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हमला क्या है?
IPC की धारा 351 कब लगती है? भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 351 के अनुसार, “जो कोई इस आशय से यह जानते हुए कि उसके हाव-भाव से या उसकी तैयारी से किसी उपस्थित व्यक्ति को यह आशंका होने की सम्भावना हो सकती है कि हावभाव प्रकट करने वाला व्यक्ति उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करने वाला है या तैयारी करता है, तो उसके बारे में कहा जाता है कि वह हमला (Assault) करता है।”
केवल शब्दों का प्रयोग ही हमला नहीं हो जाता किन्तु जब व्यक्ति शब्दों का प्रयोग करते समय हाव-भाव प्रकट करे या तैयारी दिखलाये, जो कि उसके बल का प्रयोग प्रदर्शित करे, तब हमला हो जाता है.
उदाहरण के लिए,
- ‘क’ अपनी मुठठी ‘य’ के प्रति इस आशय से या इस बात की सम्भावना जानते हुए दिखलाता है कि उसके द्वारा ‘य’ को यह विश्वास हो जाय कि ‘क’ ‘य’ को मारने वाला ही है, ‘क’ ने हमला किया है.
- ‘क’ एक भयंकर कुत्ते की बाँधने वाली जंजीर इस आशय से या इस सम्भावना से खोलना प्रारम्भ करता है कि उसके द्वारा ‘य’ को यह विश्वास हो जाता है कि, ‘य’ पर कुत्ते से आक्रमण कराने वाला है, ‘क’ ने ‘य’ पर हमला किया है |
हमला की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति-
- कोई हाव-भाव या तैयारी,
- इस आशय से या यह जानकर कि ऐसी सम्भावना है,
- कि ऐसे हाव-भाव या तैयारी से किसी उपस्थित व्यक्ति को यह आशंका होने की सम्भावना हो सकती है,
- कि वह उस व्यक्ति पर बल-प्रयोग करने ही वाला है तो उसे हमला कहा जाता है |
हमले के आवश्यक तस्व
- किसी व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में हाव-भाव या तैयारी किया जाना,
- यह आशय या ज्ञान कि वह हाव-भाव या तैयारी ऐसी है जिससे उपस्थित व्यक्ति के मन में यह आशंका उत्पन्न होना सम्भव है कि वह हाव-भाव या तैयारी करने वाला व्यक्ति उसके प्रति आपराधिक बल का प्रयोग करने ही वाला है.
इस प्रकार हमले का अपराध गठित होने के लिये यह आवश्यक नहीं है कि किसी व्यक्ति को वास्तविक रूप से क्षति कारित है. धमकी मात्र इसके लिये पर्याप्त है.
किसी व्यक्ति की ओर भरी हुई पिस्तौल करना हमला है.
आपराधिक बल एवं हमले में निम्नलिखित अन्तर पाया जाता है-
- हमला, आपराधिक बल प्रयोग को बनिस्बत (Instead Of) कुछ हल्का अपराध है. हमला सूचना इस बात का प्रारम्भिक चिह्न कि आपराधिक बल का प्रयोग किया जाने वाला ही है. हमला हरकत अथवा तैयारी है जबकि आपराधिक बल का प्रयोग वह लक्ष्य है जिससे तैयारी का सम्बन्ध है. हमला आपराधिक बल प्रयोग की प्रारम्भिक हालत है. प्रत्येक आपराधिक बल-प्रयोग में हमले का उत्प्रेरण होता है.
- आपराधिक बल प्रयोग में अपराधी किसी अन्य व्यक्ति पर बल का प्रयोग करता है. किन्तु हमले में वह अपने हाव-भाव, तैयारी या धमकी से उस अन्य व्यक्ति के भीतर यह आशंका उत्पन्न करता है कि उसके विरुद्ध आपराधिक बल का प्रयोग किया जाने वाला है. किसी व्यक्ति को दिखाकर घूंसा हिलाना केवल हमला है, परन्तु उसे घूंसा मार देना आपराधिक बल प्रयोग होगा.
- आपराधिक बल प्रयोग हमले को अधिक उत्तेजक एवं गम्भीर होता है. हमला अन्तिम अवस्था को प्राप्त हो जाने पर आपराधिक बल का रूप ले लेता है |