Table of Contents
व्यक्ति का बिना वारंट गिरफ्तार किया जाना
संविधान के द्वारा व्यक्तियों को कई मौलिक अधिकार दिये गये हैं. संविधान के अनुच्छेद 21 में यह व्यवस्था की गई है कि “सिवाय विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी व्यक्ति को अपने जीवन या वैयक्तिक स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जायेगा.”
महाराष्ट्र राज्य बनाम कम्युनिटी वेल्फेयर कौंसिल आफ इण्डिया (AIR 2003 SC 546) के बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किसी महिला की गिरफ्तारी महिला पुलिस की उपस्थिति में किया जाना चाहिए.
उच्चतम न्यायालय ने किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से सम्बन्धित महत्वपूर्ण दिशा निर्देश D. K. बासु बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल (AIR 1997 SC 610) के मामले में जारी किये हैं.
CrPC 41 In Hindi? सामान्यतया किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किये गये वारन्ट के अन्तर्गत की जाती है, लेकिन कतिपय मामलों में किसी व्यक्ति को वारन्ट के बिना गिरफ्तार किया जा सकता है. ऐसे मामलों का उल्लेख CrPC की धारा 41 में किया गया है.
वे परिस्थितियाँ जिनमें व्यक्ति को बिना वारन्ट गिरफ्तार किया जा सकता है-
- जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध करता है;
- जिसके विरुद्ध युक्तियुक्त परिवाद किया गया है, या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि 7 वर्ष से कम की हो सकेगी या जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी, चाहे वह जुर्माने सहित हो अथवा जुर्माने के बिना, दंडनीय संज्ञेय अपराध किया है, यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी कर दी जाती हैं, अर्थात्:-
- पुलिस अधिकारी के पास ऐसे परिवाद, जानकारी या संदेह के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है;
- पुलिस अधिकारी का यह समाधान हो गया है कि ऐसी गिरफ्तारी निम्नलिखित के लिए आवश्यक है-
- ऐसे व्यक्ति को कोई और अपराध करने से निवारित करने; या
- अपराध के समुचित अन्वेषण के लिए; या
- ऐसे व्यक्ति को ऐसे अपराध के साक्ष्य को गायब करने या ऐसे साक्ष्य के साथ किसी भी रीति में छेड़छाड़ करने से निवारित करने; या
- ऐसे व्यक्ति को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ, जो मामले के तथ्यों से परिचित हैं, कोई उत्प्रेरणा, धमकी या वायदा करने से निवारित करने, जिससे उसे न्यायालय या पुलिस अधिकारी को ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिए मनाया जा सके; या
- जब तक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक न्यायालय में उसकी उपस्थिति, जब भी अपेक्षित हो, सुनिश्चित नहीं की जा सकती; और तो पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी करते समय उसके कारणों को लेखबद्ध करेगा,
- 2a) जिसके विरुद्ध विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष से अधिक की हो सकेगी, चाहे यह जुर्माने सहित हो अथवा जुर्माने के बिना, अथवा मृत्यु दंडादेश से दंडनीय संज्ञेय अपराध किया है. और पुलिस अधिकारी के पास उस जानकारी के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है.
- जो या तो CrPC के अधीन या राज्य सरकार के किसी आदेश के अन्तर्गत अपराधी घोषित किया जा चुका हो.
- जिसके कब्जे में ऐसी कोई वस्तु पाई जाये जिसके बारे में यह उचित रूप से सन्देह किया जा सकता हो कि वह चुराई हुई है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित संदेह हो.
- जो पुलिस अधिकारी को उस समय बाधा पहुँचाता है जब वह अपना कर्तव्य कर रहा है या जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से भाग निकला है या निकल भागने का प्रयत्न करता है.
- जिस पर संघ के सशस्त्र बलों से किसी के अभित्याजक होने का उचित संदेह हो.
- जो भारत के बाहर किसी भी स्थान पर ऐसे कोई कार्य करता है जो यदि भारत में किया जाता तो दण्डनीय अपराध होता और जिसके लिये वह प्रत्यर्पण (Extradition) सम्बन्धी किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकड़े जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किये जाने का भागी हो या सम्बद्ध रहा हो या उसके ऐसे सम्बद्ध होने के विषय में उसके विरूद्ध उचित परिवाद किया जा चुका हो या इस सम्बन्ध में विश्वसनीय इत्तिला प्राप्त हो चुकी हो या उस पर उचित सन्देह विद्यमान हो.
- छोड़ा गया सिद्धदोष होते हुए इस संहिता की धारा 356 (5) के अन्तर्गत बनाये गये नियमों का उल्लंघन करें.
- जिसको गिरफ्तार किये जाने के लिये किसी अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा लिखित या मौखिक रूप से अनुदेश प्राप्त किया जा चुका हो.
- CrPC की धारा 42 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, ऐसे किसी व्यक्ति को, जो किसी असंज्ञेय अपराध से संबद्ध है या जिसके विरुद्ध कोई परिवाद किया गया है या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है या उसके ऐसे संबद्ध रहने के संबंध में युक्तियुक्त संदेह विद्यमान है, मजिस्ट्रेट के किसी वारंट या आदेश के सिवाय गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा.
नाम और निवास बताने से इन्कार करने पर गिरफ्तारी
CrPC 42 In Hindi? CrPC की धारा 42 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जिसने पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध किया हो या जिस पर ऐसा अपराध लगाया गया हो, और वह अधिकारी की मांग पर अपना नाम, निवास बताने से इन्कार करता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. यदि ऐसा व्यक्ति बन्धपत्र निष्पादित करने में असफल रहता है तो उसे 24 घण्टे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा.
संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ्तारी
CrPC 151 In Hindi? CrPC की धारा 151 के प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी पुलिस अधिकारी को जिसे किसी संज्ञेय अपराध को रोकने की कल्पना का ज्ञान हो या प्रतीत हो अपराध के किये जाने का निवारण अन्यथा नहीं किया जा सकता है, तो इस प्रकार परिकल्पना करने वाले व्यक्ति को बिना वारन्ट गिरफ्तार किया जा सकता है.
समुचित सरकार द्वारा दण्डादेश का निलम्बन वा परिहार रद्द करने पर गिरफ्तारी
CrPC 432 In Hindi? CrPC की धारा 432 के तहत, यदि कोई शर्त, जिस पर दण्डादेश का निलम्बन वा परिहार किया गया है, समुचित सरकार की राय में पूरी नहीं हुई है तो समुचित सरकार निलम्बन या परिहार को रद्द कर सकती है और तब पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को बिना वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है. पुलिस रेगुलेशन अधिनियम की धारा 34 के अन्तर्गत भी पुलिस को यह अधिकार प्राप्त है.
मेनका गांधी बनाम यूनियन आफ इण्डिया, [1978(1) SCC 248] में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गिरफ्तारी केवल विधि की स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही नहीं होना चाहिए बल्कि विधि भी न्यायपूर्ण, युक्तियुक्त और उचित होनी चाहिए.