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न्यायालय की अवमानना का अर्थ?
न्यायालय की अवमानना का तात्पर्य इस बात से लगाया जा सकता हैं. न्यायालय की अपनी गरिमा होती है. न्यायालय का वातावरण अत्यंत शांत व गम्भीर होता है. मामलों की सुनवाई के समय पक्षकारों से, अधिवक्ताओं से और अन्य सभी व्यक्तियों से शांति और शालीनता बनाये रखने की अपेक्षा की जाती है. किसी भी व्यक्ति को न्यायालय के कार्य में हस्तक्षेप करने अथवा बाधा या विघ्न डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यदि कोई व्यक्ति चाहे वह अधिवक्ता ही क्यों न हो, ऐसा कार्य करता है जिससे न्यायालय के कार्य में बाधा अथवा व्यवधान उत्पन्न हो, तो ऐसे व्यक्ति को न्यायालय की अवमानना (Contempt of Court) के लिये दण्डित किया जा सकता है.
न्यायालय की अवमानना के सम्बन्ध में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 228 के अन्तर्गत समुचित व्यवस्था की गई है. इसके अनुसार “जो कोई किसी लोक सेवक का उस समय, जबकि ऐसा लोक सेवक न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में बैठा हुआ हो, साशय कोई अपमान करेगा या उसके कार्य में कोई विघ्न डालेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि 6 माह तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो 1 हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।”
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इस प्रकार न्यायालय की अवमानना का अर्थ किसी व्यक्ति के ऐसे कार्य से लगाया जाता है जिसके कारण न्यायालय के कार्य में बाधा आती है तथा ऐसा कार्य उस व्यक्ति द्वारा जानबूझकर किया गया हो |
न्यायालय की अवमानना की परिभाषा?
अधिनियम की धारा 2 (क) के अनुसार न्यायालय के अवमान से तात्पर्य सिविल आपराधिक अवमान से अभिप्रेत है. अधिनियम द्वारा न्यायालय की अवमानना को परिभाषित नहीं किया गया है, बल्कि यह बताया गया है कि अवमानना कितने प्रकार का होता है |
न्यायालय की अवमानना के प्रकार?
न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (क) के तहत ‘सिविल अवमानना’ और ‘आपराधिक अवमानना’ के रूप में परिभाषित करता है. न्यायालय की अवमानना ‘दो’ प्रकार की होती हैं-
- सिविल अवमानना (Civil Contempt)
- आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt)
1. सिविल अवमानना
न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 के खण्ड (ख) के अनुसार सिविल अवमानना (Civil Contempt) का अर्थ किसी न्यायालय के निर्णय, डिग्री, निर्देश, आदेश, रिट या आदेशिका की अवज्ञा या किसी न्यायालय में किए गए परिवचन के जानबूझकर की गई अवज्ञा से है.
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सिविल अवमानना (Civil Contempt) मूलतः उस व्यक्ति, जो किसी न्यायालय के किसी आदेश का लाभ पाने के लिए अधिकृत है, के विरुद्ध एक दोष है. सिविल अवमानना एक दोष है जिसके लिए न्यायालय क्षतिग्रस्त व्यक्ति को क्षतिपूर्ति कराती है. यद्यपि वह नाममात्र का न्यायालय अवमानना है. यह वास्तव में एक प्राइवेट प्रकृति का दोष है जो जनता के मध्य होता है और जिसकी कार्यवाही में राज्य (State) पक्षकार नहीं होता. इसमें दिया गया दण्ड, वादी के अधिकारों के प्रवर्तन द्वारा सम्पादित होता है.
सिविल अवमानना की कार्यवाही आवश्यक रूप में न्यायालय के किसी आदेश के पालन के लिए प्रारम्भ की जाती है. यह कार्यवाही उस आदेश के निष्पादन के लिए होती है |
2. आपराधिक अवमानना
आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) से अभिप्राय है. ऐसे कोई कार्य करना अथवा प्रकाशन करना जो न्यायालय की निन्दा करते हों या ऐसी प्रवृत्ति वाले हों या उसके प्राधिकार को कम करते हों या ऐसी प्रवृत्ति के हों या न्यायालय पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हों या न्यायिक कार्यवाहियों में बाधा डालने वाले हों या ऐसी प्रवृत्ति वाले हों।
न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (ग) के अनुसार आपराधिक अवमानना से किसी भी ऐसी बात का (चाहे वह बोले गए या वह लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या रूपणों द्वारा या) प्रकाशन अथवा किसी अन्य ऐसे कार्य को करना अभिप्रेत है-
- जो किसी न्यायालय को कलंकित करता है अथवा जिसकी प्रवृत्ति कलंकित करने की है अथवा जो उसके प्राधिकार को घटाता है अथवा जिसकी प्रवृत्ति उसे घटाने की है,
- जो किसी न्यायिक कार्यवाही के सम्यक अनुक्रम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. अथवा उसमें हस्तक्षेप करता है या जिसकी प्रवृत्ति उसमें हस्तक्षेप करने की है,
- जो न्याय प्रशासन में किसी अन्य रीति से हस्तक्षेप करता है या जिसकी प्रवृत्ति उसमें हस्तक्षेप करने की है अथवा जो उसमें बाधा डालता है या जिसकी प्रवृत्ति उसमें बाधा डालने की है |