सह-अपराधी कौन है?
सह-अपराधी ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जिसने स्वयं किसी अपराध को करने में भाग लिया हो जब कुछ लोग मिलकर अपराध को करते हैं तो उन्हें सह-अपराधी कहते हैं.
सह-अपराधी वह व्यक्ति होता है जो अपराध करने में बराबर साथ रहता है. सह-अपराधी शब्द से अपराध में साथ-साथ दोषी होना विदित होता है. जहाँ पर गवाह यह मानता है कि वह प्रतिवादी के साथ आपराधिक कार्य कर रहा था तो वह सह-अपराधी है. घूस लेना अपराध है और जो किसी लोक-अधिकारी को घूस देने का प्रस्ताव रखता है, वह सह-अपराधी है. अधिनियम के दो उपबन्ध इस विषय पर प्रकाश डालते हैं.
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साक्ष्य अधिनियम की धारा 133 के अनुसार, कोई सह- अपराधी सक्षम साक्षी होगा और कोई दोषसिद्धि केवल इसलिये अवैध नहीं है कि वह किसी सह-अपराधी के असम्पृष्ट परिसाक्ष्य के आधार पर की गयी है. सह-अपराधी के परिसाक्ष्य पर न्यायालय दण्ड दे सकता है ऐसी दोषसिद्धि केवल इस आधार पर अवैध नहीं होगी कि यह यह अपराधी के ऐसे परिसाक्ष्य पर आधारित है जिसका समर्थन करने वाला कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है.
दूसरा उपबन्ध धारा 114 (B) के अन्तर्गत मिलता है जो यह कहती है कि न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि सह-अपराधी विश्वसनीयता के अयोग्य है जब तक कि तात्विक विशिष्टियों में उसकी सम्पुष्टि नहीं होती है. इसका मतलब यह है कि सह- अपराधी विश्वसनीयता के अयोग्य है जब तक कि उसके परिसाक्ष्य को किसी अन्य साक्ष्य का समर्थन न मिल जाये।
धारा 133 स्पष्ट रूप से न्यायालय को सह-अपराधी के असम्पुष्ट परिसाक्ष्य के आधार पर दोषसिद्धि का पूर्णतया अधिकार देती है लेकिन क्योंकि ऐसा व्यक्ति स्वयं अपराधी रहा है इसलिये प्रत्येक परिस्थिति में वह विश्वसनीयत नहीं हो सकता और इसलिये न्यायालय को मार्गदर्शन के रूप में धारा 114 (B) के अधीन बताया गया है कि अगर आवश्यक हो तो न्यायालय यह उपधारणा कर सकता है कि उसकी बातें विश्वास करने के लायक नहीं हैं, जब तक कि किसी अन्य साक्ष्य का समर्थन न मिल जाये |