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पेटेण्ट दाखिल करने की प्रक्रिया
पेटेंट आवेदन भरने की प्रक्रिया? पेटेण्ट अधिनियम, 1970 की धारा 6 से 11 के अन्तर्गत उन शर्तों एवं औपचारिकताओं को उपबंधित किया गया है जिसमें पेटेण्ट दाखिल करते समय आवेदनकर्ता द्वारा पूरा किया जाना आवश्यक होता है. जब तक आविष्कार को पेटेण्ट प्राप्त नहीं होता है यह साम्पत्तिक अधिकार का स्वरूप ग्रहण नहीं करता है. पेटेण्ट प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाना अपेक्षित होता है-
- आवेदन पत्र का प्रस्तुतीकरण
- आवेदन-पत्र का प्रकाशन
- आवेदन-पत्र की जाँच
- आवेदक को पेटेण्ट प्रदान किये जाने का विरोध
- पक्षकारों की सुनवाई
- पेटेण्ट का अनुदान
पेटेण्ट के लिए आवेदन करने वाले अधिकृत व्यक्ति पेटेण्ट के लिये आवेदन करने के लिये ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है जो अधिनियम की धारा 6 (1) के अन्तर्गत अधिकृत होते हैं. ऐसे व्यक्ति निम्नलिखित हैं-
- वास्तविक और प्रथम आविष्कारक होने का दावा करने वाला कोई व्यक्ति,
- वास्तविक और प्रथम आविष्कारक होने का दावा करने वाले किसी व्यक्ति का समनुदेशित, और
- किसी मृत व्यक्ति, जो मृत्यु से तत्काल पूर्व पेटेण्ट के लिये आवेदन करने के लिये अधिकृत था, का विधिक प्रतिनिधि |
आवेदन का प्ररूप
पेटेण्ट अधिनियम की धारा 7 आवेदन-पत्र को पेटेण्ट कार्यालय में दाखिल किये जाने, आवेदन पत्र के प्ररूप और अन्तर्राष्ट्रीय आवेदन पत्रों के बारे में प्रावधान करती है. अधिनियम की धारा 7 (1) के अनुसार, पेटेण्ट के लिये प्रत्येक आवेदन विहित प्ररूप में केवल एक आविष्कार के बारे में किया जाना चाहिये.
पेटेण्ट परिनियमावली, 2003 में आवेदन के लिये प्ररूप विनिर्दिष्ट है जिसे पेटेण्ट कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है और अधिनियम के अधीन पेटेण्ट के लिए आवेदन करने से सम्बन्धित प्रावधानों का अनुपालन करते हुए आवेदन पत्र पेटेण्ट कार्यालय में दाखिल किया जाता है. आवेदन पूर्ण होना चाहिए और सभी शर्तों का पूरा किया जाना आवश्यक होता है.
विदेशी आवेदकों के लिए विशेष प्रावधान अधिनियम की धारा 8 के अन्तर्गत विदेशी आवेदन पत्रों की जानकारी और वचन बंध का उल्लेख है जिसका अधिनियम के प्रावधानों के अधीन पूरा किया जाना अपेक्षित है.
यदि इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी आवेदक द्वारा अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से भारत से बाहर किसी अन्य देश में पेटेण्ट के लिए आवेदन किया जा रहा है तो उसे अपने आवेदन पत्र के साथ ऐसे. आवेदन पत्र का विस्तृत विवरण नियंत्रक द्वारा स्वीकृत विहित समय के भीतर विनिर्दिष्ट करना पड़ता है और साथ ही किसी अन्य देश में आवेदन करने वाले व्यक्ति को इस बारे में वचनबंध होना पड़ता है कि वह भारत में पेटेण्ट अनुदत्त किये जाने की तिथि तक भारत से बाहर पेटेण्ट दाखिल आवेदन-पत्र की प्रगति के बारे में नियंत्रक को समय-समय पर लिखित रूप से अवगत कराता रहेगा |
अनन्तिम और पूर्ण विनिर्देश
अधिनियम की धारा 9 की उपधारा (1) यह प्रावधान करती है कि जहाँ पेटेण्ट के लिये आवेदन-पत्र के साथ अनन्तिम विनिर्देश दाखिल किया गया है, ऐसा आवेदन-पत्र दाखिल किये जाने की तिथि से 12 माह के भीतर पूर्ण विनिर्देश दाखिल किया जाना चाहिये और विनिर्देश उपर्युक्त समय के भीतर नहीं दाखिल किया जा सकता है तो यह समझा जाता है कि आवेदक ने पेटेण्ट के लिए आवेदन के लिए परित्याग कर दिया.
