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पृथ्वी शिखर सम्मेलन
पृथ्वी शिखर सम्मेलन, पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) ब्राजील के रियो डे जेनरो (Rio De Jenerio) नामक स्थान पर जून 3, 1992 से जून 14, 1992 तक चला. यह सम्मेलन जानबूझ कर स्टॉकहोम कान्फ्रेन्स ऑन मन इनवायरमेन्ट, 1972 की 20 वीं वर्षगांठ वर्ष में सम्पन्न किये जाने हेतु निर्धारित किया गया था और विकास को केन्द्र बिन्दु मानकर निर्णय लेने हेतु आहूत किया गया था. इसे रियो डी जेनेरो पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो शिखर सम्मेलन, रियो सम्मेलन और पृथ्वी शिखर सम्मेलन का भी नाम दिया गया. पृथ्वी शिखर सम्मेलन एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है. इस सम्मेलन में 150 सरकारों ने भाग लिया.
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संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसम्बर, 1982 को दो प्रस्ताव पारित किये गये. जिसमें कहा गया कि ब्राजीला में ऐसा सम्मेलन बुलाया जाय जिसका उद्देश्य निम्न हों-
- पृथ्वी की जलवायु को सुरक्षित करना;
- पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचाते हुए ठोस विकास को प्रोत्साहित करना.
पृथ्वी सम्मेलन द्वारा निम्न बिन्दुओं पर विचार प्रकट करना-
- विश्व को प्रदूषण से बचाने हेतु वित्तीय प्रबन्ध.
- वनों का प्रबन्ध.
- संस्थागत प्रबन्ध.
- प्रौद्योगिकी का अन्तरण.
- जैविक विविधता.
- सतत् विकास |
पृथ्वी शिखर सम्मेलन की उपलब्धियाँ
सम्मेलन को उद्देशिका इसकी विशाल उपलब्धियों और वैश्विक प्रकृति की ओर इंगित करती है |
पृथ्वी शिखर सम्मेलन का उद्देश्य
- राज्यों, समाज के महत्वपूर्ण सेक्टरों और लोगों के बीच नये स्तर का सहयोग निर्मित कर नवीन एवं साम्यिक वैश्विक भागीदारी सुनिश्चित करना है;
- सभी के हितों के सम्मान और वैश्विक पर्यावरण तथा विकास प्रणाली की अखण्डता के संरक्षण का सम्मान करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों की प्राप्ति इसका उद्देश्य है.
प्रकृति हमारा घर है इसकी प्रकृति अभिन्न और परस्पर आश्रित है. सम्मेलन की उपलब्धियाँ पांच मानी गयी हैं-
- रियो घोषणा
- एजेण्डा-21
- जलवायु परिवर्तन अभिसमय, 1992
- जैविकीय विविधता अभिसमय, 1992
- वन सिद्धान्त |
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रियो घोषणा
पृथ्वी सम्मेलन में रियो घोषणा विशिष्ट उपलब्धियों में रहा है. राज्यों के मध्य नये स्तर के सहयोग के माध्यम से नई एवं साम्यायिक विश्व को स्थापित करना इस घोषणा इस घोषणा का मुख्य उद्देश्य रहा. इस घोषणा पर 182 राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किये गये रियो घोषणा में कुल 27 सिद्धांत परित किये गये. इसके मुख्य सिद्धांत निम्न है-
- मानवीय सिद्धांत
- राज्य व अधिकारों एवं कर्तव्यों के संबंध में सिद्धांत
- सतत विकास से सम्बंधी सिद्धांत
- गरीबी उन्मूलन से सम्बंधी सिद्धांत |
एजेण्डा-21
एजेण्डा-21 को सतत विकास की एक ऐसी कार्य-योजना है. जिसमें पार्टी एवं विकास के बारे में भावी योजनाओं का उल्लेख किया गया है. यह एक अन्तर्राष्ट्रीय दहतावेज है जो 900 पृष्ठों में विस्तृत है. इसे पृथ्वी सम्मेलन की 182 राज्यों के प्रतिनिधियों न सर्वसम्मत से स्वीकार्य किया. ऐजेण्डा-21 मुख्य रूप से निम्न विषयों पर विषेश बल देता है.
- गरीबी संबंधी बातों पर.
- स्वास्थ संबंधी बातों पर.
- उपभोग के अंगों पर.
