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शिया और सुन्नी विवाह के बीच अंतर?
- शिया में मुता या अस्थायी विवाह वैध नहीं है, जबकि सुन्नी में मुता या अस्थायी विवाह वैध है.
- शिया में विवाह के लिये केवल पिता तथा पितामह ही वैध अभिभावक माने जाते हैं. दूसरों द्वारा तय किया गया विवाह शून्य माना जाता है, जबकि सुन्नी में पिता तथा पितामह के अलावा भाई तथा अन्य पैतृक सम्बन्धी व माता एवं मातृपक्ष के सम्बन्धी मामा आदि द्वारा तय किया हुआ विवाह मान्य होता है.
- शिया में विवाह-विच्छेद के लिये दो गवाहों की आवश्यकता पड़ती है जबकि विवाह के समय गवाहों की आवश्यकता नहीं पड़ती, जबकि सुन्नी में विवाह-विच्छेद के समय दो गवाहों की आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि विवाह के समय पड़ती है.
- शिया में विवाह दोनों पक्षों में असमानता के कारण निरस्त नहीं किया जा सकता है, जबकि सुन्नी में विवाह दोनों पक्षों में असमानता के आधार पर निरस्त किया जा सकता है.
- शिया में मान्य निवृति के सिद्धान्त को नहीं मानते हैं, जबकि सुन्नी में मान्य निवृत्ति को मानते हैं.
- शिया में विवाह सम्बन्ध केवल दो प्रकार के हो सकते हैं- पहला मान्य और दूसरा शून्य है, जबकि सुन्नी में विवाह सम्बन्ध तीन प्रकार के हो सकते हैं- मान्य, अनियमित तथा शून्य.
- शिया में वयस्कता प्राप्त करने के पूर्व सभी कृत्य निष्प्रभावी माने जाते हैं, जबकि शिया में अवयस्क व्यक्तियों का उनके संरक्षक के द्वारा किये गये विवाह वयस्कता प्राप्ति के उपरान्त अस्वीकृत किये जा सकते हैं.
- शिया में यदि इद्दत की अवधि के समय स्त्री-पुरुष समागम करें तो विवाह सदा के विवाह सदा के लिये वर्जित नहीं है, जबकि सुन्नी में इद्दत की अवधि में स्त्री के साथ उस पति सेलिये वर्जित हो जाता है |
शिया और सुन्नी मेहर के बीच अंतर?
- शिया में मेहर की न्यूनतम सीमा निर्धारित नहीं है, जबकि सुन्नी में दस दिरहम मेहर की न्यूनतम सीमा है.
- शिया में उचित मेहर की अधिकतम सीमा 500 दिरहम रखी गई है, जबकि सुन्नी में अधिकतम सीमा कोई नहीं है.
- शिया में विपरीत शर्त की अनुपस्थिति में मेहर की अदायगी तुरन्त ही समझी है, जबकि सुन्नी में विपरीत शर्त की अनुपस्थिति में कुछ भाग जाती तुरन्त देय और कुछ बाद में आस्थगित माना जाता है |
शिया और सुन्नी तलाक के बीच अंतर?
- शिया में इस सम्प्रदाय में तलाक मौखिक रूप से अरबी भाषा में होना चाहिये, जबकि सुन्नी में इसमें तलाक मौखिक या लिखित हो सकता है. परन्तु शमीम आरा बनाम स्टेट आफ [UPJT 2002 (7) SC 320] के निर्णयानुसार सुन्नी विधि के अन्तर्गत भी तलाक का मौखिक होना आवश्यक है.
- शिया में तलाक में दो गवाहों की उपस्थिति आवश्यक है, जबकि सुन्नी में यह आवश्यक नहीं है.
- शिया कानून के अनुसार मंदिरा के नशे में या अन्य नशे में या बलपूर्वक जोर डालकर घोषित कराया हुआ तलाक होता है. वैधतः मान्य नहीं माना जाता है, वह निष्प्रभावी होता है, जबकि सुन्नी कानून में नशे, जोर या बलपूर्वक जोर डालकर कराया हुआ तलाक भी प्रभावी होता है.
