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भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली की आधारशिला है. क्योंकि इस स्वतन्त्रता के द्वारा ही जनता की तार्किक और आलोचनात्मक शक्ति का विकास हो सकता है और जनता की इस शक्ति के विकास से लोकतन्त्रीय सरकार को सुचारु रूप से चलाने में सहायता मिलती है.
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में विचारों के प्रचार और प्रसार की स्वतन्त्रता शामिल है. भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता केवल अपने ही विचारों के प्रसार की स्वतन्त्रता तक सीमित नहीं है, इनमें दूसरों के विचारों के प्रसार एवं प्रकाशन की स्वतन्त्रता भी शामिल है, जो प्रेस की स्वतन्त्रता द्वारा ही सम्भव है.
सकाल पेपर्स लिमिटेड बनाम भारत संघ (AIR 1962 SC 305) के मामले में भी उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में प्रेस की स्वतन्त्रता भी शामिल है, क्योंकि समाचार-पत्र विचार की अभिव्यक्ति करने के एक माध्यम मात्र ही हैं.
प्रेस की स्वतन्त्रता
Article 19 (1)(a) In Hindi? प्रेस की स्वतन्त्रता (Freedom Of Press) राजनीतिक स्वतन्त्रता के लिए आवश्यक है. जिस समाज में मनुष्य को अपने विचारों को एक-दूसरे तक पहुँचाने की स्वतन्त्रता नहीं है वहाँ अन्य स्वतन्त्रताएँ भी सुरक्षित नहीं रह सकती है. वस्तुतः जहाँ वाक् स्वातन्त्र्य है वहीं स्वतन्त्र समाज का प्रारम्भ होता है और स्वतन्त्रता को बनाये रखने के सभी साधन मौजूद रहते हैं. इसलिये वाक् स्वातन्त्र्य की स्वतन्त्रताओं में एक अनोखा स्थान प्राप्त है.
प्रजाजन्त्र केवल विधायिका के सचेत देखभाल में ही नहीं वरन् लोकमत की देखभाल और मार्गदर्शन के अन्तर्गत भी फलता-फूलता है. प्रेस की ही यह सबसे बड़ी विशिष्टता है कि उसके हो माध्यम से लोकमत स्पष्ट होता है.
प्रेस की स्वतन्त्रता केवल दैनिक समाचारपत्रों और साप्ताहिक पत्रों तक ही सीमित नहीं है, इसके अन्तर्गत उस प्रकार के प्रकाशन सम्मिलित हैं, जिनके द्वारा व्यक्ति अपने विचारों को एक दूसरे तक पहुँचा सकता है, जैसे पत्रिका, पत्रक, विज्ञापन पटल आदि.
प्रेस की स्वतंत्रता आर्टिकल? प्रेस की स्वतंत्रता (Freedom Of Press) एक महत्वपूर्ण नागरिकाधिकार है जो एक व्यक्ति या संगठन को स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है ताकि वे स्वतंत्र रूप से समाचार, विचार, और जानकारी को सभी के साथ साझा कर सकें. प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है, जिसमें निम्नलिखित कहा गया है:
प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करती है-
1. स्वतंत्रता के अधिकार
प्रेस को स्वतंत्रता के अधिकार के साथ समाचार और जानकारी को प्राप्त करने, निर्माण करने, और प्रसारित करने का अधिकार होता है. यह अधिकार उन्हें स्वतंत्रता के साथ कार्य करने और सार्वजनिक हित में सत्य और नैतिकता को बनाए रखने की अनुमति देता है.
2. संविधानिक अधिकार
बहुत सारे देशों के संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का संरक्षण करने के लिए विशेष धाराएं शामिल होती हैं. ये धाराएं प्रेस को स्वतंत्रता के अधिकार के बारे में निर्देश और सीमाओं का प्रदान करती हैं.
3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता
पत्रकारों और मीडिया व्यक्तियों को अपनी विचारधारा, मत और व्यक्तिगत रूप से अभिव्यक्ति करने का अधिकार होता है. इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया जाता है, जो मीडिया पेशेवरों को उनके निजी और व्यक्तिगत विचारों को संवर्धित करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है.
