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पब्लिक/सार्वजनिक/लोक कंपनी
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(71) के अनुसार “लोक कंपनी का तात्पर्य ऐसी कंपनी से है जो प्राइवेट कंपनी नहीं है, जिसकी ऐसी पूँजी है जो विहित की जायें. कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा शब्द “जिसकी पाँच लाख रुपये की न्यूनतम समादत्त पूंजी या ऐसी उच्चतर समादत्त पूँजी” विलोपित कर दिये गये हैं.
परन्तु ऐसी कंपनी जो किसी कंपनी की अनुषंगी कंपनी है और जो प्राइवेट नहीं है, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए पब्लिक कंपनी मानी जायेगी भले ही उक्त अनुषंगी कंपनी ने अपने अन्तर्नियमों में स्वयं को प्राइवेट कंपनी दर्शाना जारी रखा हो |
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प्राइवेट/व्यक्तिगत कंपनी
कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(68) के अनुसार “प्राइवेट कंपनी से ऐसी कंपनी अभिप्रेत है जिसकी ऐसी न्यूनतम समादत्त पूँजी है जो विहित की जायें और जो अपने अनुच्छेदों द्वारा अपने अंशों के अन्तरण को निर्बन्धित करती है, एक व्यक्ति कंपनी को दशा के सिवाय अपने सदस्यों की संख्या को दो सौ तक सीमित करती है. कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा शब्द “एक लाख रुपये की न्यूनतम समादत्त पूंजी या ऐसी उच्चातर समादत्त पूंजी” विलोपित कर दिये हैं |
पब्लिक कंपनी एवं प्राइवेट कंपनी के बीच अन्तर
- पब्लिक कंपनी के लिये प्रस्तावित पूंजी कम से कम पांच लाख रुपये होनी चाहिये, जबकि प्राइवेट कंपनी के लिये प्रस्तावित पूंजी कम से कम एक लाख रुपये होनी चाहिये.
- पब्लिक कंपनी के निर्माण में सदस्यों की संख्या कम से कम सात होनी चाहिये, जबकि प्राइवेट कंपनी का निर्माण दो व्यक्ति मिलकर भी कर सकते है.
- पब्लिक कंपनी के लिये अधिकतर सदस्यों को संख्या निर्धारित नहीं है, जबकि प्राइवेट कंपनी में सदस्यों की अधिकतम संख्या 200 हो सकती है.
- पब्लिक कंपनी अपने अंशों का अन्तरण कोई प्रतिबन्ध नहीं है, जबकि प्राइवेट कंपनी के अंशों के अन्तरण पर अन्तर्नियमों में उल्लेख करने के बाद ही कर सकती है.
- पब्लिक कंपनी अंशों को खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित कर सकती है, जबकि प्राइवेट कंपनी अंशों को खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित नहीं कर सकती है.
- प्रत्येक पब्लिक कंपनी को कम से कम तीन निदेशक रखने होते हैं, जबकि प्राइवेट कंपनी को केवल दो ही निदेशक रखने की आवश्यकता होती है.है
- पब्लिक कम्पनी में उसके सदस्यों की संख्या सात से कम हो जाने पर न्यायालय द्वारा उसका परिसमापन कराया जा सकता है, जबकि प्राइवेट कम्पनी के सदस्यों की संख्या दो से कम हो जाने पर न्यायालय द्वारा उसका परिसमापन कराया जा सकता है.
- पब्लिक कम्पनी द्वारा जनता को अंश ऋणपत्र जारी नहीं किये जा सकते हैं. एवं ऋणपत्र (डिबेन्चर्स) जारी किये जा सकते हैं, जबकि प्राइवेट कम्पनी द्वारा जनता को अंश एवं ऋणपत्र जारी नहीं किये जा सकते हैं.
- पब्लिक कम्पनियों पर सरकारी नियंत्रण अपेक्षाकृत अधिक रहता है, जबकि प्राइवेट कम्पनियों पर सरकारी नियंत्रण कम रहता है.
- पब्लिक कम्पनी में ऐसे हस्ताक्षर किया हस्ताक्षर करना आवश्यक है, जबकि प्राइवेट कम्पनी में निदेशक पद स्वीकार करने के लिए संगम ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना आवश्यक नहीं है.
- पब्लिक कंपनी के नाम में ‘पब्लिक लिमिटेड’ शब्द और प्राइवेट कंपनी के नाम में ‘प्राइवेट लिमिटेड’ शब्द जोड़ना आवश्यक है |