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एक संयुक्त स्टाक (स्कंध) कम्पनी अपनी पूँजी को समान वर्ग की इकाइयों में विभाजित करती है. प्रत्येक इकाई को अंश कहते हैं. यह इकाइयों जैसे अंश को पूँजी की प्राप्ति के लिये विक्रय का प्रस्ताव किया जाता है. इस प्रक्रिया को अंशों का निर्गमन कहते हैं. एक व्यक्ति जो अंशो का क्रय करता है, अंशधारी कहलाता है. अंशों के अधिग्रहण के द्वारा वह कम्पनी के स्वामियों से एक होता है. अतः अंश, पूँजी की एक अविभाज्य इकाई है. यह कम्पनी तथा अंशधारी के मध्य स्वामित्व का संबंध दर्शाता है. अंश पर मुद्रित मूल्य, सम मूल्य कहलाता है. कम्पनी की सम्पूर्ण पूँजी, अंशों में विभाजित होती है |
अंश का अर्थ
अंश का अर्थ इस बात से लगाया जा सकता है कि अंश जिसे हम प्रचलित भाषा में शेयर कहते है, कंपनी के लिए अर्थ संग्रहकरण अर्थात पूँजी इकट्ठा करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत अथवा साधन है. कंपनी के व्यापार, व्यवसाय एवं कारबार के नियंत्रण में अंशों का अहम योगदान रहता है. कंपनी शेयर, डिबेंचर और सावधि जमा जैसे संसाधनों से पूंजी जुटाती है |
अंश की परिभाषा
कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (84) में अंश (Share) को परिभाषित किया गया है. धारा 2 (84) के अनुसार, अंश कम्पनी का वह हिस्सा है जिसमें स्टाक (स्कंध) का भी समावेश होता है, जब तक कि अंश और स्टाक में व्यक्त या विवक्षित रूप से अन्तर न किया गया हो.
बोरलैण्ड्स ट्रस्टी बनाम स्टील ब्रदर्स (1901) के बाद में न्यायमूर्ति फेयरवेल ने शेयर को अंशधारी का ऐसा हित निरूपित किया है जो प्रथमतः कम्पनी के दायित्व के प्रयोजन हेतु धनराशि में तथा द्वितीयतः लाभांश में आंका जा सके.
अंश की उपयुक्त परिभाषा को स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आयकर आयुक्त बनाम स्टैण्डर्ड वेक्यूम आंइल कम्पनी, (1966) 1 SC के मामले में कहा कि कम्पनी के अंशों का आशय धनराशि न होकर ऐसे हित से है जो धनराशि में आंका जा सके तथा इसमें अंशधारी के कम्पनी के प्रति विभिन्न अधिकारों का समावेश रहता है और ये अंशधारी तथा संबंधित कम्पनी के बीच संविदा का निर्माण करते हैं.
अतः यह कहा जा सकता है कि अंश (शेयर) एक ऐसा अधिकार है जो अंशधारी (शेयरधारक) को कम्पनी के लाभ में सहभागी बना देता है तथा यह एक चल सम्पत्ति है. जिसका कम्पनी के अन्तर्नियमों के अनुसार अन्तरण हो सकता है. लेकिन यह परक्राम्य लिखित नहीं है |
अंशों के कुछ अन्य प्रकार
वैसे अंश मुख्यतया दो प्रकार के माने गये हैं-
- इक्विटो अंश एवं
- अधिमानी अंश। लेकिन इनके अलावा कुछ अन्य प्रकार के अंश भी हैं, यथा-
1. आस्थगित अंश
आस्थगित अंश को विलम्बित अंश (Deferred share) भी कहा जाता है. ऐसे अंश साधारणतया-
- कम्पनी के प्रवर्तकों को कम्पनी के संप्रवर्तन के प्रतिफलस्वरूप, अथवा
- अण्डर राइटर को कम्पनी की ओर से कमीशन स्वरूप, अथवा
- मौलिक विक्रेताओं को उनके द्वारा कम्पनी को की गई माल की आपूर्ति के प्रतिफलस्वरूप, आबंटित किये जाते हैं.
ऐसे अंशों पर देय लाभांशों का भुगतान अन्य सभी प्रकार के अंशों पर देय लाभांशों के भुगतान के पश्चात किया जाता है.
2. बोनस अंश
बोनस अंश से अभिप्राय ऐसे अंश से है जिसका आवंटन बोनस के भुगतान के रूप में किया जाता है. कभी-कभी कम्पनी में लाभ की राशि एकत्रित हो जाती है और कम्पनी ऐसे लाभ की राशि का वितरण अपने अंशधारियों में करने के आशय से पूर्णतया संदत अंश अंशधारियों के नाम आवंटित कर देती है. ऐसे अंशों को बोनस अंश (Bonus Share) कहा जाता है.
बोनस अंश तभी जारी किये जा सकते हैं, जब
- कम्पनी को संगम अनुच्छेद द्वारा ऐसे अंश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई हो,
- कम्पनी के अंशधारियों की बैठक में इस आशय का विशेष संकल्प पारित किया गया हो, तथा
- पूँजी निर्गमन नियंत्रक की अनुमति प्राप्त की गई हो।
- स्वीट इकिटी अंश पूर्व अधिनियम के अन्तर्गत
3. स्वीट इक्विटी अंश
का प्रावधान किया गया था. स्वीट इक्विटी अंश (Sweat Equity Share) से अभिप्राय ऐसे इक्विटी अंश से है जो बट्टे (Discount ) पर जारी किये जाते हैं अथवा जो नकदी से भिन्न प्रतिफल के लिए निर्गमित किये जाते हैं. ऐसे स्वीट इक्विटी अंश कम्पनी की साधारण सभा की बैठक में विशेष संकल्प पारित कर जारी किये जाते हैं |