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सक्षम गवाह कौन है?
सामान्य नियम के अनुसार सभी लोग साक्ष्य देने की क्षमता रखते हैं, अक्षमता अपवाद है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के अनुसार सभी व्यक्ति साक्ष्य देने के लिए सक्षम होंगे जब तक कि न्यायालय का यह विचार न हो कि कोमलवय (Tender Age), अतिवार्धक्य (Overgrowth), शरीर के या मन के रोग या इसी प्रकार के किसी अन्य कारण से वे उनसे किये गये प्रश्नों को समझने से या उन प्रश्नों के तर्कसंगत उत्तर देने से निवारित (Prevented) हैं.
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1. बाल (Child Witness)
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 में अक्षमता का एक कारण बालपन बताया गया है. बालक को क्षमता का निधारण भी न्यायालय प्रश्नों को पूछ कर करेगा, और यदि बालक (Child Witness) इतनी बुद्धि रखता है कि प्रश्नों को समझ सके और उसका तर्कसंगत उत्तर दे सके तो उसके द्वारा दिया साक्ष्य मान्य होगा. 5 से 6 वर्ष तक के बालक भी साक्ष्य देने के लिए सक्षम माने गये है, परन्तु 12 वर्ष से नीचे के बालक यदि गवाह के रूप में पेश होते हैं तो उन्हें शपथ नहीं दिलायी जाती.
हिम्मत सुखदेव बहुखां बनाम महाराष्ट्र राज्य AIR 2009 के वाद में 13 वर्ष के बच्चे के साक्ष्य को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विश्वसनीय साक्ष्य माना और ग्रहण किया गया |
2. वृद्ध, बीमार, पागल व्यक्ति
कभी-कभी बहुत वृद्ध (Old Age) हो जाने के कारण भी व्यक्ति की समझ कम हो जाती है और यदि न्यायालय पाता है कि अति वृद्ध (Very Old) हो जाने के कारण गवाह (साक्षी) प्रश्नों को समझने और उसका तर्कसंगत उत्तर देने में असमर्थ है तो उसका साक्ष्य नहीं लिया जायेगा. इसी प्रकार शारीरिक या मानसिक रोग के कारण भी न्यायालय किसी व्यक्ति को साक्ष्य देने से अक्षम घोषित कर सकता है. परन्तु ऐसे सभी मामलों में क्षमता परखने की कसौटी एक ही है और वह है प्रश्नों को समझने और उनका तर्कसंगत उत्तर देने की बुद्धि, समझ और क्षमता.
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पागल व्यक्ति (Lunatic Person) के बारे में तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के स्पष्टीकरण में ही कहा गया है कि कोई पागल व्यक्ति साक्ष्य देने के लिए अक्षम नहीं है, जब तक कि वह अपने पागलपन के कारण उससे किये गये प्रश्नों को समझने से या उनके युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित न हो |
3. गूंगा गवाह
यदि कोई गवाह बोलने में असमर्थ है तो इतने मात्र से वह साक्ष्य देने में अक्षम नहीं माना जायेगा. कोई व्यक्ति बोलने में असमर्थ रोग के कारण हो सकता है, मौन व्रत लेने के कारण हो सकता है या जन्मजात गूंगा हो सकता है. गूंगा व्यक्ति मूर्ख नहीं माना जाता और उसके द्वारा दिया गया साक्ष्य, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 119 के अनुसार मान्य होगा.
गूंगा व्यक्ति न्यायालय में उपस्थित होकर इशारों के द्वारा अपना साक्ष्य दे सकता है. उन इशारों या संकेतों की व्याख्या करना और अर्थ लगाना न्यायालय का कार्य होगा.
परंतु यदि साक्षी मौखिक रूप से संसूचित करने में असमर्थ है तो न्यायालय कथन अभिलिखित करने में किसी द्विभाषिए या विशेष प्रबोधक को सहायता लेगा और ऐसे कथन की वीडियो फिल्म तैयार की जा सकेगी |
4. कब पति-पत्नी सक्षम गवाह होंगे?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 120 के प्रावधानों के अनुसार दीवानी कार्यवाहियों में दावे पक्षकार और किसी पक्षकार का पति या पत्नी सक्षम गवाह होंगे, और जिस व्यक्ति के विरुद्ध कोई दाण्डिक कार्यवाही हो तो उसका पति या पत्नी सक्षम गवाह होंगे |
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1. कब एक गवाह को साक्ष्य देने के लिए विवश किया जायेगा?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 132 में यह उपबंधित है कि दीवानी या आपराधिक कार्यवाहियों में किसी गवाह को किसी सुसंगत प्रश्न का उत्तर देने से इस आधार पर माप नहीं किया जायेगा कि उस उत्तर में वह अपराध में फँस जायेगा.
किन्तु ऐसे प्रश्नों का उत्तर यदि देने के लिए वह बाध्य किया जायेगा तो उससे न तो वह कैद किया जायेगा, न मुकदमा चलेगा या न किसी आपराधिक मामलों में यह साबित किया जा सकेगा. किन्तु यदि वह मिथ्या (गलत) साक्ष्य देता है तो उसके विरुद्ध मिथ्या साक्ष्य का मुकदमा चल सकता है.
2. साक्ष्य देने के लिए विवश
किसी साक्षी को साक्ष्य देने के लिए बाध्य किया गया यह तब कहा जाता है जब साक्षी को उससे पूछे गये प्रश्नों पर आपत्ति हो या वह न्यायालय से उत्तर देने की उन्मुक्ति की मांग करता है फिर भी उसे उत्तर देने के लिए बाध्य किया जाय |