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सूचना
सूचना (Information) शब्द से तात्पर्य यह है कि अपराध की सूचना इस आशय से दी जाती है कि पुलिस मामले की जांच की कार्यवाही शुरू करे. यह सूचना या तो मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को दी जाती है. यह सूचना उस सूचना से भिन्न होती है जो कि पुलिस एक अपराध की जाँच करने के अनुक्रम में स्वयं प्राप्त करती है |
प्रथम सूचना रिपोर्ट
प्रथम सूचना रिपोर्ट (First Information Report, FIR) जिसे हम प्रथम सूचना (First information) भी कहते हैं. प्रथम सूचना रिपोर्ट उस सूचना को कहते हैं जो अपराध के किये जाने के सम्बन्ध में पुलिस ऑफिसर को दी जाती है जिससे पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उस पर कार्यवाही करें. यह सूचना लिखित या मौखिक हो सकती है, यदि मौखिक है तो यह पुलिस थाने पर लिखी जायेगी. प्रथम सूचना रिपोर्ट का सम्बन्ध एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) से है. यह पर्याप्त महत्व का एक प्रलेख (Docunient) है जिसका उद्देश्य यह देखना होता है कि किन तथ्यों के आधार पर अनुसन्धान की कार्यवाही का आरम्भ हुआ था और सर्वप्रथम घटित अपराध के सम्बन्ध में कौन-सी कहानी कही गयी थी |
शिकायत एवं सूचना की तुलना
शिकायत के मामले में एक मजिस्ट्रेट के पास अभिकथन इस उद्देश्य से किया जाता है कि वह इस दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के अन्तर्गत कार्यवाही कर सके. सूचना के मामले में अभिकथन प्रस्तुत करने का यह उद्देश्य होता है कि पुलिस एक किये गये अपराध के सम्बन्ध में अनुसंधान की कार्यवाही आरम्भ कर सके. इसीलिए एक मजिस्ट्रेट शिकायत प्राप्त करने के पश्चात् कार्यवाही करता है. क्योंकि शिकायतकर्ता ने इस बात की प्रार्थना की है कि CrPC के अधीन वह कार्यवाही करे, परन्तु सूचना पर मजिस्ट्रेट स्वयं अपनी ओर से कार्यवाही को आरम्भ करता है.
सूचना के मामले में कोई शिकायतकर्ता नहीं होता जिसकी परीक्षा शपथ पर की जाय जैसा कि शिकायत के मामले में होता है. मजिस्ट्रेट धारा 300 के अधीन शिकायत के सम्बन्ध में कार्यवाही प्रारम्भ कर सकता है. या धारा 203 के अन्तर्गत कारण बताते हुए शिकायत वारिज कर सकता है.
उक्त कारणों में वह अपने निर्णय के आधार का वर्णन करेगा कि कार्यवाही संचालित करने के लिए पर्याप्त आधार क्यों नहीं हैं, किन्तु सूचना पाने की दशा में यदि कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट से यह नहीं कहता कि वह आदेशिका (Process) जारी करे और यदि वह सूचना पर कार्य करने का फैसला नहीं करता है तो यह जरूरी नहीं है कि यह आदेश पास करे या किन्हीं कारणों का उल्लेख करे |
शिकायत एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट की तुलना
शिकायत के मामले में आरोप का अभिकथन मजिस्ट्रेट के समक्ष मौखिक या लिखित रूप में किया जाता है. इसका उद्देश्य यह होता है कि मजिस्ट्रेट इस पर कार्यवाही करेगा, जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) पुलिस को दी जाती है. शिकायत संज्ञेय या असंज्ञेय (Cognizable Or Non-cognizable) दोनों प्रकार के अपराधों के सम्बन्ध में को जा सकती है किन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offience) के सम्बन्ध में की जाती है.
मजिस्ट्रेट एक अपराध का संज्ञेय अपने समक्ष प्रस्तुत की गयी शिकायत के आधार पर करता है किन्तु वह प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर ऐसा संज्ञय नहीं कर सकता है. शिकायत पुलिस अधिकारी को छोड़कर किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है, जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस अधिकारी सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है |