- शिया कानून केवल तलाक-उल-सुन्नत को ही तलाक की मान्य कोटि है, जबकि सुन्नी विधि तलाक-उल-सुन्नत-सुन्नत तथा तलाक उल-बिद्दत दोनों को ही मान्य मानती है.
- शिया में अस्पष्ट भाषा में दिया गया तलाक निष्प्रभावी हो जाता है, जबकि सुन्नी में अस्पष्ट भाषा में दिया गया तलाक निष्प्रभावी नहीं होता यदि साबित हो जाय कि वह इच्छापूर्वक था |
शिया और सुन्नी भरण-पोषण के बीच अंतर?
- शिया में पिता का पोषण करना बाध्यकारी नहीं है, यदि वह कमाने योग्य है, जबकि सुन्नी में इसमें यदि पिता कमाने योग्य भी है तो भी उसका भरण-पोषण बेटे की जिम्मेदारी है.
- शिया में यदि भरण-पोषण करने वालों की संख्या अधिक है तो उन पर भार प्रत्येक की योग्यता तथा आय के अनुसार होगा, सुन्नी में भरण-पोषण की जिम्मेदारी सभी पर बराबर होगा |
शिया और सुन्नी वसीयत के बीच अंतर?
- शिया में प्रत्येक व्यक्ति सम्पत्ति के एक तिहाई भाग की वसीयत बिना उत्तराधिकारियों की अनुमति के किसी को कर सकता है, जबकि सुन्नी में किसी उत्तराधिकारी के पक्ष में की गयी वसीयत के लिए अन्य उत्तराधिकारियों की अनुमति आवश्यक है.
- शिया में यदि वसीयतकर्ता से पहले वह व्यक्ति जिसे सम्पत्ति वसीयत की गई है, मर जाय तो सम्पत्ति उसके उत्तराधिकारी को मिलती है, बशर्ते वसीयत करने वाला वसीयत रद्द न कर दे, जबकि सुन्नी में सुन्नी विधि के अनुसार यदि वसीयतग्रहीता वसीयतकर्ता से पहले मर जाता है तो सम्पत्ति वसीयतकर्ता को वापस हो जाती है.
- शिया विधि में जीवन-कालिक सम्पत्ति को मान्यता नहीं है, जबकि सुन्नी में जीवन-कालिक सम्पति को मान्यता है |
शिया और सुन्नी उत्तराधिकार के बीच अंतर?
- शिया विधि के अनुसार दूरस्थ संबंधी स्वयं हिस्सेदार तथा अवशिष्टों के रूप में सम्पत्ति प्राप्त करते हैं, जबकि सुन्नी विधि के अनुसार दूरस्थ सम्बन्धी हिस्सेदार तथा अवशिष्टों के साथ-साथ सम्पत्ति प्राप्त करते हैं.
- शिया विधि के अनुसार ज्येश संतान द्वारा समस्त सम्पति पर उत्तराधिकार की प्रथा कुछ अंशों में मान्य है क्योंकि ज्येष्ठ पुत्र हो अपने मृत पिता की तलवार पहनने के कपड़े, घोड़ा, अंगूठी तथा कुरान का उत्तराधिकारी होता है, जबकि सुन्नी विधि में ज्येष्ठाधिकार की प्रथा मान्य नहीं है (इस सिद्धान्त के अनुसार ज्येष्ठ संतान पिता की समस्त सम्पत्ति की उत्तराधिकारी मानी जाती है।)
- शिया में सन्तानहीन विधवा शिया स्त्री पति की अचल सम्पत्ति में हिस्सा पाने की हकदार नहीं है, जबकि सुन्नी में ऐसी रोक नहीं है, संतानहीन विधवा अचल सम्पत्ति की उत्तराधिकारी हो सकती है.
- शिया में केवल पति ही प्रत्यावर्तन का हकदार होता है, पत्नी नहीं, जबकि सुन्नी में पति एवं पत्नी दोनों प्रत्यावर्तन के अधिकारी होते हैं.
- शिया में किसी व्यक्ति की जानबूझकर हत्या करने वाला व्यक्ति मृतक की सम्पत्ति के उत्तराधिकार से वंचित कर दिया जाता है, जबकि सुन्नी में उस व्यक्ति को बिल्कुल उत्तराधिकार से वंचित कर दिया जाता है चाहे इत्या जानकर की गई हो अथवा अनजान में |