- मानवीय व्यवस्थापन पर.
- प्रौद्योगिकी अंतरण पर.
उपयुक्त बातों के अतिरिक्त यह ऊर्जा, जलवायु संबंधी अन्य विषयों की भी सामिल करता है |
जलवायु परिवर्तन अभिसमय, 1992
यह अभिसमय 9 मई, 1992 में जलवायु परिवर्तन बोर्ड द्वारा बुलाया गया.
आवश्यकता, 1988 में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि जलवायु परिवर्तन मानव जाति का महत्वपूर्ण चित्ता का विषय है तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही किया जाता है अति-आवश्यक है संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह प्रस्तावित किया गया कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन से उच्च प्राथामिकता दे. जलवायु परिवर्तन के संबंध के विचारों में भिन्नता थी एकमत नहीं थे. विकसित देशों का मत था कि 2005 तक कार्बन डाइऑक्साइड, मिथाइल रेडिकल (CH₃) में 20% की कमी पायी जाय तथा लकड़ी तथा कोयले के उपयोग में कार्य लायी जाय विकसित देशों में पहले उत्सर्जन किया इसलिए पहले उन्हें ही कमी लानी चाहिए.
इस अभिसयय में 40 देशों द्वारा 9 मई, 1992 को अपनी सहमति व्यक्ति किया इसमें एक शर्त रही कि यह अभिसयय दिशों में का सहमति मिले. इस अभिसमय को 19 जून, 1993 तक राज्यों के हस्ताक्षर के लिए खुला रखा गया. तथा 21 मार्च, 1994 की पूरी तरह प्रभवी हो गया |
जैविकीय विविधता अभिसमय, 1992
यह अभिसमय वनस्पतियों एवं जन्तुओं के जीने का असीथित उपभोग तथा संरक्षण के लिए प्रतिकर लगाने एवं वनस्पतियों एवं जीव की संरक्षण देना. इस अभिसमय की लागू करने के लिए कम से कम 30 देशों का समर्थन आवश्यक था. अमेरिका असहमति प्रकट कर रहा था. पर अन्य देशों के दवाब द्वारा सभी के इस अभिसमय पर सहमति प्रकट किया 19 दिसम्बर, 1992 से यह लागू हो गया.
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उपबंध
- जैवकीय संसाधन का संरक्षण करना और विधियों की आगू करना.
- यदि किसी राष्ट्र के द्वारा दूसरे राष्ट्र पर प्रभाव पडे़ तो उसके ऊपर दायित्व अधिरोपित करना.
- प्रोद्यौगिकी के अंतर्राष्ट्रीय अंतरण में रियासत करना.
- फर्यो को विनियमित करना.
- विकासशील को राज्यों अनुवांशिक पदार्थों के लिए अनुदान देना |
चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना एवं पर्यावरण
यह एक परमाणु दुर्घटना थी जो सोवियत संघ के यूक्रेनी सोवित समाजवादी संघ के उत्तरीनागर प्रीप्यत के पास 26 अप्रैल, 1986 को चेर्नोबिल परमाणु बिजली घर में आग लग गई जिसके कारण भयानक परमाणु दुर्घटना रहा है. यह उन मात्र दो दुर्घटनाओं में से एक है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु घटना स्केल के सातवें स्थान पर पद दिया गया है जो बबसे ज्यादा है. जिसके कारण रेडियोधर्मी पदार्थ (तरंग) के बाहर आने से वातावरण मे प्रदुषण फैल गई इसकी अधिकृत सूचना 29 अप्रैला, 1986 को दी गई उसके दौरान केवला 7 व्यक्तियों की मृत्यु 299 छतिग्रस्त है. जबकि रूसी अखबार द्वारा 6000 से 8000 व्यक्ति भरने की खबर मिली.
दुर्घटना के प्रभाव
चेर्नोबिल दुर्घटना में 10 लाख लोगों को कैंसर हो जाने के कारण खतरा है इस दुर्घटना का प्रभाव स्वीडन, डेनमार्क, पर पड़ा. इसका प्रभाव अन्य देशों पर पड़ता लेकिन हवा का रुख रूस की ओर होने से कम प्रभाव पड़ा. इसका प्रभाव भारत में भी पड़ी इसका प्रभाव कैंसर के रोगियों के मृत्यु की सम्भावना बनी रही |