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आविष्कार की परिभाषा
भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 2 (1) (ञ) में शब्द ‘आविष्कार’ की परिभाषा दी गई है. इसके अनुसार- “आविष्कार से अभिप्राय औद्योगिक प्रयोग के लिए समर्थ तथा आविष्कार योग्य कदम से अन्तर्ग्रस्त नये उत्पाद या प्रक्रिया से है.”
साइनिंग इण्डस्ट्रीज बनाम श्री कृष्ण इण्डस्ट्रीज (AIR 1975 इलाहाबाद 231) के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आविष्कार की निम्नांकित परिभाषा दी गई है- “आविष्कार से तात्पर्य एक आविष्कारी कदम एवं औद्योगिक आवेदन की सामर्थ्य से अन्तर्ग्रस्त नये उत्पाद या प्रक्रिया से है.”
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आविष्कार की यह परिभाषा पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2002 द्वारा दी गई है. पहले आविष्कार की परिभाषा कुछ भिन्न थी. 2002 के संशोधन से पूर्व आविष्कार की परिभाषा निम्नानुसार थी- “आविष्कार से अभिप्रेत है कोई नवीन और उपयोगी-
- कला, प्रक्रिया, विनिर्माण का ढंग या तरीका;
- मशीन, साधित्र (apparatus) या अन्य वस्तु;
- विनिर्माण द्वारा उत्पादित पदार्थ.”
आविष्कार की नई परिभाषा में “औद्योगिक उपयोग के लिए समर्थ” शब्दों का प्रयोग किया गया है. इन शब्दों से अभिप्राय आविष्कार का किसी उद्योग में बनाये जाने या प्रयोग किये जाने में समर्थ होने से है. (विश्वनाथ प्रसाद राधेश्याम बनान H.M. इण्डस्ट्रीज, AIR 1982 SC 1444).
धनपत सेठ बनाम मे० नील कमल प्लास्टिक क्रेट्स (AIR 2008 हिमाचल प्रदेश) के विनिर्णयानुसार “पारम्परिक ज्ञान तथा परिचित उत्पादों के डुप्लीकेशन के परिणामस्वरूप वादी द्वारा विकसित युक्ति को आविष्कार नहीं कहा जा सकता है.” |
क्या आविष्कार नहीं है
अब हमें यह देखना है कि पेटेन्ट अधिनियम के अन्तर्गत ‘क्या आविष्कार नहीं है’ पेटेन्ट अधिनियम, 1970 को धारा 3 के अनुसार निम्नांकित आविष्कार नहीं हैं-
- ऐसे आविष्कार जो तुच्छ (Frivolous) प्रकृति के हैं तथा जिनमें स्पष्ट रूप से सुस्थापित नैसर्गिक विधि के प्रतिकूल दावा किया गया है.
- जो निम्नांकित के प्रतिकूल होने के कारण प्राथमिक या आशयित उपयोग या वाणिज्यिक शोषण के उपयुक्त नहीं है-
- लोक व्यवस्था;
- नैतिकता;
- मानव प्राणी;
- पशुः
- वनस्पतियाँ;
- स्वास्थ्यः एवं
- पर्यावरण.
- जो मात्र वैज्ञानिक सिद्धान्तों की खोज, सार सिद्धान्त की रचना या प्रकृति में घटित सजीव वस्तु या निर्जीव पदार्थों की खोज करने वाले हैं.
- जो मात्र ज्ञात पदार्थों की खोज करने वाले हैं; अर्थात् निम्नांकित को आविष्कार नहीं माना गया है-
- ज्ञात पदार्थ को मात्र ऐसे नये रूप में खोजना जो उसे पदार्थ की ज्ञात प्रभावकारिता में वृद्धि नहीं करता; या
- मात्र किसी नई सम्पत्ति अथवा गुणधर्म की खोज करना या ज्ञात पदार्थ के नये उपयोग या ज्ञात प्रक्रिया, मशीन या साधित्र के मात्र उपयोग की खोज करना, जब तक कि ऐसी प्रक्रिया का परिणाम कोई नया उत्पाद नहीं है.
- जो मात्र मित्रण (admixture) द्वारा नया पदार्थ बनाने वाले हैं.
- जो ज्ञात युक्ति का मात्र पुनर्प्रबन्धन (Re-arrangement) करने वाले हैं.
- जो केवल कृषि या बागवानी की रीति अथवा प्रक्रिया वाले हैं.
- जो उपचार से सम्बन्धित प्रक्रिया वाले हैं अर्थात् चिकित्सीय, शल्य क्रिया, आरोग्यकर या मानव या पशुओं को रोगमुक्त करने वाली कोई प्रक्रिया है.
- जो गणितीय पद्धति, कारोबार पद्धति या दशमलव पद्धति वाले हैं.
- जो निम्नांकित से सम्बन्धित कृतियाँ हैं—
- साहित्यिक;
- नाट्य;
- संगीतात्मक;
- कलात्मक;
- सौन्दर्य उत्पादन;
- चलचित्रात्मक;
- टेलीविजन उत्पाद; आदि.
- जो कोई खेल की रीति या मानसिक कृत्य के अनुपालन की पद्धति या नियम या मात्र योजना है.
- जो सूचना की प्रस्तुति गैर-एकीकृत सर्किटों की स्थलाकृति (topography) है.
- ऐसा आविष्कार जो प्रथागत ज्ञान के रूप में प्रभावी है; अर्थात्
- ऐसा आविष्वार जिसका प्रभाव प्रथागत जानकारी है; अथवा
- ज्ञात अवयवों के प्रथागत गुणों का प्रतिलिपिकरण (duplication) है.
- वनस्पतियाँ एवं पशु या उसका कोई भाग; लेकिन इसमें केवल निम्नांकित शामिल हैं- बीज, मसाले, उत्पाद एवं वनस्पतियां और पशुओं की प्रगति के जैविक.
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यहाँ यह उल्लेखनीय है कि हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड बनाम गोदरेज सोपन्स लिमिटेड (1997 PTC 756 कलकत्ता) के मामले में ऐसी आकृतियों को आविष्कार माना गया है जो एक-दूसरे से स्वतन्त्र रूप से ज्ञात रूप में काम कर रही हैं.
धारा 4 के अन्तर्गत परमाणु शक्ति अधिनियम, 1962 की धारा 20 (1) के अधीन आने वाली परमाणु शक्ति से सम्बन्धित आविष्कार के सम्बन्ध में कोई पेटेन्ट स्वीकार नहीं किये जाने का प्रावधान किया गया है |