जहाँ दो या दो से अधिक आवेदन पत्र एक ही आवेदक के नाम ऐसे आविष्कारों के बारे दाखिल किया जाता है जो सजातीय हैं या जो एक दूसरे के सुधारक हैं और नियंत्रक की राय में आविष्कार ऐसे हैं जो एक आविष्कार बनाते हैं और जिन्हें एक पेटेण्ट के अन्तर्गत उचित रूप से सम्मिलित किया जा सकता है तो वह ऐसे सभी अनन्तिम विनिर्देशों के बारे में एक पूर्ण विनिर्देश दाखिल करने की अनुमति प्रदान कर सकता है. धारा 9 को उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट समय की अवधि की गणना सर्वप्रथम दाखिल किए गए अनन्तिम विनिर्देश की तिथि से की जाती है |
विनिर्देशों की अन्तर्वस्तु
अधिनियम की धारा 10 के अन्तर्गत विनिर्देश की विषय वस्तु का उल्लेख किया गया है जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातें उल्लेखनीय हैं-
- आविष्कार का वर्णन होगा जिससे आविष्कार से संबंधित विषय वस्तु पर्याप्त रूप से स्पष्ट हो सके.
- आविष्कार के उपयोग और तरीका जिसके द्वारा इसका उपयोग किया जाना है का विस्तृत विवरण.
- आविष्कार के काम करने के सर्वोत्तम तरीके का प्रकटीकरण जो आवेदनकर्ता को ज्ञात हो.
- आविष्कार के कार्यक्षेत्र को निर्धारित करते हुए संरक्षण के दावे का उल्लेख.
- प्रत्येक पूर्ण विनिर्देश के साथ आविष्कार के बारे में तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सारांश संलग्न करना |
आवेदन का प्रकाशन एवं परीक्षण
पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया कौन शुरू करता है? धारा 11क (7) के अन्तर्गत पेटेण्ट के लिए आवेदन के प्रकाशन की तिथि से और ऐसे आवेदन के बारे में पेटेण्ट अनुदत्त किये जाने की तिथि तक आवेदक वैसे ही विशेषाधिकार और अधिकार रखता है. जैसे कि आवेदन के प्रकाशन की तिथि पर उसे पेटेण्ट अनुदत्त कर दिया गया हो. लेकिन जब तक पेटेण्ट अनुदत्त नहीं कर दिया जाता है आवेदक अतिलंघन के लिये कार्यवाही संस्थित करने के लिए अधिकृत नहीं होता है.
पेटेण्ट अनुदत्त किये जाने के लिए आवेदन का परीक्षण आवश्यक है. जिसका उल्लेख अधिनियम की धारा 11ख में किया गया है. आवेदक द्वारा परीक्षण के बारे मैं निवेदन आवेदन के प्रकाशन के पश्चात लेकिन आवेदन की पूर्वता तिथि से या आवेदन दाखिल किये जाने की तिथि से 36 माह के भीतर था. जनवरी, 2005 से 12 माह के भीतर, जो भी पूर्वतर हो, नियमावली में अन्तर्विष्ट प्ररूप 18 के अनुरूप किया जाना चाहिए |