राज्यपाल की नियुक्ति और उसकी शक्तियां?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल होता है किन्तु एक ही व्यक्ति दो या अधिक राज्यों के लिये राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया जा सकता है. राज्यपाल की नियुक्ति अनुच्छेद 155 और 156 के अनुसार, राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है और वह राष्ट्रपति … Read more

पूर्व-निर्णय | पूर्व-निर्णय का सिद्धांत

न्यायिक पूर्व-निर्णय का महत्व लगभग सभी विधि प्रणालियों में विद्यमान है. निर्णय देने वाले न्यायालय के ऊपर पूर्व-निर्णय की बाध्यता का तत्व निर्णीतानुसरण के रूप में उत्पन्न होता है यह विधि का साक्ष्य नहीं है बल्कि स्रोत है. पूर्व-निर्णय का अर्थ सामण्ड के अनुसार, न्यायिक पूर्व-निर्णय न्यायालय द्वारा दिया गया ऐसा निर्णय है जिसमें विधि … Read more

आधिपत्य या कब्जा की परिभाषा एवं आधिपत्य के तत्व | आधिपत्य के सिद्धान्त

आधिपत्य या कब्जा की परिभाषा सामण्ड के अनुसार, “किसी भौतिक वस्तु के आधिपत्य अथवा कब्जा का तात्पर्य उस (वस्तु) के अनन्य उपयोग के अधिकार का निरन्तर प्रयोग है.” उपर्युक्त परिभाषा में हम दो तत्व पाते हैं- दूसरे शब्दों में ‘आधिपत्य’ में दो तत्व मौजूद रहते हैं- मेन के अनुसार, “किसी वस्तु पर भौतिक अधिकार उसको … Read more

अनुश्रुत साक्ष्य क्या है? | कब अनुश्रुत साक्ष्य ग्राह्य होता है?

अनुश्रुत साक्ष्य अनुश्रुत शब्द की परिभाषा साक्ष्य अधिनियम में नहीं दी गई है. यह वह साक्ष्य है जो साक्षी की स्वयं की जानकारी का न हो कर किसी अन्य व्यक्ति से प्राप्त किया गया होता है. यह न्यायालय के बाहर किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया था जो वाद में पक्षकार नहीं है. टेलर के … Read more

आविष्कार क्या है? | पेटेंट अधिनियम के तहत क्या आविष्कार नहीं है?

आविष्कार की परिभाषा भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 2 (1) (ञ) में शब्द ‘आविष्कार’ की परिभाषा दी गई है. इसके अनुसार- “आविष्कार से अभिप्राय औद्योगिक प्रयोग के लिए समर्थ तथा आविष्कार योग्य कदम से अन्तर्ग्रस्त नये उत्पाद या प्रक्रिया से है.” साइनिंग इण्डस्ट्रीज बनाम श्री कृष्ण इण्डस्ट्रीज (AIR 1975 इलाहाबाद 231) के मामले में … Read more

राष्ट्रीयता क्या है? | राष्ट्रीयता का महत्व, प्राप्त करने के तरीके एवं खोना

राष्ट्रीयता की परिभाषा स्टार्क के अनुसार, “राष्ट्रीयता की परिभाषा ऐसे व्यक्तियों की सामूहिकता की सदस्यता की स्थिति से दी जा सकती है जिसके कृत्य, निर्णय और नीति ऐसे राज्य की वैध अवधारणा के माध्यम से संरक्षित हैं जो कि उन व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है.” फेन्विक के अनुसार, “राष्ट्रीयता एक ऐसा बंधन है जो व्यक्ति … Read more

किसी कंपनी के निदेशकों की शक्तियां एवं कर्तव्य

कंपनी के कारबार का संचालन एवं प्रबन्धन निदेशकों द्वारा ही किया जाता है. वस्तुतः कंपनी का सारा कामकाज निदेशकों के जिम्मे ही होता है. यही कारण है कि कंपनी अधिनियम के अन्तर्गत निदेशकों को विपुल शक्तियां प्रदान की गयी हैं. वास्तविकता तो यह है कि कम्पनी की शक्तियों का प्रयोग उसके निदेशकों द्वारा ही किया … Read more

एक कंपनी में निदेशकों की नियुक्ति के 5 तरीके | निदेशकों की अयोग्यता

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 152 में निदेशकों की नियुक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है. कंपनी के प्रबन्धन में निदेशकों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अतः यह अपेक्षा की जाती है कि कम्पनी के निदेशक पद पर कर्तव्यनिष्ठ कार्यकुशल एवं दक्ष व्यक्ति को ही नियुक्त किया जाना चाहिये. धारा 149(3) में यह … Read more

कंपन किसे कहते हैं? | कंपनी का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

कंपनी का अर्थ ‘कंपनी’ शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है. इसकी उत्पत्ति दो लैटिन शब्दों ‘कम’ (Com) और ‘पेनिस’ (Panis) के मेल से हुई है, जिनका अर्थ क्रमश: ‘साथ-साथ’ तथा ‘रोटी’ होता है. प्रारम्भ में ‘कंपनी’ शब्द का आशय ऐसे व्यक्तियों के समूह से था जो भोजन के लिये एकत्रित हुए हों | यह … Read more

न्यूनतम मजदूरी क्या है? | मजदूरी के प्रकार

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम श्रमिक वर्ग का किसी देश के आर्थिक विकास में सर्वाधिक योगदान होता है इसलिए सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में उन्हें महत्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए. औद्योगिक विकास के वर्तमान युग में यदि श्रमिक वर्ग असंतुष्ट है उसे उचित मजदूरी नहीं दी जाती उसका शोषण किया जाता है तो इसे औद्योगिक विकास का युग … Read more