सकता कि न्यायालय ने इसका निर्देश किया है |