4. निष्पक्षता
प्रेस को समाचार को निष्पक्ष और तत्कालिक सत्यता के साथ प्रस्तुत करने का अधिकार होता है. यह विभिन्न विचारधाराओं के साथ संविधान द्वारा सुरक्षित किया जाता है, ताकि प्रेस विश्वसनीयता और भरोसेमंद स्रोत के रूप में देखी जा सके.
5. व्यक्ति स्वतंत्रता
प्रेस को स्वतंत्रता मिलती है ताकि वे स्वतंत्र रूप से समाचार, जानकारी और विचारों को प्रकाशित कर सकें, बिना किसी प्रतिबंध या हस्तक्षेप के.
6. जीवन के अधिकार
प्रेस को लोगों के जीवन को बचाने और संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण समाचार प्रदान करने का अधिकार होता है.
7. मुक्ति की रक्षा का अधिकार
प्रेस को स्वतंत्रता के माध्यम से समाचार को निष्पक्षता और न्याय के साथ प्रकाशित करने का अधिकार होता है, जिससे लोगों की मुक्ति और न्याय की रक्षा हो सके.
8. धर्म, स्वभाव, भाषा, समुदाय और संघ के अनुसार एकता का अधिकार
प्रेस को समाचार और जानकारी को भाषा, संस्कृति, और समुदाय के अनुसार प्रकाशित करने का अधिकार होता है, ताकि लोग अपनी भाषा और संस्कृति को समझ सकें और एकता का संदेश फैला सकें.
यह अधिकार संविधान में दिए गए नियमों के अनुसार अभियांत्रिक हो सकता है, जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक क्रियान्वयन, या अन्य सामाजिक मुद्दे शामिल हो सकते हैं. लेकिन इन परिस्थितियों में भी, प्रेस को स्वतंत्रता और न्याय के साथ काम करने का अधिकार होता है.
प्रेस की स्वतंत्रता एक जिम्मेदारी भी है, और प्रेस को सत्यनिष्ठता, नैतिकता, और उच्चतम पत्रकारिता मानकों का पालन करना चाहिए, ताकि वे समाज के हित में उच्चतम मानकों को प्राप्त कर सकें.
प्रभुदत्त बनाम भारत संघ (AIR 1982 SC 61) के मामले में अभिनिर्धारित किया गया कि प्रेस की स्वतन्त्रता में संसूचनाओं तथा समाचारों की जानने का अधिकार भी शामिल है.
प्रेस का पूर्व अवरोध
न्यायिक निर्णयों ने प्रेस की स्वतन्त्रता को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में शामिल होना मान्य किया है, किन्तु प्रेस की स्वतन्त्रता का अर्थ है सरकार की पूर्व अनुमति के बिना अपने विचारों को प्रकाशित करना. अस्तु यदि कोई कानून ऐसे प्रकाशन पर पूर्व अवरोध आरोपित करता है, तो वह इस स्वतन्त्रता का उल्लंघन करता है.
सूचना का अधिकार
पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ, (AIR 2004 SC 1442) के वाद में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि सूचना का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(ए) में वर्णित “भाषण एवं अभिव्यक्ति” के अधिकार का ही एक प्रकार या रूप है. अतः निःसन्देह इस प्रकार सूचना का अधिकार एक मौलिक अधिकार है.
भारत में सूचना अधिकार अधिनियम 2005 पारित हो जाने के पश्चात् भारतीय लोकतंत्र निश्चित रूप से सशक्त होगा. चूँकि लोकतांत्रिक प्रणाली में सूचना का अधिकार एक अत्यन्त आवश्यक अधिकार है जिससे प्रत्येक नागरिक यह जान सके कि लोक प्राधिकारीगण सरकारी कामकाज कैसे कर रहे हैं.
वर्तमान अधिनियम का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को लोक प्राधिकारियों के पास सरकारी कामकाज से सम्बन्धित सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करना है. इस प्रकार अधिनियम का लक्ष्य प्रशासन में खुलापन, पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व को बढ़ाना है.
इस प्रकार सूचना का अधिकार आम नागरिकों से सम्बन्धित व सार्वजनिक हित से जुड़े मामलों को उद्घाटित कर प्रशासन में पारदर्शिता लाता है तथा लोकतंत्र को मजबूत करता है |