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धारा 354 क्या है?
IPC की धारा 354 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वे उसकी लज्जा भंग करेंगे, उस स्त्री पर हमला करते हैं या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, और यह समझता है कि उसके कार्य से स्त्री की लज्जा भंग होगी, तो उसे दोनों में से किसी भी तरह के कारावास से सजा हो सकती है.
इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति इस धारा के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे एक वर्ष से कम और 5 वर्ष तक के कारावास और दंडनीय की सजा हो सकती है और जुर्माने से भी दंडनीय होगा, जैसा कि कानून द्वारा प्रदान किया गया है. यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है |
धारा 354A क्या है?
IPC की धारा 354A के तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और यह उनके खिलाफ शारीरिक संस्पर्श और अश्लीलता के आरोपों को दंडित करती है. इसमें कई प्रकार के अपराध शामिल हैं, जैसे कि अवांछनीय और वैगिक संबंध बनाने, लैंगिक स्वीकृति के लिए मांग करने, अश्लील माहित्य दिखाने, और लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने का आरोप हो सकता है. इस धारा के तहत, यदि कोई पुरुष विशेष आपराधिक कृत्य करता है, तो उसे कठोर कारावास या जुमाने की सजा हो सकती है.
धारा 354A के अपराध
IPC की धारा 354A उपधारा (1) के तहत निम्नलिखित अपराध दर्ज किए गए हैं-
- शारीरिक संस्पर्श और अंग्रक्रियाएं करने, जिनमें अवांछनीय और वैगिक संबंध बनाने संबंधी स्पष्ट प्रस्ताव अंतर्वलित हो; या
- लैंगिक स्वीकृति के लिए कोई मांग या अनुरोध करने; या
- किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध अश्लील माहित्य दिखाने; या
- लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने, वाला पुरुष लैंगिक उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा.
(i). शारीरिक संस्पर्श और अश्लीलता
धारा 354A उपधारा (1) के खंड (i) के तहत, अवांछनीय और वैगिक संबंध बनाने संबंधी स्पष्ट प्रस्ताव अंतर्वलित होने पर दंडित किया जा सकता है. यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ बिना उनकी सहमति के या उनके खिलाफ ऐसा कुछ करता है जिससे वह महिला की लज्जा भंग होती है, तो वह इस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है.
(ii). लैंगिक स्वीकृति के लिए मांग या अनुरोध
धारा 354A उपधारा (1) के खंड (ii) के तहत, कोई भी पुरुष महिला से लैंगिक स्वीकृति के लिए मांग या अनुरोध करने पर दंडित किया जा सकता है. इसका मतलब है कि जब किसी महिला की सहमति के बिना उससे यौन संबंध बनाने का प्रयास किया जाता है, तो यह धारा लागू हो सकती है.
(iii). अश्लील माहित्य दिखाने
आईपीसी की धारा 354A उपधारा (1) के खंड (iii) के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को अश्लील माहित्य दिखाता है, तो वह भी दंडित किया जा सकता है. इसका मतलब है कि यदि किसी को अश्लील या विवादास्पद माहित्य प्रदर्शित किया जाता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
(iv). लैंगिक आभासी टिप्पणियां
अंत में, धारा 354A उपधारा (1) के खंड (iv) के तहत, लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ लैंगिक आभासी टिप्पणियां करता है या उनके साथ अवज्ञा करता है, तो उस पर दंडित कार्रवाई हो सकती है.
धारा 354A उपधारा (2) के तहत ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) के खंड (i) या (ii) या (iii) के तहत किसी स्त्री के साथ बिना उनकी सहमति के या उनके खिलाफ ऐसा कुछ करता है जिससे वह महिला की लज्जा भंग होती है या लैंगिक स्वीकृति के लिए मांग या अनुरोध करता है या अश्लील माहित्य दिखाता है, तो उसे कठोर कारावास का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी अवधि एक वर्ष से लेकर 3 वर्ष तक की हो सकती है, या जुमाने से, या दोनों से, दंडित किया जा सकता है.
धारा 354A उपधारा (3) के तहत ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) के खंड (iv) के तहत किसी स्त्री के साथ लैंगिक आभासी टिप्पणियां करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे अपराध के लिए दंडात्मक कार्रवास की अवधि एक वर्ष तक की हो सकती है, या जुमाने से, या दोनों से, दंडित किया जा सकता है. यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है |
धारा 354B क्या है?
धारा 354B, भारतीय दंड संहिता का हिस्सा है और यह महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के खिलाफ होने वाले अपराधों को परिभाषित करता है. इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ नीच दिखाने या उन्हें यौन रूप से उत्पीड़ित करता है, तो वह IPC की धारा 354B के तहत दंडित हो सकता है.
विवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
IPC की धारा 354B के अनुसार, यदि कोई पुरुष किसी स्त्री को आश्रम में विवस्त्र करने के लिए बाध्य करके उस पर हमला करता है, या उसके प्रति आपराधिक बल का प्रयोग करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इस अपराध का दण्ड 3 साल तक की कैद से शुरू होता है, जो कि 7 साल तक तक बढ़ सकती है, और इसके साथ ही जुर्माने की सजा भी हो सकती है. यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है |