BNS धारा 1 क्या है? | बीएनएस के उद्देश्य एवं कारणों का कथन

BNS धारा 1 क्या है? | BNS के उद्देश्य एवं कारणों का कथन

भारत के तीन नए आपराधिक कानून; भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA), 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे.

भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने नई भारतीय कानूनी प्रणाली में भारतीय दंड संहिता (IPC) का स्थान ले लिया है, जिसमें धाराओं की संख्या 511 से घटाकर 358 कर दी गई है तथा घृणा अपराध और भीड़ द्वारा हत्या सहित 21 नए अपराध जोड़े गए हैं.

यह भी जाने : विधिक व्यक्ति का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | विधिक व्यक्तित्व के सिद्धांत

उद्देश्य एवं कारणों का कथन

वर्ष 1834 में, लॉर्ड थॉमस बेबिंग्टन मैकॉले की अध्यक्षता में विद्यमान न्यायालयों की अधिकारिता, शक्ति और नियमों के साथ, पुलिस स्थापनों और भारत में प्रवृत्त विधियों की जांच करने के लिए भारतीय विधि आयोग का गठन किया गया था.

आयोग ने सरकार को विभिन्न अधिनियमितियों का सुझाव दिया. आयोग द्वारा की गई महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक भारतीय दंड संहिता (IPC) के लिए थी, जिसे वर्ष 1860 में अधिनियमित किया गया था और उक्त संहिता, समय-समय पर उसमें किए गए कुछ संशोधनों के साथ देश में अभी भी बनी हुई थी.

भारत सरकार ने विधि और व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से और विधिक प्रक्रिया को सरल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विद्यमान दाण्डिक विधियों का पुनर्विलोकन करना समीचीन और आवश्यक समझा है, जिससे जन साधारण को जीवनयापन की सुगमता सुनिश्चित की जा सके. सरकार ने विद्यमान विधियों को समकालीन स्थिति के अनुसार सुसंगत बनाने और जन साधारण को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए भी विचार किया.

तद्नुसार, समकालीन आवश्यकताओं और लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा विधिक ढांचा सृजित करने की दृष्टि से, जो नागरिक केंद्रित हो और नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न पणधारियों से परामर्श किया गया.

IPC का निरसन करके, एक नई विधि को अधिनियमित करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे अपराधों और शास्तियों से संबंधित उपबंधों को सुप्रवाही किया जा सके. समुदाय सेवा को पहली बार छोटे अपराधों के लिए एक दंड के रूप में उपबंधित करना प्रस्तावित है. महिलाओं और बालकों के विरुद्ध अपराध, हत्या और राज्य के विरुद्ध अपराधों को अग्रताक्रम दिया गया है.

विभिन्न अपराधों को लैंगिक रूप से तटस्थ बनाया गया है. संगठित अपराधों और आतंकवादी कार्यकलापों की समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए, आतंकवादी कार्यकलाप और संगठित अपराध के नए अपराधों को विधेयक में कठोर दंड के साथ जोड़ा गया है. अलगाववाद, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक कार्यकलाप, अलगाववादी कार्यकलाप या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता पर खतरों को नए अपराध के रूप में जोड़ा गया है.

यह भी जाने : विधि शासन क्या है? | विधि शासन का अर्थ, परिभाषा, महत्व एवं विशेषताएं

विभिन्न अपराधों के लिए जुर्माने और दंड में भी समुचित रूप से वृद्धि की गई है. तद्नुसार, तारीख 11 अगस्त, 2023 को एक विधेयक अर्थात् भारतीय न्याय संहिता, 2023, लोक सभा में पुरःस्थापित किया गया था. विधेयक, विभाग-संबंधित गृह कार्य संबंधी संसदीय स्थायी समिति को उसके विचार और रिपोर्ट हेतु निर्दिष्ट किया गया था.

समिति ने विचार-विमर्श करने के पश्चात्, तारीख 10 नवम्बर, 2023 को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में अपनी सिफारिशें की थी. समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर सरकार द्वारा विचार किया गया और लोक सभा में लंबित विधेयक को वापस लेने तथा समिति द्वारा की गई उन सिफारिशों को सम्मिलित करते हुए, जिन्हें सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है, एक नया विधेयक पुरःस्थापित करने का विनिश्चय किया गया है.

विधेयक, उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए है. राष्ट्रपति की स्वीकृक्ति दिनांक 25 दिसम्बर, 2023 को प्राप्त हुई और भारत के राजपत्र, असाधा, भाग 2, खण्ड 1 में दिनांक 25 दिसंबर 2023 को इसका अंग्रेजी भाग प्रकाशित |

BNS धारा 1 क्या है?

संक्षिप्त शीर्षक, प्रारंभ और विस्तार;

इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 है. यह उस तारीख से प्रवृत्त होगा, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस संहिता के भिन्न-भिन्न उपबंधों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी.

प्रत्येक व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल प्रत्येक कार्य या लोप के लिए, जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं.

भारत से परे किए गए किसी अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति भारत में तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उसे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानों वह कार्य भारत के भीतर किया गया था.

यह भी जाने : मार्शल लॉ का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं

इस संहिता के उपबंध, –

  1. भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा;
  2. भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा;
  3. भारत में अवस्थित किसी कम्प्यूटर संसाधन को लक्ष्य बनाकर भारत से बाहर और परे किसी स्थान पर किसी व्यक्ति द्वारा; किए गये किसी अपराध को भी लागू है.

विवरण- इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा प्रत्येक कार्य आता है, जो यदि भारत में किया गया होता तो इस संहिता के अधीन दंडनीय होता.

उदाहरण के लिए, A, जो भारत का नागरिक है, भारत से बाहर और परे किसी स्थान पर हत्या करता है, वह भारत के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्ध किया जा सकता है.

इस संहिता में की कोई बात, भारत सरकार की सेवा के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन के लिए दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों पर प्रभाव नहीं डालेगी |

Leave a Comment